Hastakshep.com-आपकी नज़र-Corona's dangers and hunger-coronas-dangers-and-hunger-Latehar District Headquarters-latehar-district-headquarters-lockdown-lockdown-Poochta Hai Bharat-poochta-hai-bharat-कोरोना वायरस पर लेख-koronaa-vaayrs-pr-lekh-पूछता है भारत-puuchtaa-hai-bhaart-लातेहार जिला मुख्यालय-laatehaar-jilaa-mukhyaaly-लॉकडाउन-lonkddaaun

Common people trapped between Corona's dangers and hunger, ground reality teasing government announcements

लातेहार जिला मुख्यालय (Latehar District Headquarters) से 90 किमी दूर स्थित है माहुआडांड़ प्रखण्ड, जहां से महज 2 कि0 मी0 दूर है अंबा टोली पंचायत का गुड़गु टोली गांव, जहां की रहने वाली अत्यंत गरीब विधवा महिला कुन्ती नगेसिया जहां एक तरफ लॉकडाउन (Lockdown) के कारण कहीं आ जा नहीं पा रही है, वहीं अनाज के अभाव में तिल—तिल मरने को मजबूर है।

बता दें कि लॉकडाउन से पहले कुन्ती नगेसिया रांची जिले का इटकी अरोग्य केन्द्र से करीब 9 महिने तक टीबी का इलाज कराने के बाद वापस घर आई है। इलाज के लिए जाने के पूर्व 02 अप्रैल 2019 को ही उसने राशन कार्ड बनवाने हेतु सभी कागजातों के साथ अनुमण्डल अधिकारी महुआडांड़ को सौंप दिया था। आवेदन सौंपते वक्त कार्यालय कक्ष में ही अंचल अधिकारी एवं अनुमण्डल पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे। सीओ को भी उसने विधवा पेंशन के लिए उसी दिन आवेदन सौंपा था।

कुन्ती ऑनलाईन आवेदन कराने में असमर्थ थी, क्योंकि उक्त प्रखण्ड में प्रज्ञा केन्द्र के सभी संचालक 50 रूपये प्रति सदस्य ऑनलाईन आवेदन कराने का शुल्क वसूलते हैं, जो कुन्ती नगेसिया जैसों सैकड़ों गरीबों के लिए संभव नहीं था। आज उनके पास कार्यालय में समर्पित दोनों आवेदनों की पावती है, किन्तु एसडीओ महुआटांड़ ने एक वर्ष बीत जाने के बाद भी ऑनलाईन आवेदन की पावती आवेदिका को उपलब्ध नहीं कराया है।

लोहरदगा जिला अंतर्गत सेन्हा बांधटोली की रहने वाली महिला चिन्तामुनी कुमारी अकेली रहती है। वह अत्यन्त गरीब है। उसने पी0 एच0 कार्ड जिसका संख्या 202002191351 है, उसने उसे संभाल कर रखा है। लेकिन राशन लेने जाने पर उससे कहा जाता रहा है कि उसका कार्ड डिलीट हो गया है। चेक करने पर पता चला कि उस नंबर पर प्रमिला नामक किसी दूसरे परिवार को कार्ड निर्गत कर दिया गया है।

इसके पास भी राशन कार्ड हेतु ऑनलाईन की कोई रसीद नहीं है। लेकिन गरीबी के कारण दाने-दाने को मोहताज हो रही है। जब इस मामले पर जब पूछताछ की प्रक्रिया शुरू हुई तो संबंधित एजेंसी द्वारा आनन फानन में उसे 5 किग्रा चावल देकर अपना फर्ज पूरा कर लिया गया। जिसका जिक्र चिन्तामुनी वीडियो में करती दिख रही है।

परिवार के भरण पोषण के लिए बाहर मजदूरी करने वाला पश्चिम सिंहभूम जिला का सोनुआ प्रखण्ड के बारी ग्राम निवासी अगस्ती गागराई लॉकडाउन के ठीक पहले किसी तरह घर पहुंचा है। उसके घर में 3 बच्चों सहित पांच लोग रहते हैं, जिन्हें प्राय: भोजन की समस्या बनी रहती है। बावजूद इनका लाल कार्ड नहीं है। सरकारी अधिकारियों ने इन्हें सफेद कार्ड थमा दिया है, जिसपर मिट्टी तेल के अलावा कोई दूसरी सामग्री नहीं दी जाती है। अब यह परिवार कार्ड के लिए आवेदन भी नहीं कर सकता है।

