नई दिल्ली, 17 मई 2020 (अमलेन्दु उपाध्याय) : बीते दो महीने में दुनिया भर में लोगों ने कोविड-19 के जवाब में अभूतपूर्व सरकारी वित्तीय हस्तक्षेप देखे हैं। भारत को छोड़कर पूरी दुनिया में सरकारों की पहली प्राथमिकता अपने नागरिकों पर ध्यान केंद्रित करना रहा, जिसके तहत सरकारों ने लगभग 73 प्रतिशत खर्च सीधे नागरिकों के हाथों में किया।
लेकिन विविड इकोनॉमिक्स (Vivid Economics,) द्वारा किए गए नए विश्लेषण से पता चलता है कि शेष 27% पैसा- लगभग 2.2 ट्रिलियन डॉलर होता है, सीधे उन व्यवसायों को जा रहा है, जो भविष्य में पर्यावरणीय स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।
विविड इकोनॉमिक्स एक रणनीतिक अर्थशास्त्र कंसल्टेंसी (strategic economics consultancy,) है, जो एक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय फोकस के साथ सार्वजनिक नीति पर प्रकाश डालती है।
जैव विविधता के लिए वित्त पोषण के सहयोग से विविड इकोनॉमिक्स अपडेटेड ग्रीन स्टिमुलस इंडेक्स (updated Green Stimulus Index) जारी किया है। विश्लेषण में ब्राजील, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको और रूस को सूची में जोड़ा गया है जिसमें पहले से ही अमेरिका, चीन और कई यूरोपीय संघ के देश शामिल हैं।
अपडेट किए गए इंडेक्स में पाया गया है कि विश्लेषण की गई 16 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में, आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज कुल उत्तेजना प्रवाह का लगभग 27 प्रतिशत, जो 2.2 ट्रिलियन यूएस डॉलर होता है, निवेश करेंगे, जो सीधे उन क्षेत्रों को पहुंचेगा जो प्रकृति पर एक बड़ा और स्थायी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में कहा गया है कि 16 में से 13 देश ऐसी परियोजनाओं का समर्थन कर रहे हैं, जो प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में यह भी कहा गया है कि कॉर्पोरेट के लिए बेल आउट पैकेज