Hastakshep.com-स्वास्थ्य-World Zoonoses Day in Hindi-विश्व जूनोसिस दिवस

विश्व जूनोसिस दिवस पर जन-जागरूकता बढ़ाना: क्या सभी पशु रोग जूनोटिक होते हैं ?

World Zoonosis Day! Raising Awareness on spread of disease from animals to humans

विश्व ज़ूनोसिस दिवस (World Zoonosis Day in Hindi) एक ज़ूनोटिक बीमारी के खिलाफ पहले टीकाकरण की वर्षगाँठ का प्रतीक है। उल्लेखनीय है कि 06 जुलाई, 1885 को लुई पाश्चर ने एक घातक जूनोटिक बीमारी रेबीज के खिलाफ सफलतापूर्वक पहला टीका लगाया था। उनके इस काम ने अनगिनत लोगों की जान बचाई है। इसके साथ ही जूनोटिक रोगों को रोकने और उसकी रोकथाम की कोशिशों को प्रेरित करना जारी रखा हुआ है।

World Zoonoses Day 2024: History, Significance, Theme And All You Need To Know About The Day

विश्व जूनोसिस दिवस के उपलक्ष्य में, भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा विश्व जूनोसिस दिवस की पूर्व संध्या पर पशुपालन और डेयरी सचिव (एएचडी) की अध्यक्षता में एक बातचीत सत्र का आयोजन किया गया।

ज़ूनोसिस क्या होता है?

जूनोसिस संक्रामक रोग हैं इनका संक्रमण जानवरों से मनुष्यों में हो सकता है, जैसे रेबीज, एंथ्रेक्स, इन्फ्लूएंजा (एच1 एन1 और एच5 एन1), निपाह, कोविड-19, ब्रुसेलोसिस और तपेदिक। ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और कवक फफूंद सहित विभिन्न रोगजनकों के कारण होते हैं।

क्यासभी पशु रोग जूनोटिक होते हैं ?

यद्यापि, सभी पशु रोग जूनोटिक नहीं होते हैं। कई बीमारियाँ पशुधन को प्रभावित करती हैं किन्तु मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नही हैं। ये गैर-जूनोटिक रोग (Non-zoonotic diseases) प्रजाति-विशिष्ट हैं और मनुष्यों को संक्रमित नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए खुरपका और मुँहपका रोग, पी.पी.आर., लम्पी स्किन डिजीज, क्लासिकल स्वाइन फीवर और रानीखेत रोग इसमें शामिल हैं। प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों और पशुओं के प्रति अनावश्यक भय और दोषारोपण को दूर करने लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन सी बीमारियाँ जूनोटिक हैं।

भारत में पशुधन

style="text-align: justify;">भारत पशुधन की सबसे बड़ी आबादी से सम्पन्न है, जिसमें 536 मिलियन पशुधन और 851 मिलियन मुर्गी हैं, जो क्रमशः वैश्विक पशुधन और मुर्गी आबादी का लगभग 11% और 18% है। इसके अतिरिक्त, भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक और वैश्विक स्तर पर अंडों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

भारत में अफ्रीकी स्वाइन फीवर

अभी कुछ समय पहले, केरल के त्रिशूर जिले के मदक्कथरन पंचायत में अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever एएसएफ) की पुष्टि हुई थी। एएसएफ की पुष्टि सर्वप्रथम भारत में मई 2020 में असम और अरुणाचल प्रदेश में की गई थी। तब से, यह बीमारी देश के लगभग 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैल चुकी है। विभाग ने वर्ष 2020 में एएसएफ के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की।

वर्तमान स्थिति के लिए, राज्य पशुपालन विभाग द्वारा त्वरित प्रतिक्रिया दलों का गठन किया गया है, और 5 जुलाई, 2024 को उपरिकेंद्र के 1 किमी के दायरे में सूअरों को न्यूनीकरण के लिए मारने का कार्य किया गया। कुल 310 सूअरों को मारकर उन्हें गहरे खोद कर दफना दिया गया। कार्य योजना के अनुसार आगे की निगरानी उपरिकेंद्र के 10 किमी के दायरे में की जानी है।

क्या अफ्रीकी स्वाइन फीवर जूनोटिक है?

 यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एएसएफ जूनोटिक नहीं है और मनुष्यों में इसका संक्रमण नहीं हो सकता है। वर्तमान में, एएसएफ के लिए कोई टीका नहीं है।

जूनोटिक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कैसे करें ?

जूनोटिक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण टीकाकरण, उत्तम स्वच्छता, पशुपालन पद्धति और रोगवाहक नियंत्रण पर निर्भर करता है। वन हेल्थ विज़न के माध्यम से सहयोगात्मक प्रयास, जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के परस्पर महत्वपूर्ण संबंध को दर्शाता है। पशु चिकित्सकों, चिकित्सा पेशेवरों और पर्यावरण वैज्ञानिकों के बीच सहयोग जूनोटिक रोगों को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए आवश्यक है।

जूनोटिक रोगों के जोखिम को कम करने के लिए, पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने एनएडीसीपी के तहत गोजातीय बछड़ों के ब्रुसेला टीकाकरण के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया है और एएससीएडी के तहत रेबीज टीकाकरण किया गया है। विभाग आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पशु रोगों के लिए एक व्यापक राष्ट्रव्यापी निगरानी योजना भी कार्यान्वित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, वन हेल्थ विज़न के तहत, राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल (एनजेओआरटी) की स्थापना की गई है, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर, पशुपालन और डेयरी विभाग, आईसीएआर और पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह स्वास्थ्य दल अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (एचपीएआई) के सहयोगी प्रकोप जांच में सक्रिय रूप से जुड़ा रहा है।

जागरूकता रोग की शुरुआती पहचान, रोकथाम और नियंत्रण में सहायक है, जिससे अंततः सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है। जूनोटिक और गैर-जूनोटिक रोगों के बीच के अंतर के बारे में जनता को शिक्षित करने से अनावश्यक भय को दूर करने में सहयोग मिलता है और पशु स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए अधिक सूचित दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है।

यद्यपि जूनोटिक रोग महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम की स्थिति को दर्शाते हैं, इसकी पहचान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि कई पशुधन रोग गैर-जूनोटिक हैं और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करते हैं। इस अंतर को समझकर और उचित रोग प्रबंधन पद्धितयों पर ध्यान केंद्रित करके, हम पशु और मनुष्य दोनों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे सभी के लिए एक सुरक्षित और अधिक सुरक्षित पर्यावरण में योगदान मिल सके।

विश्व जूनोसिस दिवसक्यों मनाया जाता है ? (Why is World Zoonoses Day celebrated?)

विश्व जूनोसिस दिवस लुई पाश्चर के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाया जाता है, जिन्होंने 6 जुलाई, 1885 को एक जूनोटिक बीमारी, रेबीज का पहला सफल टीका लगाया था। यह दिन जूनोसिस के बारे में जागरूक करने, साथ ही ऐसी बीमारियाँ जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती हैं और इनके निवारक और नियंत्रण उपायों को बढ़ावा के प्रति समर्पित है।

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