नई दिल्ली, 24 दिसम्बर। टारगेटेड थेरेपी यानी लक्षित चिकित्सा और इम्यूनोथेरेपी यानी प्रतिरोधी चिकित्सा, बड़ी आंत के कैंसर (कोलोरेक्टल कैंसर) में उपचार के नए तथा असरकारी तरीके हैं। टारगेटेड थेरेपी में दवाएं कैंसर वाली जगह को लक्ष्य बनाती हैं और पारंपरिक कीमोथेरेपी की दवाओं के साथ दी जाती हैं ताकि कैंसर की अधिक कोशिकाएं मर जाएं और रोगी के बचने की संभावना बढ़ जाए।
राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईएंडआरसी) में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. विनीत तलवार के मुताबिक टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी ने बड़ी आंत के कैंसर के इलाज को असरकारी बना दिया है।
डॉ. तलवार ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), पानीपत तथा आरजीसीआईएंडआरसी के संयुक्त तत्वावधान में कैंसर विज्ञान (ऑन्कोलॉजी) पर आयोजित कॉन्टिन्यूइंग मेडिकल एजूकेशन (सीएमई) कार्यक्रम में यह बात कही।
उन्होंने कहा,
"प्रतिरक्षा चिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) की दवाएं शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को ताकत देती हैं और प्रतिरक्षा तंत्र स्वयं ही कैंसर की कोशिकाओं से लड़ता है, जिससे दुष्प्रभाव लगभग खत्म हो जाते हैं।"
डॉ. तलवार ने बताया कि केवल कीमोथेरेपी से रोगियों के बचने की दर कम थी, लेकिन टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के साथ बचने की दर बढ़ गई है।
Role of radiation in the treatment of colorectal cancer
कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार में विकिरण यानी रेडिएशन की भूमिका पर आरजीसीआईएंडआरसी के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी निदेशक डॉ. मुनीश गैरोला ने कहा,
"निस्संदेह बड़ी आंत के कैंसर में उपचार के लिए सर्जरी ही चुनी जाती है, लेकिन रेडिएशन ट्यूमर के आकार को कम करने में मदद करता है, जिससे सर्जन को
Chemotherapy increases the effect of radiation
डॉ. गैरोला के मुताबिक,
"कीमोथेरेपी रेडियो सेंसिटाइजर की तरह काम कर रेडिएशन के प्रभाव को बढ़ा देती है, जिससे रेडिएशन ऊतकों में गहराई तक पहुंच जाता है। रेडिएशन में काफी प्रगति हो चुकी है। पहले रेडिएशन के बहुत दुष्प्रभाव होते थे लेकिन अब रेडिएशन की ज्यादा केंद्रित तकनीक 'कन्फॉर्मल रेडिएशन' हैं, जिनके जरिये हम रेडिएशन को ट्यूमर की आकृति के मुताबिक सीमित कर सकते हैं।"
भारत में बड़ी आंत का कैंसर सबसे ज्यादा होने वाले 10 प्रकार के कैंसर में शामिल हैं। मोटापे और कम मोटे अनाज वाली खुराक को इस प्रकार के कैंसर का कारण माना जाता है। कुछ मामलों में यह आनुवंशिक भी होता है।
इससे बचने के लिए लोगों को रेशे की अधिक मात्रा वाला भोजन लेना चाहिए और अल्कोहल तथा धूम्रपान से दूर रहना चाहिए। चिकित्सकों ने कहा कि सुस्त और गतिहीन जीवनशैली भी बड़ी आंत के कैंसर का कारण है।
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