वाराणसी। आईआईटी, मेडिकल बीएचयू के छात्र संगठन स्टूडेंट फॉर चेंज (एसएफसी) के नेतृत्व में अम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्कल पर प्रतिबन्ध का विरोध हुआ। इस प्रदर्शन में कई संगठन व बुद्धिजीवी सहयोगी बने, जिसमें मुख्य रूप से भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीसीएम), अनुसूचित जाति-जनजाति छात्र कार्यक्रम आयोजन समिति, रेहड़ी-पटरी संघर्ष समिति, चौथीराम यादव, प्रमोद बागडे, संदीप पाण्डेय, केशव प्रसाद, मुसाफिर राम थे।
कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत मुख्य द्वार बीएचयू से संगठन के अध्यक्ष हेमंत ने अपनी बात रखते हुए नारे लगते हुए व मीडिया को बाइट देकर किया। कार्यक्रम का फॉर्म यह था कि मेन गेट से सैकड़ों की तादात में छात्र-बुद्धिजीवी व नागरिक नारे लगते हुए रविदास गेट तक गए। पुनः मेन गेट पर वापस आकर जुलूस सभा में बदल गया। जुलूस के नारे मुख्य रूप से इस प्रकार थे कि अम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्कल-एपीएससी को बहाल करो !, एपीएससी पर लगे प्रतिबन्ध को वापस लो !, मोदी सरकार होश में आओ !, अम्बेडकर पेरियार की क्रान्तिकारी विरासत जिंदाबाद !, एपीएससी के साथियों तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं !, कार्पोरेट की दलाली करना बंद करो !, तानाशाही नहीं चलेगी !, फासीवाद मुर्दाबाद !, छात्र आंदोलनों-संगठनों पर दमन बंद करो !, आदि।
सभा में अपनी बात रखते हुए चौथीराम यादव (पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग बीएचयू) ने कहा कि यह सड़क पर उतारकर संघर्ष करने का समय है। अम्बेडकर पेरियार के विचारों पर प्रतिबन्ध लगाना ब्राह्मणवाद की चरम अभिव्यक्ति है। हमें एकजुट होकर हिन्दू फासीवाद से लड़ना होगा और इस लड़ाई के व सांस्कृतिक क्रांति के महान नायक इसी बनारस की धरती पर पैदा हुए कबीर और रविदास हैं। यह संघर्ष छात्रों से शुरु होगा।
इसी क्रम में सभा को सम्बोधित करते हुए प्रमोद बागडे कहा कि यह जो दमन है वह कोई अलग नहीं है। इसको देश भर में दलितों-आदिवासियों, छात्र-बुद्धिजीवियों द्वारा जल-जंगल-जमीन, अस्मिता व रोजी के लिए चलाये जा रहे आंदोलनों के दमन व प्रतिरोध के चक्र से जोड़ कर देखना चाहिए। आह्वान करते हुए कहा कि इस संघर्ष में हम जहाँ तक चल सकते हैं वहां तक हमें अपनी भूमिका तय करनी चाहिए और संघर्ष को तेज करना चाहिए।
केशव प्रसाद ने कहा कि मै इस घटना कि निंदा करता हूँ और इस कार्यक्रम के आयोजकों को बधाई देता हूँ। इस कड़ी में मुसाफिर राम के कहा कि हमें इस संघर्ष के लिए नौकरी छोड़नी पड़े या जान देनी पड़े हम इसके लिए तैयार हैं। छात्रों की तरफ से एससी-एसटी कमिटी अध्यक्ष सुधा सोनकर व भगत सिंह छात्र मोर्चा अध्यक्ष ने अपनी बात में बीएचयू को केंद्र में रखा और कहा कि जब तक हम संघर्ष में यहाँ मजबूत नहीं होंगे तब तक बाहर हो रहे संघर्षों का समर्थन व दमन का विरोध नहीं कर सकते। पिछले दिनों बीएचयू कैम्पस में बाबा साहेब की जयंती पर छात्रों को कार्यक्रम नहीं करने दिया गया, जबकि वहीँ भाजपा-आरएसएस द्वारा कैम्पस में 3-4 कार्यक्रम किये गए। कैम्पस में आरएसएस की गतिविधियां खुलेआम हो रहीं हैं। अन्य छात्रों व संगठनों को कार्यक्रम करना प्रतिबंधित है। बीएचयू में कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ छात्र व संगठन अपना कार्यक्रम-प्रदर्शन कर सकें। कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ गार्ड-पुलिस-पीएसी व प्रशासन प्रायोजित गुंडे नहीं हैं। इस सबके पीछे वर्तमान वीसी जीसी त्रिपाठी (जो आरएसएस का है) का पूरा हाथ है।
सभा का संचालन मोनिस बब्बर ने किया। कार्यक्रम में मशाल सांस्कृतिक मंच के संस्कृतिकर्मी युद्धेश ने अपने गीतों के माध्यम से जोश भरा। अंत में पुनः घटना के विरोध में नारे लगाये गए और संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया गया।
bhagat singh chhatra morcha
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