रायपुर, 31 जनवरी 2020. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार से विधानसभा के आगामी सत्र में नागरिकता कानून के खिलाफ स्पष्ट शब्दों में प्रस्ताव पारित करने की मांग की है, जैसा कि केरल विधानसभा में माकपा के नेतृत्व वाले वाममोर्चा सरकार ने किया है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि केंद्र में अपने बहुमत के बल पर मोदी सरकार ने जो नागरिकता कानून पारित किया है, वह पूरी तरह असंवैधानिक है। इस कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को एनपीआर-एनआरसी की प्रक्रिया (NPR-NRC process) से गुजरना होगा, जिसे लागू करने का अधिकार केवल राज्य सरकारों के पास ही है और वे इस प्रक्रिया को रोककर संविधानविरोधी नागरिकता कानून पर अमल की प्रक्रिया को रोक सकते है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया कि जनगणना और एनपीआर दोनों अलग-अलग चीजें हैं, लेकिन मोदी सरकार ने आम जनता में भ्रम फैलाने के लिए दोनों प्रक्रिया को मिला दिया है और दोनों काम एक साथ जनगणना अधिकारियों से ही कराए जा रहे हैं। एनपीआर में किसी व्यक्ति के माता-पिता के जन्म से संबंधित जो जानकारियां मांगी जाएंगीं, उसको एनआरसी में सत्यापित करने के लिए कहा जायेगा। इस प्रकार एनआरसी का पहला चरण एनपीआर है। संसद में मोदी सरकार ने भी इस बात को माना है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग इस प्रक्रिया से अपनी नागरिकता साबित करने में असमर्थ होंगे, क्योंकि उनके पास अपने माता-पिता की नागरिकता साबित करने के
माकपा नेता ने कहा कि मोदी सरकार को खुद नहीं मालूम कि देश में कितने अवैध आप्रवासी हैं और इसकी स्वीकारोक्ति उसने संसद में भी की है। कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ऐसे संदिग्ध नागरिकों की पहचान करने के बजाए यह सरकार देश की 130 करोड़ आबादी को ही संदिग्ध मानकर उनसे अपनी नागरिकता का प्रमाणपत्र देने के लिए कह रही है, जो कि किसी भी नागरिक की गरिमा के खिलाफ है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
पराते ने कहा है कि कांग्रेस ने बार-बार इस संविधान विरोधी कानून की सार्वजनिक रूप से खिलाफत की है। लेकिन इस सार्वजनिक प्रतिबद्धता को विधायी प्रतिबद्धता का रूप दिया जाना बाकी है। इसलिए माकपा मांग करती है कि कांग्रेस सरकार इस सत्र में विधानसभा में एनपीआर और एनआरसी की प्रक्रिया रोकने और नागरिकता कानून लागू न होने देने का विशेष प्रस्ताव पारित कर प्रदेश की जनता को आश्वस्त करें कि उनकी नागरिकता पर किसी भी रूप में आंच आने नहीं दी जाएगी।