Hastakshep.com-समाचार-हमास नेताओं और इजरायली प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी

ICC: हमास नेताओं और इसराइली प्रधानमंत्री के गिरफ़्तारी वारंट का अनुरोध

20 मई 2024: अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने सोमवार को बताया कि ग़ाज़ा युद्ध के दौरान तथाकथित युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के मामलों में, हमास और इसराइल के नेताओं के विरुद्ध गिरफ़्तारी वॉरंट जारी किए जाने का अनुरोध किया गया है.

आईसीसी के मुख्य अभियोजक करीम ख़ान ने कहा कि यह मानने का तर्कसंगत आधार है कि हमास के याहया सिनवार, मोहम्मद दिएब इब्राहिम अल-मस्री और इसमाइल हानिये हत्या, समूह का सफ़ाया करने, बंधक बनाने समेत, अन्य कई अपराधों के लिए ज़िम्मेदार हैं.

7 अक्टूबर को हमास व अन्य फ़लस्तीनी गुटों द्वारा इसराइल पर हमले किए गए थे, जिसके बाद इसराइली ने ग़ाज़ा में बड़े पैमाने पर जवाबी सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसे सात महीने बीत चुके हैं.

मुख्य अभियोजक करीम ख़ान के अनुसार, ये मानने का भी तर्कसंगत आधार है कि इसराइली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतानयाहू और प्रतिरक्षा मंत्री योआव गैलेंट, फ़लस्तीनी राष्ट्र के क्षेत्र के भीतर मानवता के विरुद्ध अपराधों समेत अन्य अपराधों को अंजाम देने के लिए ज़िम्मेदार हैं.

इनमें युद्ध के एक तौर-तरीक़े के रूप में आम नागरिकों को भुखमरी का शिकार बनाना...जानबूझकर नागरिक आबादी के विरुद्ध हमलों और हत्याओं समेत अन्य अपराध शामिल हैं.

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय, यूएन संगठन नहीं है, मगर संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग के लिए सहमति है.

यदि कोई स्थिति कोर्ट के न्याय अधिकार क्षेत्र के बाहर होती है, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, उस मामले को आईसीसी को सौंप सकती है.

आईसीसी के मुख्य अभियोजक करीम ख़ान ने बताया कि 7 अक्टूबर को हमास के नेतृत्व में इसराइल पर हुए हमलों में जीवित बचे व्यक्तियों व पीड़ितों के साथ उनके कार्यालय ने बातचीत की.

इनमें हमास द्वारा बनाए गए बंधक और प्रत्यक्षदर्शी हैं, जो उन छह

अलग-अलग स्थानों से हैं, जहाँ बड़े पैमाने पर हमले किए गए थे.

असहनीय पीड़ा

अभियोजक कार्यालय के अनुसार, इन व्यक्तियों ने 7 अक्टूबर 2023 को अपराधों की योजना बनाई, अन्य को इसके लिए भड़काया और फिर अपने कृत्यों के ज़रिये, इन अपराधों की ज़िम्मेदारी मानी. इसमें अगवा किए जाने के कुछ ही देर बाद बंधकों से निजी तौर पर मिलना भी है.

मुख्य अभियोजनक करीम ख़ान ने कहा कि जीवित बच गए लोगों से बातचीत में उन्होंने सुना कि एक परिवार में प्रेम, अभिभावक व बच्चों के बीच गहरे रिश्ते को तोड़कर, सुनियोजित क्रूरता व बेपरवाही से उन्हें ऐसी पीड़ा पहुँचाई गई जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है.

उन्होंने कहा कि इन कृत्यों की जवाबदेही तय की जानी होगी.

आईसीसी अभियोजक ने ग़ाज़ा में बंधक बनाकर रखे गए लोगों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके कार्यालय ने पीड़ितों व जीवित बचे व्यक्तियों से बातचीत की है. उनसे और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी से संकेत मिला है कि उन बंधकों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया और कुछ को बलात्कार समेत यौन हिंसा का शिकार बनाया गया.

जीवित बचे व्यक्तियों का साहस

मुख्य अभियोजक ने 7 अक्टूबर को हुए हमलों में जीवित बचे व्यक्तियों, और पीड़ितों के परिवारजन के प्रति आभार प्रकट किया, जिन्होंने आगे बढ़कर उनके कार्यालय को हमलों से जुड़ी जानकारी मुहैया कराई.

