विशद कुमार
भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) ने कहा है कि मोदी राज के छ: साल नागरिक स्वतंत्रता, भारत के संविधान और लोकतंत्र पर अनवरत हमले के साल रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 8 फरवरी को संसद में बोलते हुए प्रदर्शनकारियों और विरोधियों को ‘परजीवी’ बता अपनी असल मंशा को स्पष्ट कर दिया है।
समाज के सभी तबकों से विरोध प्रदर्शनों में आने वाले मजदूरों, किसानों, छात्रों, महिलाओं आदि सभी लोगों के लिए मोदी ने एक नया शब्द रचा है, ‘आन्दोलनजीवी’. उनका कहना है कि जो विभिन्न तरह के जन आन्दोलनों का समर्थन करते हैं वे ‘साजिशकर्ता’ हैं और उनसे देश को बचाना होगा।
उन्हें समझ लेना चाहिए कि लोकतांत्रिक आन्दोलनों में भाग लेने वाले ट्रेड यूनियन, किसान संगठनों, महिला आन्दोलन, दलित आन्दोलन, नागरिक अधिकार आन्दोलन और पर्यावरण बचाने के संघर्षों आदि में शामिल - लोग अपने आन्दोलनजीवी होने पर गर्व करते हैं और दमित, वंचित व विस्थापित जनता के संघर्षों में अपनी जान की बाजी लगा देते हैं. भले ही सरकारें ऐसे लोगों को अपने लिए खतरा समझती रहें, गरीब व उत्पीडि़त जनता के संघर्षों में सबसे अगली कतार में आकर लड़ने वाले ऐसे लोग प्रत्येक देश का गौरव होते हैं।
हम आन्दोलनजीवी आजादी के आन्दोलन की गौरवमयी विरासत के साथ खड़े हैं। यह तो स्वाभाविक ही है कि श्रीमान मोदी आन्दोलनों को बर्दाश्त नहीं कर पाते, क्योंकि उनका अपना संगठन
सच्चाई तो यह है कि मोदी खुद ट्रम्प और बोलसानारो जैसे विदेशी तानाशाहों और बिल गेट्स जैसे बड़े कॉरपोरेशनों के मालिकों के स्वागत और प्रशंसा में हमेशा खड़े रहते हैं। उनको केवल तभी परेशानी होती है जब अपने देशों में नस्लवाद, तानाशाही और पर्यावरण परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोग भारत के जन आन्दोलनों का समर्थन करते हैं।
हम सभी स्वतंत्रता प्रेमी न्याय की मांग करने वाले भारतीयों से अपील करते हैं कि वे गर्व से कहें कि ‘हम आन्दोलनजीवी हैं’। भारत और पूरे विश्व के आन्दोलनजीवी ही एक समतामूलक लोकतांत्रिक दुनियां के सपने को साकार बना सकते हैं।
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