नई दिल्ली, 17 सितंबर। एक गर्भवती डॉक्टर, जिसने रक्त विषाक्तता की पहचान करके अपने पति की जान बचाई, कुछ घंटों बाद ही उन्हीं परिस्थितियों में उसकी मृत्यु हो गई।
द डेली मेल की एक पुरानी ख़बर Heavily-pregnant doctor who saved her husband's life by diagnosing blood poisoning died just hours later when she contracted the SAME condition के मुताबिक क्रेग स्टोबो ने कहा कि अगर उनकी पत्नी फिओना को संदेह नहीं हुआ होता था कि वह बीमार पड़ने के बाद सेप्सिस से पीड़ित थे, तो वह मर गए होते। खबर के मुताबिक बीमारी का कारण अभी भी पकड़ में नहीं आया है लेकिन अस्पताल जांच कर रहा है।
अगस्त 2012 में एक सुबह उठने पर स्टोबो ने अच्छा महसूस नहीं किया। उन्होंने कहा कि मैं गरा हुआ मबसूस कर रहा था। मैं सुबह उठकर तो ठीक महसूस कर रहा था, लेकिन दोपहर होते-होते मैं ाभयानक रूप से काँप रहा रहा था और स्वयं को बीमर महसूस कर रहा था।
फियोना हमारे दूसरे बच्चे से 35 सप्ताह की गर्भवती थी, मुझे उसके साथ उस दोपहर को एक स्कैन के लिए अस्पताल जाना था, लेकिन मैं घर पर बिस्तर पर पहुंच गया।
कुछ घंटे बाद उसने मुझे कॉल किया और कहा कि वह मेरे बारे में चिंतित है र वह मुझे देखना चाहती है। उस समय मैं बहुत तकलीफ में था, मैं कुछ खा नहीं सकता था और न कुछ पी सकता था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जल रहा
इसके बाद स्टोबो को अस्पताल ले जाया गया, जहां फियोना का शक सही साबित हुआ और स्टोबो को पेसिस हो चुका था।
स्टोबो ने कहा कि शाम को वह मेरे साथ थी, लेकिन अब उसको कँपकँपी चढ़ने लगी। मुझे उसकी चिंता होने लगी, लेकिन उसने मुझे आश्वस्त किया कि उसे बस सर्दी जुकाम है। बहुत देर हो चुकी थी, इसलिए वह चली गई।
स्टोबो ने कहा कि अगली सुबह तक मेरे पैरों को सूजन हो गई और मुझे सेप्सिस निकला - जैसे फियोना को संदेह था।
लेकिन अगले दिन एक नर्स ने मिस्टर स्टोबो को ख़बर दी कि फियोना भी अस्पताल में संक्रमण से जूझ रही है।
डॉक्टर्स उसके अजन्मे बच्चे को बचाने में सक्षम नहीं थे। और मिसेज फियोना को वेंटिलेटर पर रखा गया था। मिस्टर स्टोबो को व्हील चेयर पर रखा गया और अस्पताल ले जाया गया।
मिसेज स्टोबो को प्रसव और संक्रमण के बाद रक्तस्राव हुआ।
वही सेप्सिस संक्रमण जिसका उसने अपने पति में संशय कर उसके जीवन को बचाया था - अब खुद फियोना के शरीर के में तेजी से फैल रहा था।
स्टोबो ने कहा कि फियोना के चारों तरफ बहुत सारे नर्स और डॉक्टर्स थे, जो उसके जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उसके रक्तस्राव को रोकने के लिए उसे व्हील चेयर पर ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया, लेकिन फिर भी वे उसे बचा नहीं सके। ऑपरेशन टेबल पर ही उसे कार्डियक अरेस्ट हुआ।
स्टोबो ने कहा कि वह ञपरेशन थियेटर के बाहर बैठे हुए प्रतीक्षा कर रहे थे, तभी ओटी का दरवाजा खुला और सर्जन का चेहरा देखकर वह समझ गए कि अब फियोना इस दुनिया में नहीं है।
द डेली मेल की इसी पुरानी खबर के मुताबिक सेप्सिस तब होता है जब शरीर में कोई इंफेक्शन हो। इंफेक्शन विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं ( बैक्टीरिया) के कारण हो सकता है, जिनमें सी. डिफ (C.diff), ई.कोली ( E.coli), स्ट्रेप्टोकोकस (streptococcus) या एमआरएसए (MRSA) प्रमुख हैं।
रक्त में संक्रमण से निपटने के लिए जो केमिकल्स दिए जाते हैं वे व्यापक इनफ्लेमेशन पैदा करते हैं, जिसके कारण रक्त के थक्के बनते हैं और रक्त वाहिकाओं में रिसाव होता है।
प्रत्येक वर्ष सेप्सिस से पीड़ित लगभग 100,000 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। इस स्थिति वाले मरीज़ों में 30 प्रतिशत से अधिक को को गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में रखना पड़ता है।
(नोट – यह समाचार चिकित्सकीय परामर्श नहीं है, यह आम जनता में जागरुकता के उद्देश्य से किए गए अध्ययन का सार है। आप इसके आधार पर कोई निर्णय न लें, चिकित्सक से परामर्श करें।)
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