Hastakshep.com-समाचार-कच्छ के रण में मोदी सरकार और अडानी डील,कच्छ के रण में सोलर प्लांट विवाद,भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा नियम और SECI और अडानी के बीच ज़मीन का खेल,

क्या भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा नियमों से हुआ समझौता?

  • कच्छ के रण में सोलर और विंड पावर प्लांट पर विवाद
  • SECI को दी गई ज़मीन अडानी को कैसे मिली? पूरी कहानी पढ़ें!
  • मोदी सरकार, अडानी और रक्षा मंत्रालय की बैठक में क्या हुआ?
  • सीमा सुरक्षा के नियमों में बदलाव: सिर्फ़ अडानी को फायदा?

सुप्रिया श्रीनेत् ने लगाए मोदी सरकार पर गंभीर आरोप!

नई दिल्ली, 12 फरवरी 2025. क्या मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है? कांग्रेस ने मोदी सरकार पर अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए सीमा सुरक्षा नियम बदलने के गंभीर आरोप लगाए हैं!

दरअसल कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत् ने मोदी सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपने एक्स हैंडल पर लिखा-

"नरेंद्र मोदी ने अपने मित्र अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से कितना बड़ा समझौता किया है - आगे पढ़िए/ सुनिए👇

 ▪️राष्ट्रीय सुरक्षा और सरहदों की रक्षा के मद्देनज़र भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से 10 किलोमीटर तक मौजूदा गांवों और सड़कों को छोड़कर किसी भी बड़े निर्माण की अनुमति नहीं है

 ▪️लेकिन मोदी मित्र अडानी कच्छ के रण में भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 1 किलोमीटर दूर एक बहुत बड़े सोलर और विंड पॉवर प्लांट का निर्माण कर रहे हैं

 ▪️असल में हुआ ऐसा कि गुजरात के कच्छ क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी SECI को गुजरात सरकार ने एक नवीकरणीय ऊर्जा पार्क के लिए 23,000 हेक्टेयर भूमि आवंटित की थी

 ▪️लेकिन एक बाधा थी: SECI को आवंटित ज़मीन भारत-पाकिस्तान सीमा के काफी करीब थी, और वहाँ रक्षा प्रतिबंधों का मतलब था कि वह जमीन पर केवल विंड टरबाइन ही बन सकता था, सोलर पैनल नहीं लग सकता था. SECI का कहना था कि इन बंदिशों की वजह से

यह परियोजना होने में दिक्कत है

 ▪️बस फिर क्या था, अप्रैल 2023 में गुजरात के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख कर इस मामले को रक्षा मंत्रालय के साथ उठाने को कहा

 ▪️गुजरात सरकार के सोलर और विंड प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 21 अप्रैल 2023 को दिल्ली में एक गोपनीय सरकारी बैठक बुलाई गई

 ▪️इसमें सैन्य संचालन महानिदेशक, गुजरात और न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा SECI ने भी भाग लिया

 ▪️रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर टैंक मूवमेंट और सुरक्षा निगरानी में सोलर पैनलों से दिक्कतें आने की “आशंकाएं” जताई गईं थीं

 ▪️पर डेवलपर्स ने आश्वासन दिया कि “दुश्मन की टैंक गतिविधियों को देखने में  सोलर पैनल बाधा नहीं बनेंगे’’

 ▪️लेकिन सोलर पैनल के साइज में बदलाव की सैन्य अधिकारियों के अनुरोध को डेवलपर्स ने खारिज कर दिया था

 ▪️बैठक के अंत में, रक्षा मंत्रालय ने सोलर पैनलों को 2 किमी और विंड टरबाइनों को पाकिस्तान से 1 किमी के करीब बनाने की अनुमति दे दी

 ▪️8 मई 2023 तक मोदी सरकार ने इस फैसले को औपचारिक रूप भी दे दिया था

 ▪️यही नहीं, नियमों में परिवर्तन बताने के लिए सभी मंत्रालयों को एक अधिसूचना जारी की गई

 ▪️और फिर हुआ खेल, SECI की सभी चिंताओं के निवारण के बावजूद 3 महीने बाद, कंपनी ने नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर जमीन वापस कर दी

 ▪️इसके बाद गुजरात सरकार ने इसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए आरक्षित करने के अपने पहले के फैसले को पलटा और इसे अडानी को आवंटित कर दिया

 ▪️🔺▪️तो ऐसे केंद्र की मोदी और गुजरात की BJP सरकार ने पूरी साँठगाँठ से साज़िश रचकर, सारे नियम कानून बदल कर ज़मीन अंततोगत्वा अडानी को सौंप ही दी

 ▪️🔺▪️और कमाल की बात यह है कि नियम में राहत ना केवल भारत-पाकिस्तान सीमा पर, बल्कि बांग्लादेश, चीन, म्यांमार और नेपाल से सटी सरहद पर भी कर दी गई

 🔺🔺इतना बड़ा रणनैतिक फैसला जो कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डाल सकता है - वो सिर्फ़ अडानी को सस्ती जमीन देने के अंदेशे से लिया गया

 🔺🔺सीमा सुरक्षा के मानदंडों और नियमों में बदलाव करके नरेंद्र मोदी ने हमारी भूभागीय अखंडता के साथ भद्दा मज़ाक किया है. यह है इनका फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद और नक़ली देशप्रेम"

 

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