अमेरिका में अबतक 76,928 लोग मारे गए। उनकी लाशें कहाँ गयी? अंत्येष्टि कैसे हुई?
ये हालात भारत में भी बन रहे हैं।
हमें चुप कराने की संस्थागत कोशिश में लगे मित्र भविष्य और वर्तमान का सामना करें।
आधुनिक ज्ञान विज्ञान, तकनीक मनुष्य को बहाने में फेल हैं।
साहित्य, कला, संस्कृति के रथ महारथी इस नरसंहार के गौरव गान में लगे बजरंगियों के आगे अपनी जान, नौकरी, हैसियत और मखमली खाल बचने के लिए बेबस हैं। गोबर से बेहतर नहीं है उनकी कुलीन प्रतिभा।
न्यूयार्क से डॉ. पार्थ बनर्जी का ताजा अपडेट। जरूर पढ़ लें।
पलाश विश्वास