इस मामले पर झारखण्ड नरेगा वाच के समन्वयक जेम्स हेरेंज कहते हैं कि

''कुन्ती नगेसिया, चिन्तामुनी कुमारी और अगस्ती गागराई ये कुछेक उदाहरण मात्र हैं। जबकि सर्वे किया जाय तो राज्य में एक बहुत बड़ी आबादी मिलेगी जो कोरोना के साथ-साथ भूख और कुपोषण से इस वक्त जंग लड़ रही है। इनको राशन मुहैया कराने हेतु राज्य सरकार ने हालिया संकल्प पत्र में जो दो शर्त लगाये हैं कि पहले से ऑनलाइन किए हुए 697443 परिवारों को तथा दूसरा सुपात्र परिवारों को ऑनलाइन कराते हुए एक रुपए की दर से खाद्यान्न प्रति परिवार 10 किलो अप्रैल एवं मई का उपलब्ध कराना है। दूसरी तरफ जरूरतमंद ऐसे परिवार जिन्हें इस बारे कोई जानकारी नहीं है, उन्होंने राशन कार्ड हेतु आवेदन के लिए मुखिया/डीलर/स्वयं सेवकों/दलालों को पैसे दिए, बावजूद परिवारों को ऑनलाइन की रसीद नहीं मिली।''

वे बताते हैं कि

''जहां लॉकडाउन के कारण अन्य सभी तरह की दुकानें बंद हैं, वहीं लोगों को घरों के लक्ष्मण रेखा भी लांघनी नहीं है, फिर कैसे करेंगे ऑनलाईन आवेदन? स्पष्ट है कि ऑनलाईन के नाम पर पिछले दरवाजे से गरीबों का आर्थिक शोषण हो रहा है। सरकार गरीबों को राहत दे रही है या गरीबी की दलदल में उन्हें और धकेलना चाहती है यह समझ से परे है। आखिर  कोरोना संकट के वैश्विक महामारी में खाद्य संकट से जूझ रहे परिवारों को सरकारों के समक्ष अपनी गरीबी साबित करने के लिए और कितनी अग्नि परीक्षाएं देनी पडेंगी।''

कहना ना होगा कि कोरोना के खतरों और भूख के बीच आज आम इंसान बुरी तरह फंसा है, जिसके कई उदाहरण लॉकडाउन के बाद आए दिन देखने को मिल रहे हैं।

अब सरकारी घोषणाओं को मुंह चिढ़ाती जमीनी हकीकत से यह साफ हो जाता है कि कितना भी खतरनाक माहौल क्यों न हो हमारी भ्रष्ट व्यवस्था और उसके पोषक तत्वों के चरित्र में कोई बदलाव नहीं आ सकता।

हम देख सकते हैं कि झारखण्ड सरकार का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम व कोरोना खाद्य, सार्वजानिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग, 'संकल्प' राज्य में COVID -19  संक्रमण एवं संभावित महामारी को देखते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से अनाच्छादित परिवारों को माह अप्रैल एवं मई 2020 हेतु प्रति परिवार 10 किलोग्राम चावल प्रति माह के लिए उपलब्ध कराने हेतु 36.11 करोड़ रूपये स्वीकृति प्रदान करता है।

विभाग यह भी बताता है कि भारत सहित सम्पूर्ण विश्व कोरोना (COVID -19 )जैसे घातक वायरस के प्रकोप से ग्रसित है। इस वायरस के प्रकोप को देखते हुए इस बात की संभावना है कि आने वाले दिनों में गरीब/असहाय/रोजमर्रा की जिन्दगी व्यतीत करने वाले लोगों/असंगठित क्षेत्र के लोगों के रोजगार/दैनिक मजदूरी पर व्यापक कुप्रभाव पड़ेगा, जिससे ऐसे लोगों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

इसी के मद्देनजर विभाग कई घोषाएं करता है।

जैसे:—

— वर्तमान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सम्प्रति 26341634 लाभुकों को जनवितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।

— उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत आच्छादित होने हेतु राशन कार्ड बनाने के लिए वर्तमान में ERCMS (Existing Ration Card Management System) के अन्तर्गत दिनाँक 23.03.2020 के आंकड़ों के अनुसार 697443 आवेदन लंबित हैं।

— वर्तमान में कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे निपटने हेतु राज्य में पूर्ण लॉकडाउन लागू है, जिसके कारण आमलोगों का जन-जीवन एवं रोजगार प्रभावित हो रहा है।

इस दृष्टिकोण से वैसे परिवार, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत पात्रता की श्रेणी में आते हैं, परन्तु रिक्तियां नहीं होने के कारण आच्छादित नहीं हो पाये हैं एवं जिनका आनलाईन आवेदन लंबित है, को प्राथमिकता के आधार पर प्रति परिवार 10 किलो चावल प्रति माह स्थानीय बाजार समिति की दर के अन्तर्गत क्रय करते हुए एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराये जाने का निर्देश विभागीय पत्रांक 798, दिनांक 23.03.2020 के माध्यम से सभी उपायुक्तों को दिया गया है।

— उपर्युक्त परिप्रेक्ष्य में वैसे व्यक्ति / परिवार, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत पात्रता की श्रेणी में आते हैं, परन्तु रिक्तियाँ नहीं होने के कारण आच्छादित नहीं हो पाये हैं एवं जिनका ऑनलाईन आवेदन लंबित है, को प्राथमिकता के आधार पर प्रति परिवार 10 किलोग्राम चावल प्रति माह स्थानीय बाजार समिति की दर के अन्तर्गत क्रय करते हुए माह अप्रैल एवं मई 2020 के दौरान एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है, जिस पर 36.11 करोड़ रूपये का व्यय संभावित है।

