संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक अध्ययन में यहबात सामने आई है कि पिछले तीन दशकों में दुनिया भर में डायबिटीज़ के मामलों में चार गुना से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। वर्ष 2024में 80 करोड़ वयस्क डायबिटीज़ के साथ जीवन जी रहे हैं, जो एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट को दर्शाता है।
'विश्व मधुमेह दिवस' (World Diabetes Day) के अवसर पर जारी इस रिपोर्ट में पाया गया कि टाइप 2 डायबिटीज़, जो इन्सुलिन प्रतिरोध के कारण होती है, सबसे अधिक बढ़ रही है, और इसका प्रभाव विशेष रूप से निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में अधिक देखने को मिल रहा है। इस संबंध में पढ़ें संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह ख़बर
संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक अध्ययन दर्शाता है कि विश्व भर में डायबिटीज़ के साथ जीवन गुज़ार रहे वयस्कों की संख्या 80 करोड़ के आँकड़े को पार कर गई है. गुरूवार, 14 नवम्बर, को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ के अवसर पर लॉन्सेट जर्नल द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के बाद से अब तक, ये चार गुना से अधिक की वृद्धि है.
डायबिटीज़, रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने की एक ऐसी अवस्था है जिसका देर से पता चलने, या सही ढँग से उपचार ना किए जाने से, हृदय, रक्त धमनियों, आँखों, गुर्दों और स्नायुतन्त्रों को गम्भीर नुक़सान पहुँच सकता है.
सबसे अधिक मामले, ‘टाइप 2’
अध्ययन के अनुसार वयस्कों में डायबिटीज़ के मामलों में 1990 से 2022 के दौरान उछाल आया और ये 7 प्रतिशत से बढ़कर 14 प्रतिशत पर पहुँच गए.
निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में सबसे अधिक बढ़ोत्तरी हुई है, जहाँ डायबिटीज़ की दरों में बढ़ोत्तरी हुई है जबकि वहाँ उपचार की सुलभता कम है. यह रुझान वैश्विक असमानताओं को प्रदर्शित करता है.
वर्ष 2022 में, 30 वर्ष या उससे अधिक आयु के क़रीब 45 करोड़ वयस्कों को ज़रूरी उपचार उपलब्ध नहीं था. डायबिटीज़ की अवस्था में रह रहे कुल वयस्कों का यह 59 फ़ीसदी है, जिनमें से 90 फ़ीसदी निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में रह रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि पिछले तीन दशकों में डायबिटीज़ मामलों में चिन्ताजनक उछाल आया है, जोकि मोटापे में हुई बढ़ोत्तरी को दर्शाता है. स्वास्थ्य के लिए ख़राब खाद्य वस्तुओं, शारीरिक गतिविधियों में कमी और आर्थिक कठिनाइयों के कारण यह समस्या और गहरी हो रही है.
उन्होंने कहा कि डायबिटीज़ की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए, देशों को तुरन्त क़दम उठाने होंगे. उन्हें ऐसी नीतियाँ लागू करनी होंगी, जिनसे स्वस्थ आहार व शारीरिक गतिविधियों को समर्थन दिया जाए, और मधुमेह की रोकथाम, जल्द निदान व उपचार के लिए व्यवस्था हो.
अध्ययन में डायबिटीज़ दरों के मामले में वैश्विक स्तर पर व्याप्त भिन्नताओं को भी उजागर किया गया है. उदाहरण के लिए, दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्व भूमध्यसागर क्षेत्र में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की 20 फ़ीसदी वयस्क आबादी इससे पीड़ित है.
इन दोनों क्षेत्रों और अफ़्रीकी क्षेत्र में डायबिटीज़ के उपचार के लिए कवरेज सबसे कम है. हर 10 में से केवल 4 वयस्कों को ही ग्लूकोज़ कम करने वाली दवा मिल पा रही है.
डायबिटीज़ के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने एक वैश्विक निगरानी फ़्रेमवर्क की शुरुआत की है, जिसके तहत रोकथाम उपायों, उपचार व देखभाल प्रयासों का आकलन किया जा सकेगा.
बताया गया है कि कुछ अहम संकेतकों, जैसेकि ‘ग्लाइसिमिक’ नियंत्रण, हाइपरटेंशन और दवाओं की सुलभता की निगरानी के ज़रिये बेहतर ढंग से उपाय किए जा सकते हैं.
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Web Title : World Diabetes Day 2024= Alarming rise in diabetes cases worldwide, fourfold increase from 1990 to 2022