करीम ख़ान ने बताया कि फ़िलहाल उनका ध्यान इन हमलों के दौरान अंजाम दिए गए सभी अपराधों की जाँच करना है, जिसके लिए सभी साझेदारों के साथ मिलकर काम किया जाएगा ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके.

उन्होंने इसराइल के शीर्ष नेताओं की ज़िम्मेदारी के मुद्दे पर आरोप लगाया कि भुखमरी को युद्ध के एक तरीक़े के रूप में इस्तेमाल में लाया गया. इसके अलावा, राजसत्ता नीति के तहत, फ़लस्तीन की नागरिक आबादी के विरुद्ध व्यापक व व्यवस्थागत ढंग से मानवता के विरुद्ध अन्य अपराधों को अंजाम दिया गया.

इन आरोपों के सिलसिले में, उन्होंने जीवित बचे व्यक्तियों, प्रत्यक्षदर्शियों, वीडियो, फ़ोटो, ऑडियो सामग्री, सैटलाइट तस्वीरों व वक्तव्य का ज़िक्र किया.

ये दर्शाते हैं कि इसराइल ने मंशापूर्वक, व्यवस्थागत ढंग से ग़ाज़ा के सभी हिस्सों में नागरिक आबादी को उन वस्तुओं से वंचित रखा है, जिनकी जीवित रहने के लिए ज़रूरत है.

पूर्ण घेराबन्दी के प्रभाव

इसराइल ने 8 अक्टूबर 2023 को ग़ाज़ा पर पूर्ण रूप से घेराबन्दी थोप दी थी, जिसमें तीन सीमा चौकियों, दक्षिण में रफ़ाह व केरेम शेलॉम, और उत्तर में ऐरेज़ को पूरी तरह से लम्बी अवधि के लिए बन्द कर दिया गया.

इसके बाद, सीमा चौकियों को फिर खोले जाने के बावजूद, मनमाने ढंग से दवाओं व भोजन समेत अति-आवश्यक आपूर्ति के हस्तांतरण पर सख़्ती थोपी गई.

ग़ाज़ा में जल व बिजली आपूर्ति को भी काट दिया गया. भोजन के लिए क़तार में जुटे फ़लस्तीनियों को शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ा, जबकि मानवीय सहायताकर्मी भी इन हमलों में हताहत हुए.

इस वजह से अनेक एजेंसियों को अपने अभियान सीमित करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

गम्भीर अपराध

मुख्य अभियोजक ने कहा कि इसराइल के पास अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में अपनी रक्षा करने का अधिकार है, मगर आम नागरिकों को जानबूझकर मौत, भुखमरी व अपार पीड़ा का शिकार बनाना, अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के बुनियादी चार्टर का उल्लंघन है, जिस पर रोम में 2002 में हस्ताक्षर किए गए थे.

उनके अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत इसराइल को तुरन्त क़दम उठाने होंगे ताकि ग़ाज़ा में बड़े स्तर पर मानवीय सहायता की अनुमति दी जा सके.

अभियोजक करीम ख़ान के वक्तव्य में आईसीसी के न्यायाधीशों से वॉरंट जारी करने के अनुरोध के अलावा, कहा गया है कि 7 अक्टूबर के बाद से अंजाम दिए गए अपराधों की जाँच के लिए अनेक अन्य प्रकार से जाँच पर काम चल रहा है.

इनमें हमास के नेतृत्व में आतंकी हमलों के दौरान यौन हिंसा के आरोप, ग़ाज़ा में व्यापक पैमाने पर बमबारी भी है, जिनसे बड़ी संख्या में आम लोग हताहत हुए और पीड़ा से गुज़र रहे हैं.

मुख्य अभियोजक ने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और सशस्त्र टकराव के क़ानून, सभी पर लागू होते हैं. “ना कोई सैनिक, ना कमांडर, ना नागरिक नेता, कोई भी, दंडमुक्ति के साथ काम नहीं कर सकते है.”

(स्रोत- संयुक्त राष्ट्र समाचार)

Arrest warrants will be issued for Hamas leaders and Israeli Prime Minister - International Criminal Court