नई दिल्ली, 17 फरवरी। पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama terror attack) को लेकर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) - Communist Party of India (Marxist), के बड़े नेता और अखिल भारतीय किसान सभा (All India Kisan Sabha) के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने सवाल किया है कि देश तो सरकार के साथ है मगर आप किसके साथ हैं सरकार ?
“#देश_तो_सरकार_के_साथ_है_मगर_आप_किसके_साथ_हैं_सरकार
देश ने तो कल सर्वदलीय बैठक में बोल दिया कि वह आतंकवाद के इस जघन्यतम हमले में पूरी तरह सरकार के साथ है; किन्तु सरकार आप तो बताएं कि आप किस के साथ हैं ?
इतनी महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करने के लिए भी प्रधानमन्त्री के न आने, सत्ता पार्टी के अध्यक्ष के भी उसमें शामिल न होने पर पर्याप्त थू-थू हो चुकी है। अब उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी हर सैनिक की अंतिम-यात्रा में जिस निर्लज्जता से फोटू खिंचवा रहे हैं वह किसी भी संवेदनशील भारतीय में जुगुप्सा जगाने के लिए पर्याप्त है।“
उन्होंने लिखा,
● सैनिकों के प्रति इनका अनुराग कितना गहरा है इसे पिछली ढाई तीन साल से वन रैंक वन पेंशन (ओ आर ओ पी) के लिए देश भर में लड़ते और संसद मार्ग पर बैठे पूर्व सैनिकों पर पड़ी लाठियां और वाटर कैनन की बौछारें जानती हैं। अटल बिहारी वाजपेयी कार्यकाल
● पुलगाम से उठे सवाल अनेक हैं। इन्हें पालतू और पूरी तरह फालतू चैनल्स के प्रायोजित उन्मादी युद्ध किलोल और भक्तों के अहो रूपम अहो ध्वनि के शोर से नहीं दबाया जा सकता।
● इंटेलिजेंस रिपोर्ट के बाद भी इतने बड़े कॉन्वॉय की एयर लिफ्टिंग के बाद उस सड़क मार्ग से रवानगी जिसे असुरक्षित बताने की तीन-तीन गम्भीर अलर्ट की चेतावनियां थी, हमले की आशंका भर नहीं पूर्व सूचनाएं तक थी, इस चूक को खुद राज्यपाल ने माना है। मगर जिम्मा लेने, जिम्मेदारी तय करने की बजाय सैनिकों की मृत देहों के समेटे जाने के पहले ही चुनावी रैली, उदघाटन, घरों की चाबियाँ बांटना और नई-नई पोशाकें पहनकर खिलखिलाते हुए तस्वीरें खिंचवाया जाना असीमित निर्लज्जता की दरकार रखता है, जो इनमें है।
● देश आने वाले दिनों में इस जघन्य हमले के और भी अनेक विस्फोटक आयामों से अवगत होगा।
अभी तो सवाल सिर्फ एक है कि देश जघन्यतम हमले में पूरी तरह सरकार के साथ है; किन्तु सरकार आप तो बताएं कि आप किस के साथ हैं ? “
माकपा नेता ने कहा
तीन साल पहले खुद प्रधानमन्त्री बोले थे कि कश्मीर में सभी स्टेक होल्डर्स के साथ संवाद शुरू करके समाधान निकाला जाएगा। क्यों नहीं अब तक कोई पहल हुयी ?
जम्मू कश्मीर में भाजपा महबूबा सरकार में रही अब सीधे केंद्र का शासन है। इसके बाद भी कोई प्रगति क्यों नहीं हुयी ?
जिस आतंकवाद की कमर प्रधानमंत्री ने 8 नवम्बर 2016 को ताली फटकार कर नोटबंदी के साथ तोड़ दी थी उसका क्या हुआ ?
2014 से 2018 के बीच आतंकी हमलों में 176% और इन हमलों में हुयी सैनिक मौतों में 93% की बढ़ोत्तरी क्यों हुयी ? ये जीडीपी के नहीं जीते-जागते मनुष्यों की मौतों के आंकड़े हैं; वे आंकड़े जिन्हें सरकार छुपा नहीं सकती। और यह उस समय हुआ है जब दिल्ली और श्रीनगर दोनों जगह भाजपा ही भाजपा थी।
25 दिसंबर 2015 को अचानक लाहौर पहुँच कर नवाज शरीफ की नातिन मेहरुन्निसा की शादी में 45 बनारसी साड़ी और इतने ही पठानी सूट का भात अडानी की बिजली और जिंदल की स्टील फैक्टरी की डील के लिए देने गए मोदी क्या आतंकी पनाहगाहों के बारे में डील नहीं कर सकते थे ?
सवाल तो जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर का भी है - इन्हें कौन और कितनी रकम के साथ सलामत छोड़कर आया कंधार ?
★ सवाल तो यह भी है कि इधर चितायें सुलगेंगी उधर सीमा पार चल रहे अम्बानी, अडानी और सरकार के चहेते कारपोरेटों के धंधों में मुनाफों की रोटियां ताबड़तोड़ सिकेंगी ?
● अपनी इसी लिप्तता को छुपाने के लिए इसी गिरोह द्वारा कश्मीरियों के खिलाफ उन्माद भड़काने, मुसलमानों के खिलाफ नफ़रत फैलाने का युद्ध सा छेड़ दिया गया है। चैनल, व्हाट्सएप्प, सोशल मीडिया और रयूमर स्प्रेडिंग सोसायटी के इन चिरकुट उन्मादियों को ठुकराइये, इन्हें जलील कीजिये, इनके कारपोरेट चाकर, भ्रष्टों के सरदार, असफलताओं के विश्व रिकॉर्ड धारी बिजूकों को कठघरे में खड़ा कीजिये।
● जिस समय देश पूरी तरह एकजुट है उस वक़्त उस एकता को तोड़ने वाले भी आतंक का ही एक रूप है; कल की सर्वदलीय बैठक के सर्वसम्मत प्रस्ताव ने आतंकवाद के हर रूप के खिलाफ एकजुटता का आव्हान किया है। इसे अमल में लाइये।“
Is this business in blood or business in blood? The country is with the government, but with whom are you the government?