Hastakshep.com-जलवायु परिवर्तन-राजस्थान और गुजरात में एनर्जी ट्रांज़िशन-New policies needed to accelerate energy transition in Rajasthan and Gujarat,

IEEFA रिपोर्ट: राजस्थान और गुजरात के लिए एनर्जी ट्रांज़िशन में सुधार की आवश्यकता

भारत के राज्य-स्तरीय एनर्जी ट्रांज़िशन के प्रयासों में राजस्थान और गुजरात ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रमुख कदम उठाए हैं। हालांकि, इन राज्यों के लिए अपनी नीतियों में सुधार करना आवश्यक है, ताकि वे अधिक प्रभावी ढंग से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकें और साफ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दे सकें। IEEFA की नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रीन टैरिफ, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और विकेंद्रित सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने से इन राज्यों के ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।

लेखिका : डॉ. सीमा जावेद

भारत के सभी राज्यों को राज्यों के लिए सौर एवं पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन की सख्त जरूरत है। जहां कुछ राज्यों ने क्लीन एनेर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में प्रगतिशील कदम उठाए हैं, वहीं कई अन्य राज्य अभी भी शुरुआती चरण में हैं।

इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (IEEFA) के एक नए अध्ययन में कहा गया है कि राजस्थान और गुजरात ने देश में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर मजबूत प्रदर्शन को सामने रखा गया है और अग्रणी रहे हैं। यह दोनों ही राज्य अपने बिजली क्षेत्रों में रिन्यूबल एनेर्जी स्रोतों को एकीकृत करने में सफल रहे हैं। इसके चलते इन राज्यों में विद्युत उत्पादन क्षेत्र को कार्बन मुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।, लेकिन उनकी नीतियों में कुछ सुधार उन्हें भारत के एनेर्जी ट्रांज़िशन(जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए इस्तेमाल में ज़्यादा से ज़्यादा साफ़ ऊर्जा यानी रिन्यूऐबिल एनर्जी का उपयोग करने, जिसे तकनीकी रूप से एनर्जी ट्रांज़िशन के नाम से जाना जाता है) में और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मददगार

होंगे।

रिपोर्ट में इस अध्ययन में राजस्थान और गुजरात की नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति का विश्लेषण किया गया है।

भारत के राज्य-स्तरीय विद्युत क्षेत्र को कार्बन मुक्त बनाने के प्रयासों में तेजी लाने की ज़रूरत अब आवश्यकता बन चुकी है। क्लाइमेट चेंज के चलते गर्मी के मौसम में जानलेवा तापमान तक उबाल रहे राज्यों में अपनी ऊर्जा के उपयोग में साफ़ रिन्यूएबल ऊर्जा का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल और जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा के उपयोग में कमी लाना अपने उत्सर्जन को नेट जीरो की तरफ ले जाने का एक सफल और सुनिश्चित रास्ता है।

राजस्थान और गुजरात: नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति के अग्रणी राज्य

दरअसल राजस्थान और गुजरात दोनों राज्यों की प्रगतिशील नीतियों ने उन्हें रिन्यूऐबिल एनर्जी क्षेत्र में एक ताकत बना दिया है। यह दोनों एनेर्जी ट्रांज़िशन को अपनाने के लिए तैयार हैं। लेकिन उन्हें विशिष्ट आयामों में सुधार करने की आवश्यकता है। राजस्थान और गुजरात अपने ऊर्जा उपयोग के रूपांतरण या एनेर्जी ट्रांज़िशन, को मजबूत करने के लिए नीतिगत सुधारों की जरूरत है। ग्रीन टैरिफ का कार्यान्वयन, उसके लिए समर्पित इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना,ग्रीन बजटिंग का समावेशन, विकेंद्रित नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन, और ग्रिड आधुनिकीकरण और एनर्जी स्टोरेज में निवेश दोनों राज्यों के लिए सहायक साबित होंगे।

