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Modi government scared of Bangladesh coup! Changed plan to arrest Rahul Gandhi

बांग्लादेश में छात्रों का एक आंदोलन उठा, जिसने 2009 से सत्ता पर काबिज शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंका। तीन सप्ताह के आंदोलन से तख्तापलट हुआ, जबकि एक महीने पहले तमाम विदेशी सर्वे एजेंसियां बांग्लादेश की शासन व्यवस्था की तारीफ कर रही थीं। बांग्लादेश को तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया जा रहा था। बांग्लादेश सरकार दावा करती थी कि सार्क देशों में प्रति व्यक्ति आय के मामले में वो सबसे आगे हैं। यहां तक कि बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय (per capita income of Bangladesh) भारत से भी ज्यादा थी। यानी बड़े-बड़े वादे भी शेख हसीना की सत्ता को बचा नहीं पाए। राजनीतिक विरोधियों को अपना दुश्मन मानने की रणनीति उन पर ही  भारी पड़ गई। और कुछ ऐसा ही होने की संभावनाएं कई लोग भारत में भी जता रहे हैं। ऐसे लोग दावा कर रहे हैं कि सत्ता के लिए जो नीति शेख हसीना की थी, वही नीति भारत में मोदी सरकार की है। यहां तक कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी को गिरफ्तार करने की कोशिश हो रही थी। कहा जा रहा था कि सोमवार को ईडी राहुल गांधी को गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन उससे एक दिन पहले ही बांग्लादेश में हुई बगावत ने ईडी के साथ मोदी सरकार को भी डरा दिया।

तो क्या सच में मोदी सरकार ने बांग्लादेश की बगावत के डर से राहुल गांधी को गिरफ्तार करने का बदल दिया प्लान। आखिर क्यों राहुल से डरी हुई है मोदी सरकार। इसी पर आज हम DB Live kr स्पेशल रिपोर्ट में करेंगे बात..,

राहुल गांधी को गिरफ्तार करने का ईडी बना रही थी प्लान !

राहुल गांधी मोदी सरकार की सबसे बड़ी परेशानी बने हुए

हैं, क्योंकि वो आम लोगों के सिर्फ मुद्दे ही नहीं उठा रहे हैं, बल्कि उनकी समस्याओं को जानने के लिए उनसे लगातार मुलाकात भी कर रहे हैं। कुली, मौची, दिहाड़ी मजदूर, कारपेंटर हर उस व्यक्ति से मिल रहे हैं जो मोदी राज में सबसे ज्यादा मुश्किल में दिख रहा है। जहां भी कोई आपदा आती हैं वहां भी पहुंच रहे हैं। राहुल गांधी की इसी कोशिश के चलते दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार उन्हें गिरफ्तार कराने का प्लान बना रही है… और ये बात खुद राहुल गांधी ने ही कही थी।

केरल के वायनाड में आई प्राकृतिक आपदा के बाद राहुल गांधी एक अगस्त को वायनाड पहुंचे थे। और यहां वो दो दिन रूके भी थे। वायनाड से राहुल गांधी ने 2 अगस्त को रात 1 बजकर 52 मिनट पर एक ट्वीट किया था। राहुल ने अपने ट्वीट में कहा था कि टू-इन-1 को संसद में मेरा चक्रव्यूह भाषण पसंद नहीं आया। ED के अंदरूनी सूत्रों ने मुझे बताया कि मेरे खिलाफ रेड की योजना बनाई जा रही है। मैं ED अधिकारियों का बांहें फैलाकर इंतजार कर रहा हूं.. चाय और बिस्किट मेरी तरफ से।

राहुल गांधी के इस ट्वीट से एक बात साफ हो गई थी कि वो दिल्ली लौटकर आएंगे तो मोदी सरकार ईडी के जरिए राहुल गांधी को गिरफ्तार कराने की तैयारी कर चुकी हैं। राहुल ने अपने ट्वीट में ये साफ कर दिया था कि ईडी के सोर्सों से उन्हें जानकारी मिली हैं। यानी खबर पक्की थी। राहुल गांधी के इस ट्वीट को लेकर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार को चेतावनी दी थी। सिंघवी ने कहा था

“अगर ईडी राहुल गांधी को गिरफ्तार करने के बारे में सोचती है तो देश बीजेपी के ताबूत में आखिरी कील ठोक देगा। इस बारे में कभी मत सोचना। कभी नहीं।"

सिंघवी ने जो बात चार अगस्त को मोदी सरकार के लिए कही थी, वो अगले ही दिन बांग्लादेश के लिए सच साबित हो गई। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के खिलाफ हुए जन विद्रोह के चलते उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ गया।

