Hastakshep.com-देश-air pollution-air-pollution-Air visual-air-visual-climate change-climate-change-Climate communication-climate-communication-Electoral issue-electoral-issue-Greenpeace india-greenpeace-india-एयर विजुअल-eyr-vijual-गंभीर जनसरोकार के मुद्दे-gnbhiir-jnsrokaar-ke-mudde-ग्रीनपीस इंडिया-griinpiis-inddiyaa-चुनावी मुद्दा-cunaavii-muddaa-जलवायु परिवर्तन-jlvaayu-privrtn-जलवायु संवाद-jlvaayu-snvaad-पर्यावरण संरक्षण-pryaavrnn-snrkssnn-प्लास्टिक-plaasttik-वायु प्रदूषण-vaayu-prduussnn

क्लाईमेट संवाद (Climate communication) का आयोजन, जलवायु परिवर्तन (Climate change) बने चुनावी मुद्दा (Electoral issue)

नई दिल्ली, 27 अप्रैल 2019। दिल्ली में चुनावी माहौल के बीच, ग्रीनपीस इंडिया (Greenpeace india) नेकल एक क्लाईमेट संवाद का आयोजन किया, जिसमें शहर के नागरिकों ने राजनीतिक दलों से वायु प्रदूषण (air pollution) और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर जनसरोकार के मुद्दे (Critical Issues of Public Relations) को चुनावी मुद्दा बनाने की अपील की।

कर्पूरी कैम्प, श्रीनिवासपुरी में आयोजित इस संवाद में विभिन्न नागरिक संगठनों और स्थानीय समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। इसी वर्ष मार्च में ग्रीनपीस और एयर विजुअल (Air visual) की संयुक्त रिपोर्ट में विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानियों की सूची में दिल्ली पहले नंबर पर था। प्रदूषण और व्यापक जलवायु परिवर्तन की ये गंभीर चुनौतियाँ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं, पर दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रहा है।

कार्यक्रम में एक ग्रीन चार्टर जारी किया गया जिसमें स्वच्छ ऊर्जा, साफ हवा, सुरक्षित भोजन औऱ प्लास्टिक मुक्त धरती बनाने की मांग की गयी है।

लोगों ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर करते हुए मांग की कि आने वाली नयी सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी नीतियाँ, योजनाएँ और कार्यक्रम पृथ्वी के साथ-साथ सभी भारतवासियों के जीवन, आजीविका एवं स्वास्थ्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।

ग्रीनपीस कार्यकर्ता अभिषेक चंचल ने कहा,

“प्रदूषण की वजह से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8.5% की गिरावट दर्ज की जा रही है जबकि रिपोर्ट बताती हैं कि वायु प्रदूषण की वजह से एक साल में 12 लाख लोगों की मौत हो जा रही है। यह हमारी लिए चिंता की बात होनी चाहिए.”

कार्यक्रम में हजार्ड सेंटर के

दुनू रॉय ने कहा,

"हमें यह समझने की जरुरत है कि जलवायु परिवर्तन से लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा पैदा हो गया है। हम इसको समझकर ही इसके खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूत बना सकते हैं।"

हैया संस्था के आलोक रंजन ने जल-जंगल-जमीन को बचाने की लड़ाई को सामाजिक न्याय से जोड़ते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित समुदाय को न्याय दिलाने के लिये संघर्ष करना होगा।

भारत के ज्यादातर राज्य जलवायु परिवर्तन की वजह से वायु प्रदूषण, जल संकट, सूखा, बाढ़, मौसम में बदलाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है. देश के बच्चे और युवा महसूस कर रहे हैं कि भारत को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों के लिये विकसित देशों की तरफ ताकना बंद करना होगा और हमें स्वच्छ हवा, पानी, मिट्टी को बचाने के लिये तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण और जनस्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर बच्चों ने नुक्कड़ नाटक और कविता की प्रस्तुति दी।

Citizens organizations appeal to make environmental protection an election issue