नई दिल्ली 03 मार्च 2020 : हाल के दिनों में आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्याएं (Problems related to eyesight) बढ़ी हैं और ये समस्याएं सभी उम्र के लोगों में बढ़ी हैं। आज हर व्यक्ति कोई न कोई बीमारी से ग्रस्त होता है। यहां तक कि भारतीय युवा भी आंखों की इन बीमारियों (Eye diseases) से अछूते नहीं हैं। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि आज काफी लोग वैसे दृष्टि दोषों से ग्रस्त हैं, जिन्हें रोका जा सकता है। अगर समय पर उपचार किया जाए, तो दृष्टि दोषों के कारण होने वाली नेत्रअंधता को रोका जा सकता है।
रोकी जा सकने वाली नेत्र अंधता को रोकने में आधुनिक तकनीकों के उपयोग के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए भारत के सबसे बड़े आई केयर हॉस्पिटल-सेंटर फॉर साइट (Eye Care Hospital-Center for Sight) ने रोक्को राइडर्ज के सहयोग से 20 किलोमीटर लंबी बाइकाथन का आयोजन किया। जिसमें 300 से अधिक बाइकर्स थे।
सेंटर फार साइट ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ. महिपाल सिंह सचदेव का कहना है कि,
‘‘लोगों की बदलती जीवन शैली तथा सभी उम्र के लोगों द्वारा डिजिटल स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग के कारण वैसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो मामूली से लेकर गंभीर दृष्टि दोषों से पीड़ित हैं। हालांकि इन समस्याओं को रोका जा सकता है या समय से उपचार कराकर इन्हें ठीक किया जा सकता है। अक्सर लोग धुंधली दृष्टि, अगल-बगल की चीजों के नहीं दिखने, आंखों में सूखापन या आंखों से पानी आने जैसी समस्याओं की अनदेखी करते हैं। समय पर इन समस्याओं का उपचार नहीं होने पर ये समस्याएं नेत्र अंधता का कारण बन सकती हैं।
डॉ.महिपाल के अनुसार,
‘‘मोतियाबिंद और रिफ्रेक्टिव दोष हमारे