Hastakshep.com-आपकी नज़र-2020 Corona Virus-2020-corona-virus-Bank fraud-bank-fraud-Nirav Modi scam-nirav-modi-scam-PMC Bank failure-pmc-bank-failure-डीएचएफएल मामला-ddiiecephel-maamlaa-नीरव मोदी घोटाला-niirv-modii-ghottaalaa-पीएमसी बैंक घोटाला-piiemsii-baink-ghottaalaa-बैंक घोटाले-baink-ghottaale-बैंक धोखाधड़ी-baink-dhokhaadhddii-यूपी पीएफ स्कैम-yuupii-piieph-skaim-यस बैंक घोटाला-ys-baink-ghottaalaa-सार्वजनिक वितरण प्रणाली-saarvjnik-vitrnn-prnnaalii

Bank fraud is the biggest reason for non-performing assets rising.

गैर निष्पादित परिसंपत्तियां बढ़ने का सबसे बड़ा कारण बैंक धोखाधड़ी हैं । नित नई धोखाधड़ी हो रही है और गुणवत्ता वाले नये ऋणों का संवितरण नहीं हो रहा हैं । हर्षद मेहता से प्रारंभ हुई आर्थिक धोखाधड़ी के बाद से बैंकों में गैर-पेशेवाराना सुरक्षा प्रबंध अपनाए जाने के कारण निरंतर जारी है । कई बार आर्थिक मंदी, कारोबारी प्रतिस्पर्धा, तकनीकी अप्रासंगिकता के कारण व्यापार में घाटा होता है और व्यवसाय संकट में फँस जाता है । इस स्वाभाविक प्रक्रिया की आड़ में देश में बड़े पैमाने पर फ्रॉड हुए हैं । इसका खामियाना बैंकिंग प्रणाली और अर्थव्यवस्था भुगत रही है। बैंक घोटालों से बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता पर बहुत अधिक असर पड़ा है। भारतीय वित्तीय प्रणाली में असुरक्षा बढ़ी है। एक अर्थशास्त्रीय आकलन के मुताबिक भारत में दो लाख करोड़ रूपये से अधिक के बैंक घोटाले हो चुके हैं। बैंकों में फ्रॉड के 92 प्रतिशत मामले लोन से संबंधित हैं। बैंकों में वित्तीय वर्ष 2016-17 में 12533 से अधिक फ्रॉड के प्रकरण हुए थे जिनमें बैंकों को 18170 करोड़ रूपये से अधिक की राशि का नुकसान हुआ था।

बैंकों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में 5916 प्रकरणों में 41167.03 करोड़ रूपये फ्रॉड के हुए थे जो कि वर्ष 2017-18 में डीआरटी के तहत 34267.23 करोड़ रूपये की वसूली की राशि से अधिक थे।

रिजर्व बैंक ने फ्रॉड से संबंधित जो डाटा संकलित कराया है उसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश में कुल 6800 से अधिक फ्रॉड के मामले सामने आए है। इन फ्रॉड के मामलों में बैंकों को 71500 करोड़ रूपये का चुना लगा। इनमें से सर्वाधिक फ्रॉड 1538 भारतीय स्टेट बैंक में हुए है, दूसरे नंबर पर इंडियन ओवरसीज बैंक है जिसमें 449 फ्रॉड हुए हैं।

सेंट्रल बैंक में 406, यूनियन बैंक में 214, पीएनबी में 184

और सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य बैंकों में 2409 फ्रॉड हुए हैं।

अप्रैल 2019 से दिसंबर 2019 तक कुल नौ महीनों के अंदर 18 बैंकों में 1.17 लाख करोड़ रूपये की धोखाधड़ी हुई। इन नौ महीनों में 8 हजार 926 फ्रॉड के प्रकरण सामने आए। इसमें पीएमसी बैंक घोटाला 6500 करोड़ रूपये से ज्यादा का था। पीएमसी बैंक घोटाले में 21049 खाते फर्जी खोले गए ताकि हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (एचडीआईएल) को दिए गए लोन को छिपाया जा सके और इनमें अधिकाँश खाते मृतकों के नाम पर खोले गए।

