वैश्विक व्यापार में सुधार की दिशा में प्रगति, लेकिन कमज़ोर देशों के लिए अब भी ज़रूरत है सहयोग की

वैश्विक व्यापार प्रक्रियाओं में डिजिटलीकरण और सुगमता बढ़ी, मगर कमज़ोर देशों को अब भी तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है।;

By :  Hastakshep
Update: 2025-07-09 01:39 GMT

संयुक्त राष्ट्र सर्वेक्षण: व्यापारिक प्रक्रियाओं में डिजिटलीकरण और सरलता बढ़ी

  • कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं में अब भी संरचनात्मक और तकनीकी चुनौतियाँ
  • व्यापार लागत कम करने और सप्लाई चेन सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास
  • हरित और समावेशी व्यापार की ओर बढ़ते कदम

क्षमता निर्माण और तकनीकी सहयोग की बढ़ती ज़रूरत

वैश्विक व्यापार प्रक्रियाओं में डिजिटलीकरण और सुगमता बढ़ी, मगर कमज़ोर देशों को अब भी तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। पढ़िए संयुक्त राष्ट्र समाचार की यह खबर

व्यापार सुगमता की दिशा में प्रगति, मगर कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए समर्थन ज़रूरी

8 जुलाई 2025 आर्थिक विकास

वैश्विक महामारी, भूराजनैतिक तनावों और जलवायु व्यवधानों जैसी चुनौतियों के कारण, वैश्विक व्यापार और सप्लाई चेन पर गहरा असर हुआ है, जिससे लागत बढ़ी है और ढाँचागत ख़ामियाँ उजागर हुई हैं. इसके बावजूद, संयुक्त राष्ट्र के एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, व्यापारिक गतिविधियों को सरल बनाने के लिए प्रयास जारी हैं और देशों को उसमें प्रगति हासिल हो रही है. हालांकि कम विकसित अर्थव्यवस्थाओं को क्षमता निर्माण के लिए समर्थन मुहैया कराए जाने पर भी बल दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र का नया अध्ययन दर्शाता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के दौर में, व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने और उनके डिजिटलीकरण में देशों ने प्रगति दर्ज की है.

यह डिजिटल और सतत व्यापार को प्रोत्साहन देने पर केन्द्रित इस वैश्विक सर्वेक्षण का छठा संस्करण है, जिसमें 160 अर्थव्यवस्थाओं से जानकारी जुटाई गई है. डिजिटलीकरण के ज़रिए काग़ज़ रहित व्यापार को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है.

इसके अनुसार, व्यापार सुगमता उपायों को अमल में लाए जाने की वैश्विक औसत दर को 72 प्रतिशत आंका गया है, जबकि 2023 में यह 68.8 प्रतिशत थी.

इन उपायों से तात्पर्य, देशों की सीमाओं के आर-पार व्यापार प्रक्रिया को सरल बनाना, उसमें तेज़ी लाना और क़ीमत घटाना है. इसके ज़रिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि नियामन उपायों को ऐसे लागू किया जाए कि उसका बोझ व्यापारियों पर न पड़े.

सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2023 के बाद से अब तक विश्व में सभी क्षेत्रों ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जिनमें विकसित अर्थव्यवस्थाओं की अग्रणी भूमिका है जहाँ ये उपाय लागू किए जाने की दर 86 प्रतिशत है.

हालांकि, सबसे कम विकसित देशों, भूमिबद्ध विकासशील देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों में यह दर वैश्विक औसत की तुलना में कम है, और 56 प्रतिशत से 68 प्रतिशत के बीच है.

इसकी एक बड़ी वजह इन देशों में कमज़ोर डिजिटल बुनियादी ढाँचा और पर्याप्त क़ानूनी फ़्रेमवर्क का अभाव है, जिससे सीमा-पार व्यापार को बढ़ावा देने और दस्तावेज़ों के आदान-प्रदान में चुनौती पेश आती हैं. इसके मद्देनज़र, कमज़ोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता-निर्माण प्रयासों पर बल दिया गया है ताकि व्यापार सुगमता उपायों को अपनाने में मदद मिले.

कारगर उपायों से सबक़

व्यापार एवं विकास पर यूएन सम्मेलन (UNCTAD) की महासचिव रिबेका ग्रीनस्पैन ने कहा कि कोविड-19 महामारी, भूराजनैतिक व व्यापार और नकारात्मक जलवायु प्रभावों जैसे व्यवधानों ने वैश्विक व्यापार प्रणाली की व्यवस्थागत ख़ामियों को उजागर किया है.

इससे सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ा है और व्यापार लागत में भी वृद्धि हुई है.

मंगलवार को जारी किए गए इस सर्वेक्षण नतीजों में 62 उपायों का विश्लेषण किया गया है, जोकि काग़ज़ रहित व्यापार, सीमा-पार ई-कॉमर्स और हरित व्यापार सुगमता को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ, समावेशी व्यापार तौर-तरीक़ों, जैसेकि लघु व्यवसायियों और महिला व्यापारियों के लिए अवसर बढ़ाने पर भी लक्षित हैं.

इस अध्ययन के अनुसार, पिछले दो वर्षों में, सीमा-पार काग़ज़ रहित व्यापार में सबसे अधिक बेहतरी नज़र आई है. वहीं, इलैक्ट्रॉनिक लेनदेन और डिजिटल सत्यापन के लिए क़ानूनी फ़्रेमवर्क से व्यापार के आधुनिकीकरण में मदद मिल रही है.

अनेक क्षेत्रीय पहल, जैसेकि एशिया व प्रशान्त क्षेत्र में सीमा-पार काग़ज़ रहित व्यापार फ़्रेमवर्क, और अफ़्रीका महाद्वीपीय मुक्त व्यापार समझौते से प्रगति को आगे बढ़ा पाना सम्भव हुआ है.

UNCTAD द्वारा यह सर्वेक्षण, संयुक्त राष्ट्र के पाँच क्षेत्रीय आयोगों के साथ साझेदारी में हर दो वर्ष में एक बार कराया जाता है, जिसका उद्देश्य व्यापार क्षेत्र में व्याप्त कमियों को उजागर करना और प्राथमिकताओं को तय करना है.

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