पृथ्वी का वायुमंडल (Earth's atmosphere) हमारे लिए जीवन है जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। जेरेमी फ्रे के अनुसार जीवन के पनपने के लिए पृथ्वी पर सही वातावरण होना आवश्यक था। जब यह वातावरण अस्तित्व में आया तब जीवन के लिए परिस्थितियां निर्मित हुईं। वायुमंडल जैविक प्रणाली का अभिन्न अंग है।
हमारी पृथ्वी का वायुमंडल काफी विशाल है। यह इतना बड़ा है कि इसके कारण अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का मार्ग भी प्रभावित हो जाता है। लेकिन यह विशाल गैसीय आवरण कैसे बना? यानी सवाल यह है कि पृथ्वी पर वायुमंडल क्यों है?
वायुमंडल की उपस्थिति गुरुत्वाकर्षण की वजह से है। आज से लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तब हमारा ग्रह तरल अवस्था में था और वायुमंडल न के बराबर था। स्मिथसोनियन एनवायरमेंटल रिसर्च सेंटर (Smithsonian Environmental Research Center) के मुताबिक जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी होती गई, ज्वालामुखियों से निकलने वाली गैसों (Gases from volcanoes) से इसका वायुमंडल बनता गया। यह वायुमंडल आज के वायुमंडल से काफी अलग था। उस समय के वायुमंडल में हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन और आज की तुलना में 10 से 200 गुना अधिक कार्बन डाईऑक्साइड थी।
युनाइटेड किंगडम के साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के भौतिक रसायन विज्ञानी प्रोफेसर जेरेमी फ्रे (Jeremy Frey is Professor of Physical Chemistry
लगभग यकीन से कहा जा सकता है कि यह किसी समुद्र के पेंदे में हुआ। फिर लगभग 3 अरब वर्षों बाद, प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) विकसित होने के बाद से एक-कोशिकीय जीवों ने सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाईऑक्साइड और पानी के अणुओं को शर्करा और ऑक्सीजन गैस में परिवर्तित किया। इसी के साथ ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता गया।
पृथ्वी के वायुमंडल में आज लगभग 80 प्रतिशत नाइट्रोजन और 20 प्रतिशत ऑक्सीजन है। इसके साथ ही यहां आर्गन, कार्बन डाईऑक्साइड, जल वाष्प और कई अन्य गैसें भी मौजूद हैं। वायुमंडल में उपस्थित ये गैसें पृथ्वी को सूरज की तीक्ष्ण किरणों से बचाती हैं। प्रमुख ग्रीन हाउस गैसें (Major greenhouse gases) हैं कार्बन डाईऑक्साइड, जल वाष्प, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड। इनका होना भी आवश्यक है वरना पृथ्वी का तापमान शून्य से भी नीचे जा सकता है। हालांकि, आज ग्रीनहाउस गैसें नियंत्रण से बाहर हैं।
जैसे-जैसे हम अधिक कार्बन डाईऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ रहे है, पृथ्वी का ग्रीनहाउस प्रभाव और अधिक मज़बूत हो रहा है और धरती गर्म हो रही है। देखा जाए तो सौर मंडल के किसी भी अन्य ग्रह पर पृथ्वी जैसा वायुमंडल नहीं है। शुक्र का वायुमंडल सल्फ्यूरिक एसिड और कार्बन डाईऑक्साइड से भरा हुआ है, हवा इतनी गर्म है कि कोई भी इंसान वहां सांस नहीं ले सकता। शुक्र की सतह का तापमान इतना अधिक है कि सीसे जैसी धातु को पिघला दे और वायुमंडलीय दबाव तो पृथ्वी से लगभग 90 गुना अधिक है।
पृथ्वी का वायुमंडल हमारे लिए जीवन है जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहीं है।
जेरेमी फ्रे के अनुसार जीवन के पनपने के लिए पृथ्वी पर सही वातावरण होना आवश्यक था। जब यह वातावरण अस्तित्व में आया तब जीवन के लिए परिस्थितियां निर्मित हुईं। वायुमंडल जैविक प्रणाली का अभिन्न अंग है।
(देशबन्धु में प्रकाशित खबर का संपादित रूप)
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