नई दिल्ली, 07 मार्च 2021; अल्कोहल के दुरुपयोग से नजर का धुंधलापन, मांसपेशियों में तालमेल, और मानसिक स्थिति में बदलाव आता है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने लाल रक्त कोशिकाओं के आकार की हाई रेजोल्यूशन माप के जरिए उन पर अल्कोहल की लंबी अवधि के असर का पता लगाने के लिए एक प्लेटफॉर्म (A platform to detect the long-term effects of alcohol) बनाया है। रमन अनुसंधान संस्थान (Raman Research Institute आरआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस खोज में हाई रेजोल्यूशन प्लेटफॉर्म अल्कोहल के प्रभाव से आरबीसी के आकार में कमी दिखाता है। यह विभिन्न परिस्थितियों में आरबीसी की संख्या और आकार में बदलाव करती हैं। इसे प्वाइंट ऑफ केयर जांच (Point of care investigation) के लिए अनुकूल बनाया जा सकता है।
हालांकि यह पहले से ही ज्ञात है कि अल्कोहल आरबीसी को प्रभावित करता है लेकिन इसकी सटीकता के साथ शारीरिक बदलावों को मापना काफी जटिल और कठिन है। इस चुनौती को हल करने के लिए, भारत सरकार के द्वारा वित्त पोषित रमन अनुसंधान संस्थान (आरआरआई) के वैज्ञानिकों ने प्रोफेसर गौतम सोनी के नेतृत्व में विशेष निर्देशानुसार इलेक्ट्रो-फ्लूएडिक प्लेटफॉर्म को विकसित किया है। यह परिष्कृत रेजोल्यूशन से कोशिका के आकार को माप कर बदलाव का पता लगाता है।
प्रोफेसर गौतम सोनी के मुताबिक, "आरआरआई में बना यह उपकरण रिजि़स्टिव पल्स सेंसिंग सिद्धांत पर निर्भर है। दल
यह शोध कार्य हाल ही में अमेरिकन कैमिकल सोसायटी के एसीएस सेंसर्स जनरल में प्रकाशित हुआ है, जो कि डॉ. सोनी और नेशनल सेंटर फॉर बॉयोलॉजिकल साइंस (एनसीबीएस) बैंगलुरू के डॉ. वी सुंदरामूर्ति के मार्गदर्शन में शोधकर्ता सौरभ कौशिक, मनोहरा एम और केडी मुरुगन ने किया था।
लाल रक्त कणिकाओं पर अल्कोहल का असर कोशिका आयतन के मोनटनिक गिरावट के रूप में मापा गया। कोशिका आयतन में इन जटिल बदलावों की माप के लिए प्वाइंट-ऑफ-केयर उपकरण का इस्तेमाल किया गया। आरबीसी की कोशिका के आयतन में कमी का सीधा असर ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता पर पड़ सकता है, जो कि बदले में संज्ञानात्मक और शारीरिक ढांचे दोनों गतिविधियों पर असर डालती है।
प्रोफेसर सोनी ने कहा,
"हमारी प्रयोगशाला पिछले कुछ सालों से नैनोफ्लूएडिक सिंगल मॉलिक्यूल डिटेक्टर बनाने पर काम कर रही थी। हमने पाया कि नैनोफ्लूएडिक क्षेत्र में इस्तेमाल किए गए कुछ विचार माइक्रोफ्लूएडिक्स में सामान्य रूप में और कोशिका-जैविकी में विशेष रूप में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। हम अपने उपकरण के रिजोल्यूशन और उसके द्वारा बार बार नतीजे देने की क्षमता से सुखद रूप से आश्चर्यचकित थे।"
कोशिका के आयतन में बदलाव कई बीमारियों खासतौर पर रक्त आधारित परिस्थितियों में एक महत्वपूर्ण जैविक चिन्ह है। आयतन में बदलाव की सटीक माप का मलेरिया और सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anaemia) जैसी बीमारियों का पता लगाने के साथ ही उनके क्रियाविधिक अध्ययन के लिए इस्तेमाल होता है। इसी के साथ ही आरबीसी के आयतन में छोटा बदलाव भी कोशिका की कुपोषित अवस्था का संकेत हो सकता है। इस कार्य के साथ आरआरआई दल ने गौर किया कि हाई रेजोल्यूशन प्लेटफॉर्म को कई अन्य रक्त आधारित परिस्थितियों में प्वाइंट ऑफ केयर जांच के अनुसार बनाया जा सकता है।