नई दिल्ली, 29 फरवरी 2020. जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, अनिर्बन, उमर खालिद समेत 10 छात्रों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति देने के केजरीवाल सरकार के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों लिया है।
श्री काटजू ने अपने सत्यापित फेसबुक पेज पर लिखा, कि कन्हैया कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की स्वीकृति देकर अरविंद केजरीवाल ज़रूरत से ज़्यादा चालाक बनने की कोशिश कर रहे हैं। वह “खरगोश के साथ दौड़ो और शिकारी के साथ शिकार करो” कर रहे हैं ( He is trying to run with the hares and hunt with the hounds ).
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा कि यह आरोप लगाया गया है कि कुछ छात्रों ने नारा लगाया, "अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं, तेरे क़ातिल ज़िंदा हैं।" लेकिन मैं यह समझने में नाकाम रहा कि यह राजद्रोह कैसे है (यहां तक कि अगर कन्हैया ने भी इसे कहा, और वीडियो के छेड़छाड़ नहीं की गई है)।
"हमें इस मामले में कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से मंजूरी मिल गई है।"
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल सेल) ने 19 फरवरी को दिल्ली के गृह सचिव को पत्र लिखकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व अध्यक्ष
इसके लिए स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा ने पत्र लिखकर मुकदमा चलाए जाने के लिए प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने छात्र नेता कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से जेएनयू देशद्रोह मामले में मंजूरी से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने भी दिल्ली पुलिस को सरकार को एक अनुस्मारक (रिमाइंडर/याद दिलाना) भेजने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीश ने कहा, "नई सरकार का गठन किया गया है, एक अनुस्मारक भेजें।"
सुनवाई की पिछली तारीख को अरविंद केजरीवाल सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि फाइल दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के समक्ष लंबित है, जो गृह मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल रहे हैं।
सरकारी वकील ने अदालत में एक पत्र प्रस्तुत करके जवाब दाखिल किया है।
उन पर आरोप है कि उन्होंने देश विरोधी नारेबाजी का समर्थन किया था। कन्हैया उस वक्त जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे। इस गिरफ्तारी के खिलाफ देशभर में अलग-अलग विश्वविद्यालय परिसरों में विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला था। हालांकि, बाद में तीनों को जमानत दे दी गई थी।
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