लखनऊ, 22 अप्रैल 2021, किसी को भी व्यक्तिगत रूप से आक्सीजन सिलेंडर न देने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का तुगलकी फरमान प्रदेश में कोरोना से मौतों (Deaths from corona) को बढ़ायेगा और पहले से अस्पताल में भर्ती होने से वंचित होम कोंरटाइन कोविड पीडितों को मौत के मुंह में ढकेलेगा। इस आदेश को तत्काल सरकार को वापस लेना चाहिए और प्रदेश के हर नागरिक के लिए आक्सीजन, अस्पताल में बेड और कोरोना से बचाव की दवाओं का इंतजाम करना चाहिए।
यह प्रस्ताव आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के द्वारा लिया गया। प्रस्ताव की जानकारी देते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने उन्नाव मेडिकल कालेज में कल आक्सीजन के अभाव में नौ लोगों की मौत होने पर गहरी चिंता व्यक्त की।
आइपीएफ के प्रस्ताव में कहा गया कि राजधानी लखनऊ में लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (Lohia Institute of Medical Sciences in the capital Lucknow) और विवेकानंद अस्पताल में आक्सीजन की कमी के कारण आधा दर्जन लोगों की मृत्यु हुई व बलरामपुर अस्पताल समेत पूरे प्रदेश में आक्सीजन की किल्लत बनी हुई है। आम आदमी की कौन कहे समाज के सम्भ्रांत हिस्से की भी जान सुरक्षित नहीं है।
इलाहाबाद के स्वरूपरानी अस्पताल में पांच दशक तक इलाज करने वाले डॉ. जे. के. मिश्रा तक को आक्सीजन व समुचित इलाज तक नहीं मिला और उनकी मृत्यु हो गई। कानपुर के जिला जज को इलाज नहीं मिल सका, पदमश्री से सम्मानित योगेश
यही स्थिति वरिष्ठ पत्रकार विनय श्रीवास्तव के साथ भी हुई इलाज के अभाव में तड़प तड़प कर उन्होंने दम तोड़ा।
प्रस्ताव में कहा गया कि लखनऊ, आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर समेत पूरे प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर (Second wave of corona) में हाहाकार मचा हुआ है लेकिन सरकार सिर्फ अखबारी बयानबाजी करने में लगी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में आम आदमी को इलाज की सुविधा देना और उसकी जिदंगी बचाना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है जिसे पूरा करने में मौजूदा सरकार विफल रही है। हाईकोर्ट की संस्तुतियों पर विचार कर अमल करके लोगों की जिदंगी बचाने की जगह योगी सरकार उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे स्टे करा वीर बहादुर बन रही है।
हद तो यह है कि इन बुरी हालात में सरकारी अस्पतालों में ओपीडी और आईपीडी तक बंद कर दी गई, परिणामस्वरूप कोविड के अलावा अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग इलाज के अभाव में बेमौत मरने के लिए मजबूर हैं। इन परिस्थितियों में जनता की मदद के लिए आइपीएफ ने कोविड हेल्प डेस्क शुरू किया है और जो लोग भी इलाज के अभाव में परेशान है उनकी दिक्कतों को शासन प्रशासन के समक्ष उठाया जा रहा है।
आइपीएफ हेल्प डेस्क के जरिए जिलों में कोरोना की वास्तविक हालत, पीड़ितों की समस्याओं, वर्तमान में उपलब्ध सुविधाओं, अस्पताल में भर्ती मरीजों की हालत, सरकार द्वारा घोषित और वास्तविक रूप से हो रही मौतों के अंतर, दवाईयों व आक्सीजन की उपलब्धता आदि पर सूचनाएं एकत्र कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में लम्बित जनहित याचिका में दाखिल करेगा।