आज यहां जारी एक वक्तव्य में आईपीएफ़ प्रवक्ता पूर्व आईजी एस आर दारापुरी ने कहा कि कि मस्जिद गिराए जाने के पूर्व ही रथ यात्रा निकाल कर संघ/भाजपा परिवार ने बेहद साम्प्रदायिक माहौल बनाया था. देश भर में यह लगने लगा था कि इस बार संघ से सम्बंधित गिरोह के लोग बाबरी मस्जिद को गिरा देंगे और इसको गिराने में उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार पूरी तौर पर मददगार होगी. यहाँ यह भी दर्ज करने लायक है कि आईपीएफ़, सीपीएम, सीपीआई, और वी. पी. सिंह की अगुवाई वाले जनता दल ने दिसंबर, 1992 के प्रथम सप्ताह में लखनऊ में बैठक करके उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा था कि बाबरी मस्जिद गिरा देने की पूरी साजिश उत्तर प्रदेश सरकार के सक्रिय सहयोग से चल रही है और यदि उचित सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की गयी तो निश्चय ही बाबरी म्सिजद गिरा दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि इसी अनुक्रम में 5 दिसंबर,1992 को सभी लोकतान्त्रिक, धर्मनिरपेक्ष और वाम ताकतों से अपील की गयी थी कि वे लखनऊ पहुंचें और 5 दिसंबर को चारबाग से अयोध्या कूच करें जिससे कि शांति और सम्प्रदायिक सद्भाव वाला वातावरण बनाया जाए और कथित कारसेवकों के हमले से बाबरी मसिजद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की रक्षा हो सके. तय कार्यक्रम के अनुसार
अतः आईपीएफ का यह राष्ट्रीय प्रस्ताव सीबीआई से यह् मांग करता है कि सीबीआई उच्चतर न्यायालय में पूरे साक्ष्य के साथ अपील करे जिससे लोकतंत्र को नुकसान पहुँचाने वाले गुनाहगारों को सजा मिले ताकि न्याय हो सके.