अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि रॉबर्ट ब्राउनिंग की पंक्तियाँ "ग्रो ओल्ड अलौंग विथ मी, दी बेस्ट इस येट टू बी" (जीवन का सफ़र संग तय करो, अभी सर्वोत्तम शेष है) कितनी सारगर्भित हैं। कदाचित इसी आशा को पूर्णता प्रदान करने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 अक्टूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ़ ओल्डर पीपुल (अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस) मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है वरिष्ठ नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना. वर्ष 2020 में इस दिवस की 30वीं वर्षगाँठ है।
आज के युग में प्रगति के फलस्वरूप एक ओर तो औसत जीवन-काल बढ़ा है और जन्म-दर में गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर यह भी हकीकत है कि वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में वृद्धि हुई है. अनुमान है कि 2050 तक वैश्विक आबादी का 22% (यानि दो अरब लोग), 60 वर्ष से अधिक आयु-वर्ग के होंगे और विश्व में बच्चों की तुलना में वृद्धों की संख्या अधिक हो जाएगी।
लम्बा जीवन काल अपने साथ न केवल वृद्धों और उनके परिवार के लिए, अपितु पूरे समाज के लिए, अनेक सुअवसरों को लाता है। परन्तु इन अवसरों का अनुकूल उपयोग करने में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का बहुत बड़ा योगदान होता है। बढ़ती उम्र के मुद्दे वैश्विक सतत विकास के सभी 17 लक्ष्यों (All 17 goals of global sustainable development) में निहित हैं, विशेष रूप से लक्ष्य ३ जिसका उद्देश्य है सभी आयु के लोगों के लिए स्वस्थ और कल्याणकारी जीवन सुनिश्चित करना।
उम्र का बढ़ना जीवन का एक अटूट सत्य है और यह जन्म लेने के समय से ही प्रारंभ हो जाने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। हम सभी को इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि हमारी उम्र दिन प्रतिदिन बढ़ रही है जो प्राकृतिक है। फिर भी हम बढ़ती उम्र से डरते हैं या उसे स्वीकार करने में झिझकते हैं। मनुष्य अनेक वर्षों तक जीवित तो रहना चाहता है परन्तु बूढ़ा नहीं होना चाहता। कदाचित हमारे मन में बढ़ती उम्र और बुज़ुर्गियत को लेकर एक नकारात्मक छवि है जो हमारे अंदर अपनी युवावस्था खोने का डर बना देती है। इस डर के चलते अनेक लोग इस प्रयास में लगे रहते हैं कि वे अधिक उम्र के न दिखे।
फ़ैशन उद्योग भी बुढ़ापा विरोधी (एंटी एजिंग) सौन्दर्य उत्पादों के विज्ञापनों (Advertisements for anti-aging beauty products) के ज़रिए इन झूठी मान्यताओं को बढ़ावा देता है और सुंदरता को युवावस्था से जोड़ता है। लेकिन युवा जैसा दिखना और स्वस्थ होना दो अलग-अलग बातें हैं।
कुछ व्यक्ति अवस्था से पूर्व ही वृद्ध दिखाई देने लगते हैं और अनेक व्यक्ति अपनी अधिक उम्र के बावजूद चुस्त दुरुस्त रहते हैं। आज के समय में ऐसे बहुत से युवा हैं जो कम उम्र में भी अनेक स्वास्थ्य-सम्बन्धी समस्याओं से जूझ रहे हैं जो कभी अधिक उम्र के लोगों में अधिक प्रचलित हुआ करती थीं - जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि। इसके विपरीत ऐसे लोग भी हैं जो अधिक उम्र होने पर भी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ व सक्रिय हैं। जापान के ओकिनावा द्वीप में 56000 से अधिक लोग 100 साल से अधिक आयु के हैं एवं स्वस्थ हैं.
सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) की संस्थापिका और लोरेटो कान्वेंट कॉलेज की पूर्व वरिष्ठ शिक्षिका शोभा शुक्ला ने कहा कि
"अत: यदि सतत विकास का सपना सभी के लिए पूरा करना है, जिसमें समाज का हर व्यक्ति और हर वर्ग बराबरी और सम्मान-अधिकार से शामिल हो, तो यह ज़रूरी है कि जीवन की हर आयु को हम अंगीकार करें, हर आयु की विशेष ज़रूरतों को समझें, उनके प्रति संवेदनशील हों, और सामाजिक सुरक्षा और विकास के ढाँचे में यह सुनिश्चित करें कि हर उम्र के लोगों को भरपूर ज़िन्दगी जीने का अवसर मिल रहा हो।"
इसीलिए एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के सबसे बड़े प्रजनन और यौनिक स्वास्थ्य अधिवेशन में हर आयु के व्यक्ति के लिए समोचित और उम्र एवं सांस्कृतिक दृष्टि से उपयुक्त स्वास्थ्य अधिकार की बात की गयी जिसमें अधिक उम्र के लोग भी शामिल हैं; और बढती उम्र के प्रति नकारात्मकता, शोषण और मिथ्या को मिटाने का आह्वान भी किया गया।
१०वीं एशिया पैसिफ़िक कान्फ्रेंस ऑन रिप्रोडक्टिव एंड सेक्सुअल हैल्थ एंड राइट्स (10th Asia Pacific Conference on Reproductive and Sexual Health and Rights) के वर्चुअल सत्र में भाग लेते हुए विशेषज्ञों ने वृद्धावस्था का सामना करने और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सार्थक और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने पर अपने विचार रखे. इनमें से कुछ के विचारों के अंश यहां पर प्रस्तुत हैं :
कृष्ण मुरारी गौतम, संस्थापक एजिंग नेपाल के बारे में जानिए | Learn about Krishna Murari Gautam, Founder of Aging Nepal
कृष्ण मुरारी गौतम जो स्वयं एक वरिष्ठ नागरिक हैं, एजिंग नेपाल के संस्थापक अध्यक्ष हैं। उनकी संस्था को इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र (यूनेस्को) किंग सेजोय साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार इस संस्था द्वारा 2016 से अशिक्षित वृद्धों को बुनियादी रूप से साक्षर करने के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम 'बेसिक लिटरेसी फॉर ओल्डर एडल्ट्स' (Basic Literacy for Older Adults) के लिए प्रदान किया गया है।
गौतम के अनुसार, "पिछले 70 वर्षों में औसत जीवन काल लगभग 40 साल बढ़ा है, लेकिन देशों के पास इन अतिरिक्त जीवन वर्षों का उपयोग राष्ट्रीय विकास और सामाजिक उत्थान के लिए करने हेतु कोई ठोस योजना ही नहीं है. हमारे राजनेता और नीतिज्ञ इस वृद्ध होते हुए समाज से निपटने के लिए तत्पर नहीं हैं. वे यह भूल रहे हैं कि कोई भी सतत विकास लक्ष्य विश्व की इस 20% आबादी को अलग छोड़कर प्राप्त नहीं किया जा सकता है."
"हमारी शिक्षा और सूचना-प्रणाली भी वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकताओं को नज़रअंदाज़ कर रही है. क्या हमारे यौन-शिक्षा पाठ्यक्रम में वृद्धावस्था, बढती उम्र के लोगों की यौनिकता, तथा उनके साथ दुर्व्यवहार आदि विषय शामिल हैं? हमारे पास बच्चों और युवाओं के लिए साहित्य है, किन्तु वृद्धों के लिए साहित्य की उपलब्धता पर कोई विचार नहीं है। जब कोई व्यक्ति बूढ़ा हो जाता है तो हम उससे धर्मग्रंथ और धार्मिक पुस्तकें पढ़ने की उम्मीद करते हैं। बुजुर्गों के लिए पर्याप्त साहित्य और सामयिक सूचना-प्रणाली का नितांत अभाव है। साक्षरता तथा शिक्षा सभी आयु वर्गों के लिए अति महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या हमारे पास ऐसे कॉलेज हैं जहां वरिष्ठ नागरिक नई डिजिटल तकनीक सीख सकें?"
