पटना 27 फरवरी. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (Rashtriya Lok Samata Party) ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि कृषि कानून किसानों के हित के लिए नहीं पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है.
रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक और प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता धीरज सिंह कुशवाहा ने पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से यह बात कही.
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संतोष कुशवाहा, प्रधान महासचिव निर्मल कुशवाहा, अभियान समिति के अध्यक्ष जीतेंद्र नाथ, आईटी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रोशन राजा, अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुभाष चंद्रवंशी, प्रदेश महासचिव राजदेव सिंह, पार्टी नेता रामपुकार सिन्हा, किसान प्रकोष्ठ के प्रधान महासचिव रामशरण कुशवाहा, संगठन सचिव विनोद कुमार पप्पू और सचिव राजेश सिंह भी इस मौके पर मौजूद थे.
रालोसपा नेताओं ने कहा कि इन कानूनों के ड्राफ्ट से लेकर इसे लाने की नीयत के पीछे किसानों का हित कहीं है ही नहीं, हित उनका है जो रातोरात महामारी आपदा में अवसर तलाशते हुए बड़े बड़े सायलो बना कर पूरी कृषि व्यवस्था को अपने कॉरपोरेट में हड़प जाने की नीयत रखते हैं.
रालोसपा ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार बता नहीं रही है कि कानून की अच्छाइयां क्या हैं और अगर कुछ है तो क्या वह किसानों को समझाया गया और नहीं समझाने के बावजूद सरकार समर्थकों को क्यों कैसे समझ में आ
रालोसपा ने कहा कि दरअसल सरकार की नीयत ही काली है. वह किसानों के साथ नहीं पूंजीपतियों के साथ कदमताल करती दिख रही है.
रालोसपा नेताओं ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में विवाद होने पर, सिविल कोर्ट में वाद दायर करने के न्यायिक अधिकार से किसानों को वंचित रखना, कानून का काला पक्ष है. इसके अलावा निजी क्षेत्र की मंडी को टैक्स के दायरे से बाहर रखना, सरकार खुद तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदे और निजी मंडियों को अपनी मनमर्जी से खरीदने की अंकुश विहीन छूट दे दे, कानून में काला है. इनके अलावा निजी बाजार या कॉरपोरेट को उपज की मनचाही कीमत तय करने की अनियंत्रित छूट देना, कानून भी कानून में काला है. रालोसपा ने सवाल उठाया कि जमाखोरी के अपराध को वैध बनाना काला नहीं है तो क्या है. यानी किसी भी व्यक्ति, कंपनी, कॉरपोरेट को, असीमित मात्रा में, असीमित समय तक के लिए जमाखोरी कर के बाजार में मूल्यों की बाजीगरी करने की खुली छूट देकर सरकार ने किस तरह का खेल खेला है यह किसान और आम लोग अब समझने लगे हैं, भले भाजपा और एनडीए में शामिल दल देश को भरमा रहे हों लेकिन सच यह है कि तीनों कानून ही काले हैं.