राहुल ने अपनी गिरफ्तारी की पहले ही जता दी थी आशंका

दरअसल बांग्लादेश में भी विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। चुनाव के समय तो पूरा का पूरा विपक्ष ही जेल में था। चुनावों में भी जबरदस्त हेराफेरी के आरोप सरकार पर लगे थे। विपक्ष की हर शिकायत को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था, वैसे भारत में भी चुनावों के दौरान चुनाव आयोग पर सवाल उठे थे। विपक्षी इंडिया गठबंधन ने तो यहां तक कह दिया था कि चुनाव आयोग उनकी शिकायत पर फैसला ही नहीं लेता है। चुनाव से पहले विपक्ष के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया। ईडी, सीबीआई, आईटी के जरिए कोशिश की गई कि विपक्ष को चुनाव प्रचार के कम से कम मौके मिल पाए। विपक्ष के सांसाधनों को सीमित किया गया और सबसे बड़ी बात तो ये कि चुनावों के बाद भी चुनाव आयोग सवालों में बना रहा। विपक्ष की तरफ से अभी भी दावा किया जाता है कि अगर चुनाव निष्पक्ष होते, विपक्ष को बराबरी का मौका मिलता तो बीजेपी के लिए 100 सीट जीतना भी मुश्किल हो जाता। क्योंकि मोदी सरकार में देश के हालात बेहद खराब हैं। दो साल पहले राहुल गांधी लंदन गए थे। वहां एक कॉन्फ्रेंस 'आइडिया फॉर इंडिया' में उन्होंने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया था। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि भारत की स्थिति इस वक़्त ठीक नहीं है, बीजेपी ने पूरे देश में केरोसिन छिड़क दिया है। एक चिंगारी और हम सब एक बड़े संकट में पहुंच जाएंगे। ये ज़िम्मेदारी भी कांग्रेस की है वो लोगों को एक साथ लेकर आए और लोगों का गुस्सा और जो आग लोगों के बीच है उसे संयमित किया जाए।

और केरोसिन देश को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाए इसके लिए राहुल गांधी ने पहले कश्मीर ने कन्याकुमारी फिर मणिपुर से मुंबई तक भारत जोड़ो यात्रा और फिर भारत जोड़ो न्याय यात्रा को निकाला। इस यात्रा का उद्देश्य देश में सद्भावना को बनाए रखना था। इसलिए राहुल गांधी हर वर्ग के लोगों से मिले। पीड़ितों को गले लगाया। और इस यात्रा का असर ये पड़ा कि लोकसभा चुनाव में तमाम मुश्किलों के बावजूद विपक्ष ने बीजेपी को बहुमत हासिल नहीं करने दिया, जिसके बाद से बीजेपी की परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ती दिख रही है.. क्योंकि उसे अब इस बात की चिंता हो रही है कि जो सहयोगी दल आज उसके पाले में हैं, वो कहीं राहुल गांधी की लोकप्रियता के चलते इंडिया गठबंधन के पाले में ना चले जाएं। जेडीयू को लेकर तो ये दावे अभी से किए जाने लगे हैं कि नीतीश कुमार को बीजेपी ब्लैकमेल कर रही है। कांग्रेस और आरजेडी का दावा है कि अगर नीतीश एनडीए से अलग होते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाएगा। और इसी के डर से नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मजबूरी में बने हुए हैं। जैसे ही उन्हें एहसास होगा कि जेडीयू के हटने से मोदी की सरकार चली जाएगी, नीतीश अपना समर्थन मोदी सरकार से खींच लेंगे। और इसका एहसास उन्हें होता हुआ भी दिख रहा है। और खबर है कि मोदी सरकार इसके लिए राहुल को ही जिम्मेदार मानकर चल रही है। और इसी के चलते जैसा राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि ईडी के जरिए उन्हें गिरफ्तार कराने की कोशिश हो रही है। लेकिन अब बांग्लादेश की बगावत ने मोदी सरकार को बुरी तरह से डरा दिया है।

दरअसल मोदी सरकार को अब डर लगने लगा है, और इस डर का एक ट्रेलर मोदी सरकार जून 2022 में देख भी चुकी है। ईडी ने राहुल गांधी को पूछताछ के लिए समन भेजा था। एक के बाद एक लगातार पांच दिन बुलाया था। राहुल गांधी ईडी के हर समन पर उपस्थित हुए। लेकिन इस दौरान पूरे देश में जनता सड़क पर दिखाई दी थी। यानी पूछताछ के दौरान ही हालात ऐसे बन गए थे कि मोदी सरकार की सांसें फूलती दिखाई दी थीं। ऐसे में अगर राहुल गांधी को गिरफ्तार करने की कोशिशे होती हैं तो हालात कैसे हो सकते हैं। इसका अंदाजा अब मोदी सरकार को भी होने लगा है। दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश के हालात देखने के बाद मोदी सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुकी है। और राहुल गांधी की गिरफ्तारी की तैयारी करने में जुटी ईडी को अपने पैर पीछे हटाने को कह दिया है। क्योंकि राहुल गांधी के खिलाफ अगर सरकार की तरफ से कोई एक्शन लिया जाता है तो ये मोदी सरकार पर बहुत भारी पड़ सकता है। राहुल गांधी भले ही देशवासियों से कहते रहे हों कि डरो मत, लेकिन इस समय देश की सरकार राहुल गांधी से डरती दिखाई दे रही है। और अब ये तय माना जा रहा है कि विपक्ष के दूसरे नेताओं को लेकर मोदी सरकार की नीतियों में भले ही बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हो लेकिन राहुल गांधी के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से पहले सरकार 100 बार सोचने के लिए मजबूर होती दिखाई दे रही है। यानी ईडी का एक्शन, जिसकी संभावना राहुल गांधी पांच दिन पहले जता रहे थे, उस पर फिलहाल तो ब्रेक लग गया है। वैसे कहा तो ये जा रहा है कि भविष्य में स्थितियां मोदी सरकार के खिलाफ और मजबूत हो सकती हैं। ऐसे में राहुल से टकराने की हिम्मत शायद ही सरकार जुटा पाए..

 

बांग्लादेश के तख्तापलट से डरी मोदी सरकार! राहुल की गिरफ्तारी का इरादा बदला ?