पीएमसी बैंक ने अनुत्पादक आस्तियों (नॉन परफार्मिंग असेस्ट्स) और लोन वितरण की गलत जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक को दी थी।

पीएमसी बैंक घोटाले में एक चौंकाने वाला मामला यह था कि बैंक की शाखा से 10.5 करोड़ रूपये का कैश गायब था। यस बैंक के एमडी राणा कपूर ने यस बैंक को 20 हजार करोड़ रूपये का चूना लगाया। मई 2020 में भारतीय स्टेट बैंक का एक बड़ा घोटाला सामने आया है, इसमें 400 करोड़ रूपये का चूना लगाकर कंपनी के निदेशक विदेश भाग गए। इस प्रकरण में बैंक ने 4 साल बाद सीबीआई में मामला दर्ज किया। जून 2020 में कर्नाटक बैंक में चार ऋण खातों में 285 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी पकड़ में आई।

Public sector bank scams erode the confidence of foreign investors.

ऐसे घोटालों से विदेशी निवेशकों का विश्वास टूटता है। 5 साल पहले विनसम ग्रुप, जो डायमंड के कारोबार में था, ने 6800 करोड़ रूपये की बैंक धोखाधड़ी की थी। शराब माफ़िया विजय माल्या ने 9 हज़ार करोड़ रूपये डकारे और ललित मोदी ने मनी लांड्रिंग के ज़रिए 2200 करोड़ रूपये, जतिन मेहता ने 6712 करोड़ रूपये और संदेसरा बंधुओं ने 5700 करोड़ रूपये का चूना लगाया। हीरा कारोबारी नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और उनके सहयोगियों ने पंजाब नेशनल बैंक के साथ 14000 करोड़ रूपये का घोटाला किया था।

पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी घोटाला सात साल से चल रहा था।

पंजाब नेशनल बैंक और अन्य बैंकों ने फ़रवरी 2016 में केयर रेटिंग एजेंसी द्वारा जारी उस चेतावनी को नज़र अंदाज कर दिया था कि नीरव मोदी की एक कंपनी फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड भारी कर्ज से जूझ रही है और केयर रेटिंग एजेंसी ने इस कंपनी की रेटिंग गिरा दी थी। जून 2016 में बैंकों ने उक्त कंपनी को एनओसी दे दी थी। उस एनओसी के आधार पर केयर रेटिंग एजेंसी ने अपने द्वारा जारी उस रेटिंग को वापस ले लिया था।

नीरव मोदी ने तो वर्ष 2017 में भी पंजाब नेशनल बैंक के साथ 280.70 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी की थी और इस धोखाधड़ी की जांच सीबीआई और ईडी कर रहे थे, इसके बावजूद भी बैंक के प्रबंधन और देश की नियामक संस्थाओं ने नीरव मोदी के खातों की एवं उसके बैंकिंग लेनदेन की जांच करना उचित नहीं समझा।

यह बहुत बड़ी विडंबना है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में जब नीरव मोदी भ्रष्ट तरीकों से बैंक का धन हड़प रहा था तब पीएनबी को अपनी बैंकिंग प्रणाली में श्रेष्ठ सतर्कता अपनाने के लिए `विजिलेंस एक्सीलेंस अवार्ड` से नवाजा गया था। इस बैंक को कॉर्पोरेट विजिलेंस के लिए तीन अवार्ड दिए गए थे।

डूबे कर्ज़ में वृद्धि के कारण वित्तीय वर्ष 2017-18 में पंजाब नेशनल बैंक का घाटा 12283 करोड़ रूपये था, जो कि देश में किसी भी बैंक का अब तक का सबसे बड़ा घाटा है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि पीएनबी के इरादतन डिफाल्टर्स की सूची में हीरा और जवाहरात कंपनियां शामिल हैं। बैंकर भी जानते हैं कि इस क्षेत्र की कंपनियों को ऋण देना बहुत जोखिम भरा होता है। इसी कारण ऐसे ऋण की स्वीकृति व वितरण में बहुत अधिक सावधानी बरतने तथा बाजार से गोपनीय जानकारियां जुटाने की ज़रूरत होती है। लेकिन पीएनबी प्रबंधन ने कई बार धोखा खाने के बाद भी कोई सबक नहीं सीखा।

