Hastakshep.com-समाचार-अमेरिकी विश्वविद्यालयों में ग़ाज़ा समर्थक प्रदर्शन

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में ग़ाज़ा प्रदर्शनों पर अत्यधिक बल प्रयोग पर चिन्ता

01 मई 2024 (संयुक्त राष्ट्र समाचार) संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ विश्वविद्यालयों में, ग़ाज़ा युद्ध के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों और प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग पर चिन्ता व्यक्त की है. ऐसे कुछ मामलों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए अनेक कड़े उपायों का प्रयोग किए जाने की ख़बरें हैं.

न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित कोलम्बिया विश्वविद्यालय में हाल ही में, ग़ाज़ा युद्ध के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुए थे, जिसके बाद देश भर में अनेक विश्वविद्यालयों में भी इसी तरह के प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि वहाँ के अधिकारी, ग़ाज़ा में इसराइल के भीषण सैन्य हमले और फ़लस्तीनी इलाक़ों पर इसके क़ब्ज़े को देखते हुए, इसराइल से अपना धन निवेश हटाएँ.

अमेरिका के पश्चिम से लेकर पूरी छोर तक विश्वविद्यालयों में अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों के सम्बन्ध में अलग-अलग तरीक़े अपनाए हैं. इनमें कोलम्बिया विश्वविद्यालय में शुरू में तो अधिकारियों ने पुलिस को बल प्रयोग के ज़रिए, प्रदर्शनकारियों को हटाने के आदेश दिए थे, बाद में बातचीत जारी रखने और परिसर में टैंट लगे रहने देने के लिए भी सहमति दी.

कोलम्बिया प्रदर्शनों की सघनता

कोलम्बिया विश्वविद्यालय में प्रदर्शनकारियों ने, सोमवार को परिसर ख़ाली कर देने के अधिकारियों के आदेश को नज़रअन्दाज़र कर दिया. मंगलवार सुबह प्रदर्शनकारियों ने, विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक हैमिल्टन हॉल पर अपना क़ब्ज़ा कर लिया और उसके भीतर ही स्वयं को अस्थाई बाड़ लगाकर सीमित कर लिया.

हैमिल्टन हॉल उन इमारतों में शामिल रहा है जिन पर नागरिक अधिकारों और वियतनाम युद्ध के विरोध में किए गए प्रदर्शनों के दौरान 1968 में क़ब्ज़ा किया गया.

कोलम्बिया विश्वविद्यालय के अध्यक्ष ने सोमवार प्रातः घोषणा की थी कि प्रदर्शनकारियों के साथ

संवाद नाकाम हो गया, और ये संस्थान, इसराइल से संसाधन खींचने की मांगों के आगे नहीं झुकेगा.

प्रदर्शन करने का अधिकार ‘मूलभूत है’

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने मंगलवार को कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शान्तिपूर्ण तरीक़े से सभा करने के अधिकार, “समाज के लिए मूलभूत” हैं, ख़ासतौर से जब प्रमुख मुद्दों पर प्रखर असहमतियाँ हों. और इसराइल और उसके द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में युद्ध के सम्बन्ध में यही स्थिति है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि हाल के सप्ताहों के दौरान, अमेरिका के अनेक विश्वविद्यालयों में हज़ारों छात्र, ग़ाज़ा में युद्ध के विरोध में प्रदर्शन करते रहे हैं, और बहुत से प्रदर्शनों में, कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है.

मगर कुछ विश्वविद्यालय परिसरों में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद, सैकड़ों छात्रों की गिरफ़्तारियाँ हुई हैं. कुछ छात्रों को तो बाद में रिहा कर दिया गया, मगर बहुत से छात्रों पर अब भी आरोपों या उन पर शैक्षणिक प्रतिबन्धों की तलवार लटकी हुई है.

वोल्कर टर्क ने कहा कि विश्व विद्यालय अधिकारियों और क़ानू लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा इस तरह की अभिव्यक्ति को प्रतिबन्धित करने की कार्रवाई पर बहुत सावधानीपूर्वक विचार होना चाहिए ताकि वो अधिकारों और स्वतंत्रताओं को संरक्षण मुहैया कराए जाने के माहौल के लिए ख़तरा नहीं बने.

हिंसा के उकसावे का ज़ोरदार खंडन हो

वोल्कर टर्क ने कहा, “मैं इस पर चिन्तित हूँ कि अनेक विश्वविद्यालयों में क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों की कार्रवाइयाँ, अपने प्रभावों की नज़र से अत्यधिक या अनुपात से अधिक लगती हैं.”

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि यहूदी विरोधी किसी भी तरह का आचरण या भाषा, पूरी तरह से अस्वीकार्य है और गहन रूप में व्यथित कर देने वाली है. अरब विरोधी और फ़लस्तीन विरोधी आचरण और भाषा, भी उसी रूप में निन्दनीय यानि अस्वीकार्य है.

(स्रोत - संयुक्त राष्ट्र समाचार)

Concern over excessive use of force at Gaza protests at US universities

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