मशहूर अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की क्रूज पार्टी में ड्रग्स लेने पर गिरफ्तारी की जब खबरें (News of arrest for taking drugs at the cruise party of Aryan Khan, son of famous actor Shahrukh Khan) आईं थीं, तो इसमें कई पूर्वाग्रह शामिल थे। मसलन, अमीरों की पार्टी में किस तरह नशे का लेन-देन किया जाता। नामी-गिरामी लोगों के बच्चे कैसे बिगड़े हुए होते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में किस तरह लोग नशे के आदी हैं।
तीन अक्टूबर को हुई इस घटना को बहुत से लोगों ने दो बेटों को कारनामे की तरह भी पेश किया था, क्योंकि तीन अक्टूबर को ही लखीमपुर खीरी में आशीष मिश्रा पर किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप (On October 3, in Lakhimpur Kheri, Ashish Mishra was accused of trampling the farmers by trampling them.) भी लगा था। कुछ लोगों ने तब ये सवाल उठाया था कि आर्यन को तो फौरन गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन आशीष गिरफ्त से बाहर क्यों है।
उपदेश देने में माहिर कुछ समाजसेवी किस्म के लेखकों ने आर्यन के हवाले से मां-बाप को सचेत रहने की नसीहत दे दी थी। इन फौरी प्रतिक्रियाओं से यही तस्वीर बन रही थी कि एक सफल और रईस आदमी के बेटे और उसके कुछ साथियों को पार्टी में ड्रग्स लेते हुए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने छापेमारी में पकड़ा है, ये कार्रवाई वैसी ही है, जैसे पहले की कई रेव पार्टियों में हो चुकी है। आर्यन खान को इस मामले में अब तक जमानत नहीं मिली है, 26 तारीख को हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई होगी।
लेकिन अब इस मामले के कई अनसुलझे तार सामने आ रहे हैं, जिनसे सवाल एनसीबी पर उठ रहे हैं। आर्यन खान मामले में एनसीबी पर 3 अक्टूबर से ही सवाल उठ रहे थे, क्योंकि आर्यन खान को गिरफ्तार करने के बाद ये पता चल गया था कि उन्होंने न ड्रग्स का सेवन किया, न किसी से खरीदा। फिर भी उन्हें हिरासत में रखा गया।
आर्यन खान के साथ एक व्यक्ति की सेल्फी वायरल हुई, तो उस पर भी सवाल उठे कि एनसीबी का कोई कर्मचारी इस तरह किसी अभियुक्त के साथ सेल्फी कैसे ले सकता है। बाद में इस आदमी की पहचान किरण गोसावी के रूप में हुई और ये भी पता चला कि गोसावी एनसीबी का कर्मचारी नहीं है, बल्कि एक निजी जासूस के तौर पर काम करता है। तो फिर सवाल ये उठा कि कोई बाहरी व्यक्ति एनसीबी के कार्रवाई में शामिल क्यों है। और आर्यन खान का हाथ पकड़ कर ले जाने और उसके साथ सेल्फी लेने की इजाजत उसे किसने दी।
एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े और डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह ने दावा किया है कि वो उनका पंच गवाह है और ऐसे और भी गवाहों की मदद केस में ली गई है।
एनसीबी जिसे पंच गवाह बता रही थी, उस गोसावी के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के कम से कम 4 मामले इस के बाद दर्ज हुए और अब गोसावी कहां है, कुछ पता नहीं। या तो गोसावी खुद फरार हो गया है या उसे भगाने में किसी ने मदद की है। अब ये मामला और संगीन हो गया है क्योंकि खुद को गोसावी का अंगरक्षक बताने वाले प्रभाकर सैल नाम के व्यक्ति ने हलफनामा दायर कर ये डर जतलाया है कि एनसीबी गोसावी की तरह उसे भी गायब कर देगी या मार देगी।
प्रभाकर का कहना है कि 2 अक्टूबर की सुबह 7:30 बजे से 3 अक्टूबर की शाम तक इस मामले में जो भी हुआ वह इसका गवाह है।
प्रभाकर ने पूरे विस्तार से घटनाक्रम के सभी बिंदुओं का उल्लेख हलफनामे में किया है और बताया है कि कैसे उसे एनसीबी के दफ्तर के बाहर बुलाया गया, फिर क्रूज एरिया ले जाया गया। उसे फोन पर कुछ लोगों की तस्वीरें भेजकर कहा गया कि इनमें से कोई क्रूज पर चढ़ता दिखे तो वह इसकी जानकारी गोसावी और उसके साथ आए एनसीबी के लोगों को दे। किस तरह आर्यन खान को एनसीबी दफ्तर लाया गया और फिर प्रभाकर से 10 पन्नों पर हस्ताक्षर लिए गए, जो पूरी तरह खाली थे।
प्रभाकर ने ये आरोप भी लगाया है कि इस गिरफ्तारी के बाद एनसीबी से बाहर आकर कार में बैठक गोसावी ने 25 करोड़ लेने की बात सैम डिसूजा नामक शख्स से की, फिर 18 करोड़ में बात पक्की कर आठ करोड़ समीर वानखेड़े को देने की बात भी हुई। बाद में इस बातचीत में शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी (Shahrukh Khan's manager Pooja Dadlani) को भी शामिल किया गया।
प्रभाकर के इस हलफनामे से कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। क्योंकि अब ये प्रकरण ड्रग्स का नहीं, बल्कि सीधे-सीधे अपहरण और उगाही की तरफ इशारा करता है, जिसमें एनसीबी जैसी एजेंसी का नाम भी शामिल है। एनसीबी के अधिकारी इन बातों को गलत बता रहे हैं।
समीर वानखेड़े का कहना है कि वो अदालत में इसका जवाब देंगे। लेकिन यह विचारणीय है कि आखिर इस घटना के इतने दिनों बाद प्रभाकर सैल ने ये आरोप क्यों लगाए। कुछ दिनों पहले तक एनसीबी की मदद कर रहा गोसावी आखिर एकदम से गायब कैसे हो गया? अगर किसी को फंसा कर वसूली की नीयत से यह गिरफ्तारी हुई है, तो मुंबई पुलिस को स्वत: संज्ञान लेकर मामले की जांच शुरु करना चाहिए। और इस बात की भी पड़ताल होनी चाहिए कि क्या आर्यन खान को शाहरूख खान का बेटा होने के कारण फंसाया गया है, क्या बदनीयती से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है?
नशे का कारोबार देश में एक गंभीर चिंता का विषय है (Drug trafficking is a serious concern in the country), जिसकी रोकथाम का जिम्मा एनसीबी पर है। अगर एनसीबी का नाम गलत कारणों से खराब होता है, तो सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। जांच एजेंसियां राजनैतिक हिसाब-किताब चुकता करने का जरिया न बने, यह ध्यान रखना होगा।