बाबा, त्रिलोचन शास्त्री, अमृतलाल नागर, भीष्म साहनी, उपेंद्र नाथ अश्क, विष्णु प्रभाकर, शैलेश मटियानी, अमरकांत, मार्केंडेय, दूधनाथ सिंह, भैरव प्रसाद गुप्त, शेखर जोशी, रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, काशीनाथ सिंह जैसे महान साहित्यकारों के सानिध्य में हमेशा जनपक्षधर रचनाधर्मिता की सीख मिली है।
महाश्वेता देवी और नबारून भट्टाचार्य से भी यही सीखा। साहित्य में कोई हैसियत न होने के बाद भी नए युवा लोगों से लेकर अपढ़ जनता से निरन्तर सम्वाद की उनकी पहल की परंपरा आज कितनी बची हुई है, समकालीन महान लोग इसपर चिंतन मनन करें तो साहित्य और संस्कृति की दिशा और देश की दशा बदल सकती है।
आज बाबा नागार्जुन का जन्मदिन है। उन्हें सादर नमन।
श्री श्री बाबा नागार्जुन(जन्म-ज्येष्ठ पूर्णिमा1911ई.) आज पूर्णिमा 05जून2020ई. को 109वर्ष के होते! वे जब 1986 ई. में 75 वर्ष के हुए तो उत्तराखंड के गढ़वाली सैन्य छावनी लैंसडाउन के पास पर्वतीय ग्रामांचल जहरीखाल में जश्न-ए-नागार्जुन मनाया गया। इस उत्सव में स्थानीय जन थे ही पर नैनीताल-कोटद्वार-श्रीनगर, गढ़वाल, नजीबाबाद-अमरोहा-दिल्ली आदि जगहों से बाबा के प्रेमीजन आए। वहाँ हमारे किराए के घर में समस्या थी। उसे हमारे मकान मालिक एडवोकेट ललिता प्रसाद सुन्दरियाल जी ने पूरा घर हमें सौंपकर हल किया।
तब वहाँ एक भी होटल नहीं था। हमारे दोनों बेटों अनिमेष बेटू (तब उम्र07वर्ष) अलिन्द छोटू (सवा चार वर्ष) ने पूरे धैर्यपूर्वक अपनी माँ शकुन्तला जी का सहयोग किया।
फोटोग्राफी दक्ष फोटोग्राफर हमारे मित्र कमल जोशी (अब दिवंगत) ने की। कोटद्वार-गढ़वाल के शिक्षाविद जगतराम मिश्र जी की अध्यक्षता में यह पर्व संपन्न हुआ।
जहरीखाल के पंचायत-भवन में हुए आयोजन का ब्यौरा बाबा नागार्जुन ने हमारे घर की पंचायती डायरी में अपने हाथ से लिखा। इसे देखें-पढ़ें-महसूस. करें-आनंद लें!
--वाचस्पति,
बनारस (संत कबीर-बाबा नागार्जुन-जयन्ती--ज्येष्ठ पूर्णिमा.05जून 2020 ई.शुक्रवार)