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कुछ लोग जरूरत से ज्यादा मोटे और कुछ लोग जरूरत से ज्यादा पतले क्यों होते हैं ?

A balanced diet is the basis of a healthy life

नई दिल्ली, 22 अप्रैल ( रितु कुमार) हम अपने आस-पास अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग जरूरत से ज्यादा मोटे और कुछ लोग जरूरत से ज्यादा पतले या कमजोर होते हैं। इसी तरह अनेक बच्चे छोटी उम्र में ही मोटापे और कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं जबकि कुछ बच्चे काफी कमजोर या पतले होने की वजह से बीमारियों से ग्रसित होते हैं। क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है ? ऐसा नहीं है कि इस तरह के लोग या बच्चे खाते-पीते नहीं है या उन्हें खाने की वस्तुएं नहीं मिलती हैं।

संतुलित आहार का सेवन बेहद जरूरी क्यों  है ?

दरअसल इस तरह के मोटापे या बीमारियों की सबसे बड़ी वजह होती है उनका संतुलित आहार नहीं खाना। यानी खाने में उन पदार्थों का इस्तेमाल नहीं करना जो शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज-लवण जैसे पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं। संतुलित आहार नहीं लेने से न केवल शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है बल्कि व्यक्ति की उत्पादकता भी काफी कम हो जाती है। ऐसे में एक स्वस्थ तन और मन के साथ ही अनेक गंभीर बीमारियों से बचने के लिए संतुलित आहार का सेवन बेहद जरूरी है।

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संतुलित आहार क्या होता है | What is a balanced diet

दरअसल संतुलित आहार वह आहार है जिसमें सभी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज-लवण और जल शारीरिक जरूरत के हिसाब से उचित मात्रा में मौजूद हो। संतुलित आहार न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि लंबी उम्र भी प्रदान करता है। यह व्यक्ति के वजन को संतुलित रखने के साथ ही उत्तम स्वास्थ को बनाए रखने में काफी मददगार होता है। इसके इस्तेमाल से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमताओं का विकास होता है। संतुलित आहार के लिए जरूरी है कि खाने में सभी खाद्य समूहों जैसे अनाज, दालें, हरी सब्जियां, फल, डेयरी प्रोडक्ट, अंडा, मांस, मछली, वसा, मौसम में उपलब्ध फल और सब्जियों का सेवन पर्याप्त मात्रा में किया जाए।

आमतौर पर किसी भोजन को संतुलित तभी माना जाता है जब उस से प्रतिदिन शरीर को प्राप्त होने वाली कुल ऊर्जा का 50 से 60 प्रतिशत भाग कार्बोहाइड्रेट के जरिए, 10 से 15 प्रतिशत भाग प्रोटीन के जरिए और 20 से 30 प्रतिशत भाग वसा के जरिए प्राप्त हो। एक बात जिस पर सभी को ध्यान देना चाहिए कि आहार में संतुलन के लिए अत्यधिक मात्रा में भोजन बिलकुल जरूरी नहीं है। अधिक भोजन हमेशा गंभीर बीमारियों और मोटापे का कारण होता है।

दरअसल हर व्यक्ति को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं, आयु, लिंग के आधार पर संतुलित आहार की जरूरत होती है। जैसे ज्यादा शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति को भोजन में ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट लेना चाहिए। बच्चों की शारीरिक वृद्धि के लिए प्रोटीन जरूरी है। इसी तरह स्त्रियों के लिए लौह तत्व और कैल्शियम की जरूरत होती है। इसलिए यह जरूरी है कि शरीर की जरूरत और उम्र के हिसाब से संतुलित आहार लिया जाए।

संतुलित आहार के फायदे | Benefits of a balanced diet

संतुलित आहार के एक नहीं अनेक फायदे हैं। इससे व्यक्ति के शरीर में उन सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है जो उसे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहने के लिए जरूरी है। संतुलित आहार अनेक रोगों और संक्रमण को रोकने में सहायक होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। यह मनुष्य के मानसिक क्षमताओं और स्मरण शक्ति में भी वृद्धि करता है। संतुलित आहार आयु और लंबाई के मुताबिक उचित शारीरिक वजन को बनाए रखने में भी काफी सहायक होता है। कम आहार ग्रहण करने से मनुष्य अल्पपोषण का शिकार हो जाता है जबकि अधिक आहार ग्रहण करने से मोटापा और अन्य बीमारियां घर बना लेती हैं। ऐसे में संतुलित आहार इन सब विकारों को दूर करने का काम करता है। स्वस्थ और संतुलित भोजन से मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के विकास को रोका जा सकता है। यह उच्च रक्तचाप के इलाज में भी सहायक है।

