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Chidambaram lambasted Delhi government for approving sedition case against Kanhaiya

नई दिल्ली, 29 फरवरी 2020. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार  पर राजद्रोह का मुकदमा (Kanhaiya Kumar, former president of Jawaharlal Nehru University Students' Union, accused of treason) चलाने को मंजूरी देने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने दिल्ली सरकार को लताड़ा है।

श्री चिदंबरम ने ट्वीट किया

“राजद्रोह कानून की अपनी समझ में दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार से कम अनभिज्ञ नहीं है।

श्री कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए और 120 बी के तहत मुकदमा चलाने के लिए दी गई मंजूरी की मैं पूरी तरह से निन्दा करता हूं।“

बता दें दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य पर 2016 के राजद्रोह मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया,

"हमें इस मामले में कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से मंजूरी मिल गई है।"

दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ (स्पेशल सेल) ने 19 फरवरी को दिल्ली के गृह सचिव को पत्र लिखकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार से जुड़े जेएनयू देशद्रोह मामले में मंजूरी देने की प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया था।

इसके लिए स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा ने पत्र लिखकर मुकदमा चलाए जाने के लिए प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया था।

दिल्ली की एक अदालत ने छात्र नेता कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से जेएनयू देशद्रोह मामले में मंजूरी से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक ने भी दिल्ली पुलिस को सरकार को एक अनुस्मारक (रिमाइंडर/याद दिलाना) भेजने का निर्देश दिया है।

न्यायाधीश ने कहा, "नई सरकार का गठन किया गया है, एक अनुस्मारक भेजें।"

अदालत

अब इस मामले में तीन अप्रैल को सुनवाई करेगी।

सुनवाई की पिछली तारीख को अरविंद केजरीवाल सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि फाइल दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के समक्ष लंबित है, जो गृह मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल रहे हैं।

सरकारी वकील ने अदालत में एक पत्र प्रस्तुत करके जवाब दाखिल किया है।

उल्लेखनीय है कि नौ फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और मकबूल बट को दी गई फांसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इस मामले में कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बान को गिरफ्तार किया गया था।

उनपर आरोप है कि उन्होंने देश विरोधी नारेबाजी का समर्थन किया था। कन्हैया उस वक्त जेएनयूएसयू के अध्यक्ष थे। इस गिरफ्तारी के खिलाफ देशभर में अलग-अलग विश्वविद्यालय परिसरों में विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला था। हालांकि, बाद में तीनों को जमानत दे दी गई थी।

 

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