जोधपुर, 24 जनवरी 2020. स्वास्थ्य संबंधी जागरुकता (Health awareness) बढ़ाने के लिए गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Fortis Memorial Research Institute, Gurugram) ने उम्मेद क्लब के सहयोग से जोधपुर में स्वास्थ्य शिविर का आयोजित किया। इंस्टीट्यूट के एक प्रवक्ता के अनुसार स्वास्थ्य शिविर में लगभग 700 लोगों ने भाग लिया और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य लोगों को विभिन्न बीमारियों, शुरुआती निदान, इलाज और रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरुक व शिक्षित करना था।
इस स्वास्थ्य शिविर में विभिन्न मेडिकल विशेषज्ञों ने लोगों को ऑर्थोपेडिक्स, रक्त कैंसर, बोन डेन्सिटोमीटरी, कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी संबंधी परामर्श दिया गया।
इसके अलावा रक्त, हड्डी, कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी संबंधी समस्याओं के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मुफ्त बीपी जांच, बोन डेन्सिटोमीटरी, ब्लड काउंट चेकअप और बीएमआई आदि सुविधाएं प्रदान की गईं। ये समस्याएं इस क्षेत्र में एक बड़ी चिंता का विषय बन गईं हैं, जिनके बारे में लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है।
गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के निदेशक डॉ. सुभाष जांगिड़ ने बताया कि हड्डी से जुड़े समस्याओं से ग्रस्त लोगों को इलाज गंभीरता से लेना चाहिए। शिविर में अर्थराइटिस के मरीजों को रोबोटिक असिस्टेंट वाली नी रिप्लेसमेंट सर्जरी (Knee Replacement Surgery with Robotic Assistants to Arthritis Patients) के बाद के बेहतरीन परिणामों के बारे में बताया गया।
“चूंकि अधिकांश लोग इस समस्या से परिचित नहीं होने के कारण वे इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, इसलिए लोगों को इस समस्या के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है। मरीजों को किसी भी प्रकार के ब्लड
भारत में, हर साल 3000 से अधिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रियाएं की जा रही हैं, इसके बाद भी कई मरीज लाइन में इंतजार करते रहते हैं। आवश्यकता और वास्तविक बीएमटी प्रक्रियाओं के बीच के अंतर का कारण जागरूकता, बुनियादी सुविधाओं, सुविधाओं और अच्छे डॉक्टरों की कमी है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रिया (Bone marrow transplant procedure) ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, इम्यून में गड़बड़ी, अप्लास्टिक एनीमिया, कुछ ऑटो इम्यून डिसऑर्डर जैसी समस्याओं का इलाज करने में अत्यधिक प्रभावी है। अब यह तकनीक ब्रेन ट्यूमर, न्यूरो बैस्टोमा और सरकोमा के लिए भी इस्तेमाल की जाने लगी है।
“एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता होने के नाते हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीवनशैली को जीने के तरीकों के बारे में शिक्षित करना है। यदि लोगों को बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी होगी और वे शुरुआती जांच के महत्व को समझने लगेंगे, तो कैंसर की आधी लड़ाई इसी से जीती जा सकती है।