Public sector banks have been victims of political interference for a long time.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बहुत लंबे समय से राजनीतिक हस्तक्षेप के शिकार रहे हैं। हीरा व्यापार में लेटर आफ अंडरटेकिंग 90 दिन के लिए जारी की जाती है जबकि नीरव मोदी की कंपनियों को 365 दिन के लिए लेटर आफ अंडरटेकिंग जारी किए गए। बिना इसकी जांच किए कि उससे पहले जारी किए गए एलओयू के बदले निर्यातक को भुगतान किया भी गया या नहीं।

नीरव मोदी घोटाले (Nirav Modi scam,) के बाद एक और बड़ा घोटाला 3592 करोड़ रूपये से अधिक का फ्रॉस्ट इंटरनेशनल ने जाली दस्तावेज जमा करवाकर 14 बैंकों के साथ किया। रोटोमैक कंपनी के प्रमोटर विक्रम कोठारी ने 3700 करोड़ रूपये का बैंक घोटाला किया है। भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के सीएमडी संजय सिंघल ने 33 बैंकों-वित्तीय संस्थानों को वर्ष 2007 से वर्ष 2014 के बीच 47 हजार करोड़ रूपये का चूना लगाया। वधावन ब्रदर्स का नाम देश के बड़े-बड़े घोटालों से जुड़ा है।  डीएचएफएल मामला, यस बैंक घोटाला, पीएमसी बैंक घोटाला, यूपी पीएफ स्कैम जैसे मामलों में वधावन ब्रदर्स के नाम जुड़े हैं।

Bank scams are the biggest reason for the collapse of the banking system.

बैंक आर्थिक धोखाधड़ी के कारण भारी-भरकम गैर-निष्पादित आस्तियों के बोझ तले दबे हुए हैं। बैंकिंग व्यवस्था चरमराने की सबसे बड़ी वजह बैंक घोटाले है चिंतनीय स्थिति यह है कि देश में निजी क्षेत्र के बजाए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति बेहद दयनीय है। कुल घोटालों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भागीदारी 83 फीसदी है। पंजाब नेशनल बैंक की महज एक शाखा में इतना बड़ा घोटाला हो गया और बैंक के शीर्ष प्रबंधन तथा निगरानी संस्थानों को वर्षों तक उसकी भनक तक न लगी। बैंक में चल रही गतिविधियों से शीर्ष प्रबंधन की अनभिज्ञता आश्चर्यजनक हैं। बैंक घोटालों के लिए नियामकों (रिजर्व बैंक, निदेशकों का बोर्ड, वित्तीय सेवा विभाग, बैंक ब्यूरो बोर्ड) व लेखा परीक्षकों की अपर्याप्त निगरानी और ढीले बैंक प्रबंधन ही ज़िम्मेदार है। घोटालों से यह सिद्ध हो गया है कि हमारा बैंकिंग तंत्र कितने लचर तरीके से कार्य कर रहे हैं।

Only formality in the name of audit in banks

बैंकों में बढ़ते धोखाधड़ी के मामले निश्चित रूप से बैंकिंग व्यवस्था की कमज़ोरी को उजागर कर रहे हैं।  बैंकों में ऑडिट के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति और लीपापोती ही होती रही। घोटाले उजागर होने के बाद शेयरमार्केट में छोटे निवेशकों के करोड़ों रूपये डूब जाते हैं। कुछ कंपनियां तो घोटाले करने के लिए ही अस्तित्व में आती हैं और फिर गायब हो जाती हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार धोखाधड़ी के कुल मामलों में 12 प्रतिशत मामलों में बैंक कर्मचारी लिप्त पाए गए हैं। बंद हुई कंपनियों के खातों में कंपनियों के निदेशक बैंकों से सांठगांठ करके लेनदेन करते हैं और घोटालों को अंजाम देते हैं। अपनी नेटवर्थ और मार्केट वैल्यू से अधिक की कॉरपोरेट गारंटी देने से एनपीए में बढ़ोतरी हुई है जैसे कि विजय माल्या की कंपनी यूनाइटेड बुवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड ने अपनी नेटवर्थ और मार्केट वैल्यू से अधिक की कॉरपोरेट गारंटी दी थी। बैंकों ने वास्तविक मूल्य का पता लगाए बगैर गारंटी को स्वीकार किया था। इस प्रकार की गारंटी को स्वीकार करना भी आर्थिक धोखाधड़ी है।