संतुलित आहार से शरीर को रेशा और एंटीऑक्सीडेंट जैसे विटामिन सी, विटामिन ई, बीटा-कैरोटीन, राइबोफ्लेविन और सिलेनियम जैसे तत्वों की प्राप्ति होती है। इसमें फाइटोकेमिकल्स जैसे फ्लोवेन्स और पॉलिफिनॉल्स भी मौजूद होते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants) और पॉलिफिनॉल्स शरीर को अनेक प्रकार की क्षति और कई रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

संतुलित आहार में मौजूद पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें शामिल प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ ही शरीर के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है। प्रोटीन न मिले तो गठिया, हृदय रोग, गंजापन जैसी तमाम बीमारियां हो जाए। प्रोटीन को प्रोटीन मिले इसके लिए मीट, अंडा, सी फूड, दूध, दही, सूखे मेवे खाना चाहिए जो प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। वहीं कार्बोहाइड्रेट लेने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह कई बीमारियों को रोकने में सहायक है। साबुत अनाज, ब्राउन राइस, दाल, फलियां, आलू, केला इसके मुख्य स्रोत हैं।

संतुलित आहार के स्रोत | Sources of balanced diet

संतुलित आहार में शामिल विटामिन और मिनरल (Vitamins and minerals included in a balanced diet) हमें ताजे फलों और सब्जियों से प्राप्त होते हैं। आयोडीन, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं। इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है और हड्डियां मजबूत बनती हैं। संतुलित आहार में फाइबर का होना भी जरूरी है। फाइबर युक्त आहार का सेवन (Intake of fiber rich diet) पाचन तंत्र के लिए काफी फायदेमंद होता है। मेडिकल साइंस के मुताबिक एक वयस्क को रोजाना करीब 25 से 30 ग्राम फाइबर जरूर लेना चाहिए।

 संतुलित भोजन के लिए सबसे जरूरी है खाने के साथ उचित मात्रा में पानी पीना। कम पानी पीने से शरीर में अनेक बीमारियों पैदा होती हैं। इसलिए खुद को हाइड्रेट रखने के लिए हर रोज कम से कम आठ से दस गिलास पानी पीना जरूरी है।  संतुलित आहार लेते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि प्रतिदिन पांच ग्राम से कम नमक (करीब एक चम्मच के बराबर) और आयोडीन युक्त नमक ही खाना है।

महिलाओं और पुरुषों के संतुलित आहार में क्या फर्क है | What is the difference between balanced diet of women and men

दरअसल प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की बनावट भिन्न होती है इसीलिए हर शरीर की पोषण आवश्यकताएं भी एक समान नहीं होती। इसलिए कोई एक आहार जो एक व्यक्ति के लिए संतुलित है वह दूसरे के लिए जरूरत से कम या अधिक पोषक तत्व प्रदान करने वाला साबित हो सकता है। ऐसे कई कारक हैं जो संतुलित आहार को प्रभावित करते हैं। इसलिए इस बात पर हमेशा ध्यान देने की जरूरत है कि किसी व्यक्ति की आयु, लिंग, शारीरिक क्षमता और जीवन शैली क्या है ? वह किस प्रकार की जलवायु में निवास करता है ? इन्हीं प्रश्नों के आधार पर संतुलित आहार का निर्धारण किया जा सकता है। जैसे बच्चे और बड़ों के संतुलित आहार में फर्क हो सकता है उसी तरह महिलाओं और पुरुषों के संतुलित आहार में भी फर्क होता है।

संतुलित आहार खाने वाले ‘स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली’ की नींव रखते हैं। इससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम होता है। साथ ही यह देश में मानव संसाधनों के विकास के लिए भी बेहद जरूरी है। हम सभी जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज द्वारा ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरे समाज के आहार और पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाए।

(इंडिया साइंस वायर)

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