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हरियाणा चुनाव में वोटों का असमान वितरण: क्या यह धांधली है?

चुनाव आयोग की भूमिका पर उठ रहे सवाल : क्या यह निष्पक्षता का संकट है?

पोस्टल बैलेट्स और ईवीएम की गिनती में अंतर : तथ्य या धांधली?

नई दिल्ली, 19 अक्तूबर 2024. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों को लेकर जनता और विश्लेषकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। आम आदमी पार्टी, जेजेपी, और कांग्रेस के पक्ष में वोटों का असमान वितरण, ईवीएम में अनियमितताएं, पोस्टल बैलेट्स की साफ तस्वीर और चुनाव आयोग की संदिग्ध भूमिका ने इस चुनाव को विवादास्पद बना दिया है। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार से जानिए क्यों हरियाणा के मतदाताओं को चुनाव नतीजों पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है।

  • ईवीएम अनियमितताएं और चुनाव नतीजों का मिलान: सबूत क्या कहते हैं?
  • प्रधानमंत्री सम्मान निधि और चुनावी समय पर फंड ट्रांसफर: क्या यह आचार संहिता का उल्लंघन है?
  • वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार के विश्लेषण में चुनावी निष्पक्षता पर सवाल

“हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे को मानना मुश्किल क्यों है-

- आम आदमी पार्टी ने 90 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए, जनता ने वोट नहीं किया क्योंकि उन्हें पता था कि इससे कांग्रेस के वोट बंटेंगे, बीजेपी को फायदा होगा।

- इनेलो, बीएसपी, चंद्रशेखर आजाद की पार्टी, जेजेपी सबको जनता ने नकारा, चुनाव को बीजेपी बनाम कांग्रेस बनाया।

- जेजेपी को इस बात की सजा दी कि उसने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। दुष्यंत चौटाला पांचवें नंबर पर रहे।

- कांग्रेस के पक्ष में सुनामी दिखी। उसके 11 प्रतिशत वोट बढ़े।

- बीजेपी में जितनी बगावत इस विधानसभा चुनाव में दिखी उतनी इससे पहले कभी नहीं

दिखी थी।

- पोस्टल बैलेट में बिल्कुल ये सारे फैक्टर आईने की तरह साफ दिखे।

- ईवीएम की गिनती में मामला उलट गया।

- न्यूज़ चैनलों को अपने सोर्स से चुनाव नतीजे दिखाने से मना कर दिया गया।

- चुनाव आयोग की वेबसाइट से रुझान और नतीजे दिखाने लगे न्यूज़ चैनल

- 99 प्रतिशत रिचार्ज पाए गये ईवीएम पर न्यूज़ चैनलों ने चुप्पी साध ली चुनाव आयोग की तरह।

- चुनाव आयोग के दिए 7 अक्टूबर के डेटा का मिलान ईवीएम में पड़े वोटों से नहीं होता। यह चुनाव में धांधली का सबसे बड़ा सबूत है।

- तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक सबूत चुनाव नतीजों से मेल नहीं खाते।

- नायब सिंह सैनी का सारी व्यवस्था कर लेने और जीत का विश्वास जताने की घटना भी उल्लेखनीय है।

-नरेंद्र मोदी का मध्यप्रदेश चुनाव की तरह कांग्रेस को पछताने के लिए आगाह करना भी उतना ही उल्लेखनीय है।

- चुनाव के दिन वोटरों के अकाउंट में प्रधानमंत्री सम्मान निधि का पैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डाला था, चुनाव आयोग की चुप्पी पक्षपातपूर्ण है।

- चुनाव आयोग पूरी तरह से संदिग्ध हो गया लगता है। लिहाजा मतदाता चुनाव नतीजे पर विश्वास करें तो कैसे।“

(वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार की एक्स टिप्पणी साभार)

 

 

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