ग्रांट थॉर्नटन ने विजय माल्या की किंग फिशर एयर लाइंस की वैल्यू बहुत ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर 3406.30 करोड़ रूपये लगाईं थी, जबकि ब्रांड फाइनेंस ने किंग फिशर एयर लाइंस की वैल्यू 1911 करोड़ रूपये लगाईं थी। माल्या ने ब्रांड फाइनेंस की रिपोर्ट के बजाए ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट का सहारा लेकर एसबीआई, आईडीबीआई और अन्य बैंकों से लोन लेकर धोखाधड़ी की थी। बड़े कारोबारियों के पास किस-किस देश के दस्तावेज़ है इसकी जानकारी न तो बैंकों के पास होती है और न ही एजेंसियों के पास।

अभी तक जांच एजेंसियां आर्थिक अपराध और बैंक धोखाधड़ी के मामलों में समय-समय पर बैंकों से जानकारियां लेती रही हैं, लेकिन अपनी जानकारी बैंकों के साथ साझा नहीं करती थी। सरकार ने अब सभी जांच एजेंसियां को दिशा निर्देश जारी कर दिए है कि वे आर्थिक अपराध और बैंक घोटाले रोकने के लिए बैंकों के साथ अपनी जानकारियां साझा करें। जांच एजेंसियों और बैंकों के बीच जानकारियां साझा होने से बैंक उन व्यक्तियों के खिलाफ सावधान हो जाएँगे जिनके खिलाफ आर्थिक अपराध और धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं।

जानिए कैसे होते हैं बैंक घोटाले | Know how bank scams happen

बैंक, रिजर्व बैंक को फ्रॉड की रिपोर्टिंग करने में बहुत अधिक समय लगा देते हैं। जांच एजेंसियां बैंकों पर आरोप लगाती हैं कि वे धोखाधड़ी होने के काफी समय बाद उसे उजागर करते हैं।

जांच एजेंसियों के डर से बैंक फ्रॉड को जल्दी उजागर नहीं करते हैं। बैंकों के फ्रॉड सेल ने धोखाधड़ी और घोटालों के प्रकरण में त्वरित कार्यवाही हेतु शाखाओं को उचित दिशा निर्देश देने चाहिए।

दीपक गिरकर  लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार व सामाजिक विश्लेषक हैं। वे भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। दीपक गिरकर
लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार व सामाजिक विश्लेषक हैं। वे भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

बड़े ऋण खाते एनपीए में तब्दील होने के बाद बैंक कंपनी निदेशकों से उनके पासपोर्ट जब्त नहीं करती हैं जिससे ये घोटालेबाज आसानी से विदेश भाग जाते हैं।

वित्तीय धोखाधड़ी और घोटालों की जांच ऐसी एजेंसी को दे दी जाती है, जिसके पास विशिष्ट कौशल का अभाव है और इस प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी की जांच करने की क्षमता भी नहीं है।

देश में नौकरशाही में बदलाव की ज़रूरत है।

गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) में ही अन्य जांच एजेंसियों के समान मानव संसाधन की कमी है। कुछ कॉर्पोरेट्स द्वारा कई डिफॉल्ट किये गए लेकिन क्रेडिट ब्यूरो द्वारा ये डिफॉल्ट उनके क्रेडिट इतिहास में पंजीकृत नहीं किये गए हैं। संबंधित एजेंसियों की निष्क्रियताओं की जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। सभी नियामक संस्थाएं, एन्फोर्समेंट एजेंसियां सिर्फ स्वायत्तता की बात करती है लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि स्वायत्तता के साथ जवाबदेही भी साथ आती है। घोटालेबाजों से निपटने हेतु कानूनों में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता हैं।

दीपक गिरकर

लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार व सामाजिक विश्लेषक हैं। वे भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

Loading...