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नहीं रहे अरुण जेटली (Arun Jaitley is no more)। आखिरकार लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। भाजपा और देश को अपूरणीय क्षति है ये। देश को जीएसटी दे गये। और भी बहुत कुछ किया। नोटबंदी को लेकर उनके निजी विचार क्या थे- नहीं थे, यह छोड़ दें – लेकिन एक बात कोई नहीं भुला सकता कि वे अंत अंत तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा सरकार का हर मोर्चे पर बचाव करते रहे। वकील थे, वाकपटु थे, सो उनके अकाट्य तर्क और तथ्यों को परोसने की क्षमता विपक्ष की धार को कुंद कर देती थी।  यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार के संकटमोचक थे अरुण जेटली।

संकट और आलोचना के सभी मौकौं पर अरुण जेटली मजबूती के साथ खड़े हो जाते थे। अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में समान रूप से धारा प्रवाह बोलने की उनकी क्षमता संसद में गूंजती तो विपक्षी नेता निरुत्तर हो जाते। यहां तक कि बीमार होने पर भी उन्होंने मोदी सरकार के पक्ष में लिखना नहीं छोड़ा।

अरुण जेटली का आखिरी लेख 6 अगस्त को मेरे पास भी आया था। उसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35 ए को हटाने के मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले के पक्ष में जोरदार तर्क और तथ्य रखे थे। अरुण जेटली जब भी संसद के गलियारे में मिलते, मुस्कुरा कर सारे सवालों के जवाब देते। किसी सवाल से कटते या बचते नहीं थे।

मैं जब सन स्टार का संपादक था, तो सन स्टार और विकिलीक्स ने मिलकर एक बड़ा स्टिंग आपरेशन किया, जिसमें कीर्ति आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर अरुण जेटली पर बड़े आरोप लगाये। बावजूद इसके उन्होंने यह लड़ाई कानूनी तौर पर लड़ी और जीते। किसी के खिलाफ मनभेद नहीं रखा। और तो और उन्हीं अरुण जेटली ने सन स्टार को डीएवीपी में सूचीबद्ध करने में सहयोग भी किया। ऐसे बड़े दिल के

नेता अब खत्म होते जा रहे हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। नमन।

ओंकारेश्वर पांडेय

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। इस समय वह MORNING INDIA GROUP OF PUBLICATIONS के समूह संपादक हैं।)

 

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