लखनऊ, 29 जुलाई 2020, माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश द्वारा 5 अगस्त को आरएसएस-भाजपा सरकार द्वारा राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम के संबंध में कहा है कि कोरोना महामारी के भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप ही वहां कार्यक्रम किया जाए. लेकिन इसकी खुलेआम अवहेलना करते हुए आरएसएस के नेताओं और भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा भव्य कार्यक्रम करने की लगातार घोषणाएं की जा रही है. यही नहीं इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश के पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों को अभी से ही लगा दिया गया है. वहां मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री द्वारा दौरा किया जा रहा है और सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है. शिलान्यास कार्यक्रम में कोरोना महामारी के लिए जारी निर्देशों और हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन न हो इसे राज्यपाल सुनिश्चित करें. यह मांग ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने की.
आज प्रेस को जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त है. लगातार अपहरण, बलात्कार, डकैती, लूट आदि हो रही है. कानपुर अपहरण कांड और खुद मुख्यमंत्री के जनपद में अपहरणकर्ताओं द्वारा बच्चे की हत्या इसके जीवंत उदाहरण है. प्रदेश में अपहरण उद्योग पुनर्जीवित हो गया है. अपहरणकर्ताओं, माफियाओं और हिस्ट्रीशीटरों का मनोबल बढ़ा हुआ है. आम आदमी का जीवन असुरक्षित हो गया है. ऐसे समय में सरकार कानून व्यवस्था ठीक करने की जगह अभी से ही पुलिस के कई-कई आईजी लेवल और अपर प्रमुख सचिव तक के महत्वपूर्ण आला अधिकारियों को शिलान्यास कार्यक्रम के लिए अयोध्या और उसके आसपास के जिलों में लगा रही
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चाहे जितनी फर्जी बयानबाजी और खुद की अपने मुंह से ही अपनी सरकार की वाहवाही करे सच यही है कि कोरोना महामारी से निपटने में भी उनकी सरकार का मॉडल बुरी तरह विफल हो गया है. सरकार लोगों को इलाज देने और उनकी जिंदगी बचाने में असफल साबित हुई है. अब अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए भाजपा विधायकों द्वारा समाज में विद्वेष फ़ैलाने वाली जहरीली बयानबाजियाँ की जा रही है.
उन्होंने महामहिम राज्यपाल से यह भी मांग कि हर मोर्चे पर नाकाम योगी सरकार ने सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है और इसलिए इस सरकार से महामहिम राज्यपाल को इस्तीफा मांगना चाहिए.
उन्होंने कहा कि संघ और भाजपा का सरकार चलाने का मोदी मॉडल सिर्फ और सिर्फ देश को बेचने का मॉडल है और इससे जनता का भला नहीं होने जा रहा है. पूरे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है, बेरोजगारी व मंहगाई चरम पर है, सावर्जनिक उधोग व सम्पदा को बेचना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बन गई है. महिलाओं समेत कर्मचारियों की छटनी हो रही है और खेती को बर्बाद करने के लिए सरकार कानून बना रही है.
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की तरफ से 9 अगस्त को 'भारत छोडो आंदोलन' दिवस पर पूरे देश में इस सरकार की जन विरोधी, मजदूर किसान विरोधी, देश बेचने और समाज को विभाजित करने वाली नीतियों के खिलाफ और राजनीतिक- सामाजिक कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न पर रोक लगाने व उनकी रिहाई के लिए प्रतिवाद आयोजित किया जाएगा. इस प्रतिवाद में उन्होंने हर लोकतंत्र पसंद नागरिकों से शामिल होने की अपील भी की.
एस.आर.दारापुरी ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता संविधान का मूल आधार है. ऐसे में अगर मोदी और योगी बतौर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होते हैं तो यह उनके द्वारा पद सँभालते वक्त ली गयी संवैधानिक शपथ का उल्लंघन होगा. यह उल्लेखनीय है कि आज़ादी के बाद जब डा. राजेन्द्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना करने के लिए चले गए थे तो नेहरू बहुत नाराज़ हुए थे. अतः महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल महोदय से जनता की तरफ से अनुरोध है कि वे संविधान की रक्षा सुनिश्चित करें.
इतना ही नहीं जब पटेल ने सरकारी पैसे से सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार की घोषणा की थी तो नेहरू बहुत नाराज हुए थे और उन्होंने कोई भी सरकारी पैसा देने से मना कर दिया था. इस पर पटेल ने कृषि मंत्री के.एम.मुंशी से मिल कर चीनी गन्ना मिल मालिकों को चीनी का दाम बढ़ाने की अनुमति दे कर उसमें से आधा पैसा लेकर सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. इसका पता चलने पर नेहरू बहुत नाराज़ हुए थे. इसके विपरीत जब आज हम देखते हैं तो मोदी सरकार मंदिर के नाम पर 500 करोड़ रुपए और योगी सरकार 450 करोड़ रुपए दे रही है खास करके जब देश में हर रोज़ कोरोना के सैकड़ों मरीज़ उचित स्वास्थ्य सुविधा एवं इलाज के बिना मर रहे हैं.
क्या एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की सरकार द्वारा एक मंदिर के लिए सरकारी धन दिया जाना जनता के पैसे का दुरूपयोग नहीं है. क्या यह उचित नहीं है कि मंदिर का निर्माण श्रद्धालुओं के दान से ही किया जाना चाहिए?
दारापुरी ने आगे कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश ने 5 अगस्त को सरकार द्वारा राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम के संबंध में कहा है कि वहां कोरोना महामारी के भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप ही कार्यक्रम किया जाए. लेकिन इसकी खुलेआम अवहेलना करते हुए आरएसएस के नेताओं और भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा भव्य कार्यक्रम करने की घोषणाएं लगातार की जा रही हैं. यही नहीं इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश के पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों को अभी से ही लगा दिया गया है. वहां मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री द्वारा दौरा किया जा रहा है और सरकारी मशीनरी एवं जनता के धन का दुरुपयोग किया जा रहा है.