(भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने हालिया बजट भाषण में कई कवियों - कश्मीरी कवि दीनानाथ कौल नदीम, तमिल कवि तिरुवल्लुवर, संस्कृत कवि कालिदास आदि को उद्धृत करते हुए अपने पांडित्य का शानदार प्रदर्शन किया है।
हालाँकि, मेरी समझता हूँ कि उन्हें निम्नलिखित को भी उद्धृत भी करना चाहिए था :
“भेदे गणा विनश्युर्हि भिन्नास्तु सुजयाः परैः।
तस्मात्संघातयोगेन प्रयतेरन्गणाः सदा।।”
अर्थात।
“लोगों में आंतरिक क्लेष से ही गणराज्य नष्ट हो जाते हैं,
इसलिए एक राजा को हमेशा लोगों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
(महाभारत अध्याय 107/108, श्लोक 14)।
महाभारत का यह श्लोक विशेष रूप से अब प्रासंगिक है, जब सत्तारूढ़ दल, जिसमें निर्मला सीतारमण भी शामिल हैं, धार्मिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करता रहा है और अल्पसंख्यकों को आतंकित करता रहा है। इससे निश्चित रूप से भारत का विनाश होगा, जैसा कि भीष्म पितामह ने भविष्यवाणी की थी।
“ Muppadhu kodi mugamudayal
Enil maipuram ondrudayal
Ival seppumozhi padhinetu dayal
Enil sindhanal ondrudayal “
முப்பது கோடி முகமுடையல்
எனில் மைபுரம் ஒன்றுடையால்
இவள் செப்புமொழி பதினெட்டு டயல்
எனில் சிந்தனை ஒன்றுடையால்
“इस भारत माता के 30 करोड़ चेहरे हैं, लेकिन उसका शरीर एक है
वह 18 भाषाएँ बोलती है, लेकिन उसका विचार एक है”
इस कविता में भारत की आधारभूत विशेषता का वर्णन किया गया है, अर्थात इसकी विविधता और बहुलता (जो इस तथ्य के कारण है कि भारत मोटे तौर पर उत्तरी अमेरिका की तरह अप्रवासियों का देश है, जैसा कि मेरे लेख ‘भारत क्या है’ (‘What is India’) में समझाया गया है )।
हमारे वर्तमान शासकों द्वारा ‘हिंदुत्व’ का दर्शन का प्रचारित रूप, जो भारतीय समाज का ध्रुवीकरण और विभाजन करता
“सरज़मीन-ए-हिंद पर अक़वाम-ए-आलम के फ़िराक़
क़ाफिले आते गए, हिंदोस्तां बनता गया।“
अर्थात्
“हिंद की भूमि में, दुनिया के लोगों के कारवां आते गए और भारत बनता रहा”
यह शेर भारत की विविधता का कारण बताता है, अर्थात यह अप्रवासियों का देश है (जैसा कि मेरे लेख 'भारत क्या है' में बताया गया है)
“जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां
रुई की तरह उड़ जाएँगे
हम महक़ूमों के पाँव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हक़म के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जाएँगे
हम अहल-ए-सफ़ा, मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएँगे
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे”
संभवतः निर्मला ने जानबूझकर इन छंदों को उद्धृत नहीं किया, क्योंकि इससे उनकी पार्टी और उसके नेताओं की बीमारी का पता चल सकता है।
“जानामि नागेश तव प्रभावम्
कण्ठस्थितः गर्जसि शंकरस्य
स्थानम् प्रधानम् न च बलम प्रधानम्
द्वारस्थितः कोअपि न सिंघः “
अर्थात।
“हे नागों के राजा, मैं तुम्हारी शक्ति को जानता हूं
आप केवल इसलिए फुंफकारते हैं क्योंकि आप भगवान शिव के गले में विराजमान हैं।
यह वह स्थिति है, जो उसकी स्वयं की ताकत नहीं है, बल्कि स्थान के कारण है
अपने दरवाजे पर कौन शेर नहीं होता है।"
(मूल अंग्रेजी से अनुवाद हस्तक्षेप टीम द्वारा)