राजस्थान और गुजरात में ग्रीन टैरिफ और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की आवश्यकता

राजस्थान में एक ग्रीन टैरिफ का लागू करना और गुजरात में इसे कम करना उपभोक्ताओं को एक स्थिर,कम जोखिम वाले रास्ते से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर आकर्षित करेगा और बिजली वितरण कंपनियों के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करेगा।

राजस्थान और गुजरात में रिन्यूबल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना और ग्रीन बजटिंग का समावेश रिन्यूबल परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने, वित्तीय योजनाओं को सुव्यवस्थित करने और पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ आर्थिक विकास को मजबूती देगा।

विकेंद्रित नवीकरणीय ऊर्जा (DRE) को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार

डीसेंटरलाइज्ड रिन्यूऐबिल एनर्जी (डीआरई या विकेंद्रित रिन्यूऐबिल ऊर्जा ) को बढ़ावा देने और ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत बनाने से दोनोंराज्य रिन्यूबल क्षमता बढ़ाने, ग्रिड की विश्वसनीयता में सुधार और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं।

रिपोर्ट की सह-लेखिका विभूति गर्ग, निदेशक - दक्षिण एशिया, IEEFA के अनुसार -"वर्तमान में राजस्थान में कोई ग्रीन टैरिफ नहीं है, जबकि गुजरात में यह काफी ऊंचा है। दोनों राज्यों को इस दिशा में सुधार की आवश्यकता है।"

रिपोर्ट की दूसरी सह-लेखिका तान्या राणा, ऊर्जा विश्लेषक,IEEFA कहती हैं कि- "उपभोक्ताओं को प्रीमियम पर नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराते हुए, राजस्थान नवीकरणीय ऊर्जा की मांग को बढ़ा सकता है और उपभोक्ताओं पर भारी अग्रिम लागत डाले बिना नवीकरणीय ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है।'

राजस्थान और गुजरात के लिए ग्रीन बजटिंग और वित्तीय योजनाओं का महत्व

अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि राजस्थान और गुजरात अपने वित्तीय योजनाओं में ग्रीन बजटिंग को शामिल करें। ग्रीन बजटिंग से दोनों राज्यों को नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकी में निवेश को प्राथमिकता देने में मदद मिलेगी। राजस्थान और गुजरात विकेंद्रित सौर क्षमता के संदर्भ में भारत के बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हैं। फिर भी, इनकी कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का केवल 7% और 15% ही विकेंद्रित सौर से आता है, जिससे इनके पास अभी भी काफी संभावनाएं हैं। रिपोर्ट में दोनों राज्यों से विकेंद्रित नवीकरणीय ऊर्जा (डीआरई) को बढ़ावा देने के प्रयासों को बढ़ाने की सिफारिश की गई है।

रिन्यूबल एनर्जी ट्रांज़िशन में गुजरात और राजस्थान का रोल: क्या सुधार की जरूरत है?

विकेंद्रित रिन्यूएबल ऊर्जा को प्रोत्साहित करने से दोनों राज्य केंद्रित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता घटा सकते हैं, अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, रोजगार के अवसर बढ़ा सकते हैं और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं। दोनों राज्यों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए समर्पित इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना करने का भी सुझाव दिया गया है। ये फंड बड़े निवेश के लिए आवश्यक पूंजी प्रदान कर सकते हैं, जिससे राज्यों को अपने महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी।

गुजरात और राजस्थान के लिए रिन्यूबल एनेर्जी ट्रांज़िशन को तेज करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है। इसमें वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने, बाजार की गतिशीलता में सुधार करने और प्रभावी शासन को समर्थन देने जैसे रणनीतिक उपायों को लागू करना शामिल है। रिपोर्ट के सुझावों का उद्देश्य महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करना है।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार व पर्यावरणविद हैं।)

web title : New policies needed to accelerate energy transition in Rajasthan and Gujarat: IEEFA report

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