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सिकंदरपुर आईमा के मुसलमानों को साम्प्रदायिक एजेंडे के तहत प्रताड़ित कर रही है आज़मगढ़ पुलिस

एसपी त्रिवेणी सिंह अपनी प्रशासनिक ज़िम्मेदारी निभाने के बजाए हिन्दू युवा वाहिनी के नेता की तरह कर रहे बर्ताव

कांग्रेस नेता ने किया सिकंदरपुर आईमा गांव का दौरा

Congress leader visits Sikanderpur Aima village

आज़मगढ़,19 जून 2020। कांग्रेस ने आज़मगढ़ के सिकंदरपुर आईमा गांव में विगत दिनों मुसलमान और दलित बच्चों के बीच हुई मारपीट मामले में पुलिस प्रशासन पर घटना को सांप्रदायिक रूप देने का आरोप लगाया है। वहीं पूरे मामले में मायावती पर भाजपा के साथ खड़े होने का भी आरोप लगाया है।

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देश पर कांग्रेस जांच दल ने गांव का दौरा करने के बाद यह आरोप लगाया है।

कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने सिकंदरपुर आईमा गांव का दौरा करने के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 12 जून को गांव के बच्चों के मामूली विवाद को ज़िले के एसपी त्रिवेणी सिंह ने मुख्यमंत्री के इशारे पर साम्प्रदायिक रंग दे दिया। मीडिया के एक हिस्से में पुलिस प्रशासन के उकसावे पर इसे दलित लड़की से छेड़छाड़ का मामला प्रचारित किया गया। जबकि एफआईआर में कहीं पर भी किसी लड़की से छेड़खानी की बात ही नहीं दर्ज है। उसमें दो लड़कों के बीच के मारपीट का मामला लिखा है।

शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया कि यह सब एक साज़िश के तहत खुद एसपी के निर्देश पर हुआ, जिन्होंने इसे साम्प्रदायिक घटना प्रचारित कर अफ़वाह फैलाई, ताकि मुसलमानों पर एकतरफा कार्यवाई के लिए माहौल बनाया जा सके। पहले से तय स्क्रिप्ट के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सभी आरोपियों पर रासुका लगाने की बात कर दी। जिसके बाद दबिश के नाम पर पूरे गांव में घर-घर घुसकर पुलिस ने तोड़फोड़ की और लोगों को मारा-पीटा।

कांग्रेस नेता ने कहा कि यहां तक कि गांव में मौके पर पहुँचे एसपी त्रिवेणी

सिंह ने मुसलमानों की मौजूदगी में अपने मातहत अधिकारियों को निर्देश दिया कि सिर्फ मुसलमानों के ख़िलाफ़ ही कार्यवाई करनी है, दूसरे पक्ष से कोई गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। इस बात को ख़ुद गांव के कई लोगों ने बताया। आज इस गांव से क़रीब दो दर्जन मुसलमान उस अपराध में बंद हैं जिसका कहीं एफआईआर में जिक्र ही नहीं है। रात-रात भर गांव में बचे बुज़ुर्ग लोग गांव की पहरेदारी कर रहे हैं। पुलिस मुस्लिम पक्ष की तरफ़ से एफआईआर लिखने को तैयार नहीं है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 13 जून को जैसे ही योगी जी ने मुसलमानों पर रासुका लगाने की बात की और पुलिस ने मुसलमानों को प्रताड़ित करना शुरू किया, बसपा प्रमुख मायावती ने भी ट्वीट कर योगी सरकार की मुस्तैदी की तारीफ़ कर दी। उन्होंने ट्वीट में इसे 'दलित बेटी के साथ हुए 'बताकर भाजपा द्वारा फैलाये जा रहे अफवाह को और मजबूत किया और आज़मगढ़ के मुसलमानों की छवि ख़राब की। जिसके लिए उन्हें अपना ट्वीट डिलीट कर आज़मगढ़ के मुसलमानों से माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज़मगढ़ के ही उबारपुर गांव में भाजपा ज़िला अध्यक्ष निशिकांत राय के परिवार ने गांव के दलितों को बुरी तरह पीटा था, जिसमें दलित एक्ट के तहत मुकदमा तक नहीं लिखा गया है, लेकिन उस पर मायावती जी ने एक लफ्ज़ नहीं बोला।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि त्रिवेणी सिंह अपनी प्रशासनिक ज़िम्मेदारी निभाने के बजाए योगी के साम्प्रदायिक संगठन हिन्दू युवा वाहिनी के पदाधिकारी की भूमिका में ज़्यादा दिखने लगे हैं। जिन्होंने इससे पहले बिलरियागंज में भी नागरिकता संशोधन क़ानून का शांतिपूर्ण विरोध कर रही महिलाओं पर न सिर्फ़ आंसू गैस के गोले दगवाये थे। बल्कि क़ानूनी तऱीके से बिना कथित नुकसान की संपत्ति विभाग से जांच कराए ही हर्जाना वसूली का नोटिस भेज दिया था।

https://twitter.com/Mayawati/status/1271637309872459776?s=20)

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