आज के युग में ज़रूरत तो इसकी है कि बढ़ती उम्र के साथ लोग नयी तकनीक सीखते रहें जो उनके लिए उपयोगी हो. ऐसी व्यवस्था जिसमें हर आयु के लोग सम्मान के साथ तकनीक सीख सकें सतत विकास के लिए ज़रूरी है।
"बढ़ती उम्र के साथ लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर खुल कर बात करनी चाहिए। यह तभी संभव है जब उनके पास ऐसे ज़रिये हों जहाँ बिना झिझक के वह अपनी बात साझा कर सकें। जैसी कि, उनके अपने रेडियो कार्यक्रम हों, दैनिक अखबार हों और अपना साहित्य व पत्रिकाएं हों। अपनी समस्याएं और आपबीती अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए उन्हें मीडिया का भी सहारा लेना चाहिए। मेरी समझ से समाज बुज़ुर्गों के विरुद्ध नहीं है। शायद हम लोग ही अपने मुद्दे और परेशानियां ठीक से व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। समाज की मुख्यधारा में बने रहने के लिए निरंतर वार्तालाप बहुत ज़रूरी है।"
It is a gross misconception that older people are not sexually active.
अमेरिका में रहने वाली सोनो आईबे, जो अनेक संगठनों के साथ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं, का कहना है कि, "यह एक आम, परन्तु नितांत गलत, धारणा है कि वृद्ध लोग यौन सक्रिय नहीं होते हैं और उन्हें यौन स्वास्थ्य सेवाओं और परामर्श की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि सतत विकास लक्ष्य 3.7 यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच की बात करता है, परन्तु वरिष्ठ नागरिकों की इन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच न के बराबर है। अधिकांश चर्चाएँ यौन रोगों पर होती हैं। यहाँ तक कि स्वास्थ्य कर्मी भी नियमित स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में यौन मामलों पर बमुश्किल ही कोई चर्चा करते हैं। निम्न आय वर्ग के देशों में तो वैसे ही स्वास्थ्य संबंधी संसाधन सीमित हैं। अतः अधिकांश महिलाओं की प्रजनन और मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रमों तक पहुँच सीमित होने के कारण वे आयु अनुकूल रोग निरोधी शिक्षा और स्तन कैंसर तथा गर्भाशय के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की नियमित जाँच से वंचित रह जाती हैं, जिसके उन्हें जान लेवा परिणाम झेलने पड़ते हैं। युवा और वरिष्ठ जन को एक साथ मिलकर यौनिक तथा प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों पर समावेशी दृष्टिकोण के समर्थन हेतु काम करते हुए परस्पर सहयोग बनाए रखना चाहिए, ताकि 'सबके लिए सतत विकास' में बुज़ुर्ग भी शामिल रहें।"
“Ageism is a barrier to sexual health for older people.
