रायपुर, 21 अप्रैल 2021. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी के संदेश को गाल बजाने वाला करार देते हुए कहा है कि देशव्यापी कोरोना संकट से निपटने की जिम्मेदारी को नकार कर वह इस संकट का पूरा बोझ राज्यों और आम जनता पर डाल रहे है। जब लोग ऑक्सीजन की कमी, जीवन रक्षक दवाईयों और टीके के अभाव और कालाबाज़ारी से जूझ रहे हैं, उन्हें यह तक बताना गंवारा नहीं है कि इस स्वास्थ्य आपातकाल से निपटने के लिए केन्द्र सरकार की क्या तैयारियां है?
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा कि कोरोना की इस दूसरी सांघातिक लहर ने फिर से अप्रवासी मजदूरों की घर वापसी तेज कर दी है तथा करोड़ों लोग अपनी आजीविका खोकर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। लाखों लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है। लेकिन प्रधानमंत्री के संदेश में पीड़ित लोगों के प्रति न कोई हमदर्दी है, न संवेदना और न ही राहत पैकेज की कोई मरहम-पट्टी।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि कोरोना को लेकर पिछले एक साल से मोदी और उनकी सरकार द्वारा जो जुमलेबाजी की जा रही थी, उसका विद्रूप नंगापन अब सामने आ गया है, क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की कोई कोशिश ही नहीं की गई है तथा जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में केवल निजीकरण की नीतियों को ही बढ़ावा दिया गया है। नतीजन, इस संकट की आड़ में आज कॉर्पोरेट हॉस्पिटल आम जनता को लूटकर अपना मुनाफा बढ़ाने में ही व्यस्त है।
उन्होंने कहा कि मुफ्त सार्वभौमिक टीकाकरण की नीति को लागू करने के बजाय अब भाजपा-संघ की
माकपा नेता ने मुफ्त टीकाकरण हेतु राज्यों को पर्याप्त टीके व वित्तीय सहायता देने, लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए मुफ्त अतिरिक्त खाद्यान्न वितरित करने और प्रति माह 7500 रुपये नगद मदद देने, कोरोना ईलाज के लिए आवश्यक दवाईयों व उपकरण की अबाध आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा ग्रामीणों को बड़े पैमाने पर मनरेगा में काम देने की मांग मोदी सरकार से की है।