— इस क्रम में वैसे सुपात्र लाभुकों को भी, जिन्होंने राशन कार्ड बनाने हेतु आनलाईन आवेदन नहीं समर्पित किया है, विधिवत् ऑनलाईन आवेदन कराते हुए यथा अनुमान्य मात्रा में चावल उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है।

— उपर्युक्त व्यवस्था के अन्तर्गत चावल का वितरण प्रखण्ड स्तर / शहरी वार्ड स्तर / पंचायत स्तर / जनवितरण प्रणाली दुकान स्तर पर निगरानी समिति की देख-रेख में कराया जाएगा तथा प्रति किलोग्राम के विरूद्ध प्राप्त एक रूपये की राशि व्यय संबंधित उपायुक्तों के द्वारा समुचित वितरण व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु किया जाएगा, जिसका सम्पूर्ण लेखा-जोखा संधारित किया जाएगा।

— प्रत्येक वितरण स्थल पर लाभुकों की एक पंजी संधारित की जाएगी, जिसमें लाभुकों की समस्त आवश्यक सूचना, यथा-नाम, राशन कार्ड बनाने हेतु ऑनलाईन आवेदन संख्या, इत्यादि की प्रविष्टि की जाएगी ताकि कालक्रम में कोई जटिलता उत्पन्न न हो।

— निदेशक, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले निदेशालय इस योजना अन्तर्गत आवंटित राशि के निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी होंगे, जिनके द्वारा राशि अग्रिम निकासी कर प्रबंध निदेशक, झारखण्ड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड को उपलब्ध कराई जाएगी। प्रबंध निदेशक, झारखण्ड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड के द्वारा संबंधित जिलों के उपायुक्तों को आवश्यक राशि उपलब्ध कराई जाएगी, जिस क्रम में उपायुक्तों के द्वारा संबंधित राशि का ससमय उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रबंध निदेशक, झारखण्ड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड को समर्पित किया जाएगा। प्रबंध निदेशक, झारखण्ड राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम लिमिटेड द्वारा उपायुक्तों को उपलब्ध कराई गई इस अग्रिम राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र निदेशक, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले निदेशालय को समर्पित किया जाएगा ताकि निकासी की गई अग्रिम राशि का विधिवत समायोजन कराया जा सके।

— इस योजना अन्तर्गत स्वीकृत राशि बजट शीर्ष-3456-सिविल पूर्ति-उप शीर्ष- 66 -राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम से अनाच्छाादित गरीब लाभुकों को खाद्यान्न वितरण के अन्तर्गत विकलनीय होगी।

— उक्त संलेख पर मंत्रिपरिषद् के दिनांक 13.04.2020 की बैठक के मद संख्या -02 के रूप में स्वीकृति प्राप्त है।

यह घोषणा झारखण्ड के राज्यपाल के आदेश से सरकार के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह द्वारा जारी की गई है।

नरेगा वाच के समन्वयक जेम्स हेरेंज कहते हैं कि इस संकल्प में दो कंडिका है जो परिवारों को खाद्यान्न लेने में परेशानी होगी। (1) पहले से ऑनलाइन किए हुए परिवार और दूसरा सुपात्र परिवारों को ऑनलाइन कराते हुए एक रुपए के दर से खाद्यान्न प्रति परिवार दस किलो अप्रैल एवं मई का उपलब्ध कराना है। सवाल है परिवारों ने आवेदन के लिए मुखिया/डीलर/स्वयसेवकों/दलालों को पैसे दिए लेकिन परिवारों को ऑनलाइन की रसीद नहीं मिली। दूसरा अभी लॉकडाउन  में सभी तरह की दुकानें बंद (All types of shops closed in lockdown) हैं। लोगों को घरों के लक्ष्मण रेखा लांघनी नहीं है फिर योग्य परिवार भी आवेदन को ऑनलाइन कैसे करेंगे? सरकार गरीबों को राहत देने का प्रयास कर रही है या सिर्फ घोषणाओं के बदौलत लोकप्रियता हासिल करना चाहती है, यह बड़ा सवाल है।

बताते चलें कि पिछले 02 अप्रैल 2020 को राज्य के गढ़वा जिला मुख्यालय से करीब 55 कि0 मी0 दूर और भण्डरिया प्रखण्ड मुख्यालय से करीब 30 कि0 मी0 उत्तर पूर्व घने जंगलों के बीच बसा आदिवासी बहुल कुरून गाँव की 70 वर्षीय सोमारिया देवी की भूख से मौत हो गई थी।  सोमरिया देवी अपने 75 वर्षीय पति लच्छू लोहरा के साथ रहती थी। उसकी कोई संतान नहीं थी। मृत्यु के पूर्व यह दम्पति करीब 4 दिनों से अनाज के अभाव में कुछ खाया नहीं था। इसके पहले भी ये दोनों बुजुर्ग किसी प्रकार आधा पेट खाकर गुजारा करते थे।

विशद कुमार

 

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