कैटलिन लिटलटन, हेल्पएज इंटरनेशनल एशिया पेसिफिक क्षेत्र की क्षेत्रीय कार्यक्रम सलाहकार हैं। उनके शब्दों में, "वृद्धों और वृद्धावस्था के बारे में समाज में लोग जो धारणा बनाते हैं वह वास्तविकता से बहुत दूर है। यह माना जाता है कि वरिष्ठ नागरिक में यौनिकता है ही नहीं, जो सरासर गलत धारणा है। उम्र दराज़ लोगों का यौनिक रूप से सक्रीय होना सामान्य बात है। इस प्रकार के अनेक पूर्वाग्रह व भेदभाव के परिणाम स्वरुप वृद्ध जनों के व्यक्तिगत अनुभवों और ज़रूरतों को नजरंदाज किया जाता है। वरिष्ठ नागरिकों को यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम से बाहर रखा गया है। यहां तक कि एचआईवी के क्षेत्र में भी बुज़ुर्गों के लिए सुरक्षित यौन की कोई चर्चा नहीं है और पूरा ध्यान युवा पीढ़ी पर ही केंद्रित है, जिसके बुरे परिणाम सामने आ रहे हैं। यौन स्वास्थ्य पर प्रगति हासिल करने के लिए वृद्धों के प्रति रूढ़िवादी विचारों तथा भेदभावपूर्ण प्रथाओं को खारिज करना बहुत आवश्यक है।"
Sai Jyothirmai Racherla - Deputy Executive Director of The Asian-Pacific Resource & Research Centre for Women (ARROW)
एशिया पेसिफिक रिसोर्स सेंटर फॉर वूमेन (एरो) की कार्यक्रम निदेशक साईं ज्योतिर्मई रचेर्ला के अनुसार,
"हमें एक ऐसे व्यापक, एकीकृत और नीतिगत ढांचे की ज़रुरत है जो राष्ट्रीय विकास नीतियों और योजनाओं में उम्रदराज लोगों का पक्ष रख सके, रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य प्रणालियों को संरेखित कर सके, और सबके-लिए-स्वास्थ्य-सुरक्षा (यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज) को बढ़ावा दे, ताकि वृद्ध जनों को गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त उपलब्ध हों। वृद्ध व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके साथ होने वाली हिंसा, भेदभाव और दुर्व्यवहार को भी सम्बोधित करके उसे समाप्त करना भी ज़रूरी है। दीर्घायु क्रांति को इष्टतम बनाने के लिए यह अति आवश्यक है कि वृद्ध व्यक्तियों का जीवन गुणवत्ता और गरिमा से परिपूर्ण हो और साथ ही साथ जीवन दृष्टिकोण के अंतर्गत उनके मानवाधिकार और लैंगिक समानता भी सुनिश्चित हो।"
इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन पॉपुलेशन एंड डेवलपमेंट (आईसीपीडी) प्रोग्राम ऑफ़ एक्शन भी सरकारों से निम्नलिखित कार्यवाही की माँग करता है –
बुजुर्गों की आत्मनिर्भरता में वृद्धि और उनके जीवन-स्तर में सुधार; महिलाओं को मद्देनज़र रखते हुए स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की प्रणालियां विकसित करना; बुजुर्गों को एक स्वस्थ और उपयोगी जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना; और बुजुर्ग लोगों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा और भेदभाव को समाप्त करना।
माया जोशी - सीएनएस
(भारत संचार निगम लिमिटेड - बीएसएनएल - से सेवानिवृत्त माया जोशी अब सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) के लिए स्वास्थ्य और विकास सम्बंधित मुद्दों पर निरंतर लिख रही हैं)
Note : Background of International Day of Older People
On 14 December 1990, the United Nations General Assembly designated October 1 as the International Day of Older Persons (resolution 45/106). This was preceded by initiatives such as the Vienna International Plan of Action on Ageing, which was adopted by the 1982 World Assembly on Ageing and endorsed later that year by the UN General Assembly.
In 1991, the General Assembly adopted the United Nations Principles for Older Persons (resolution 46/91).
In 2002, the Second World Assembly on Ageing adopted the Madrid International Plan of Action on Ageing, to respond to the opportunities and challenges of population ageing in the 21st century and to promote the development of a society for all ages.
#COVID19 is affecting disproportionately and most severely the health, rights and well-being of older people.
On Thursday's #OlderPersonsDay & every day, let's all do our part to improve their lives and make sure their voices are heard: https://t.co/hSia0NNG1b pic.twitter.com/xjrHvSssAj— United Nations (@UN) October 1, 2020
Today is International Day of Older Persons ??@WHO in the Western Pacific calls for building dementia-inclusive communities so older people with #dementia can live healthier lives.
Learn more: https://t.co/0B8j1zKDn8 pic.twitter.com/1qVifrNEkk— World Health Organization Philippines (@WHOPhilippines) October 1, 2020