रायपुर, 04 जून 2020. छत्तीसगढ़ किसान सभा (सीजीकेएस) ने कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के नाम पर कृषि क्षेत्र में मंडी कानून को खत्म करने, ठेका खेती को कानूनी दर्जा देने और खाद्यान्न को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर करने के मोदी सरकार के फैसले (Modi government's decision to exclude foodgrains from the purview of the Essential Commodities Act) को इस देश की खेती-किसानी और खाद्यान्न सुरक्षा और आत्म निर्भरता के खिलाफ बताया है और इसके खिलाफ 10 जून को राज्यव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि ठेका खेती का एकमात्र मकसद किसानों की कीमत पर कॉर्पोरेट पूंजी की लूट और मुनाफे को सुनिश्चित करना है। ऐसे में लघु और सीमांत किसान, जो इस देश के किसान समुदाय का 75% है और जिनके पास औसतन एक एकड़ जमीन ही है, पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा और उसके हाथ से यह जमीन भी निकल जायेगी। यह नीति देश की खाद्यान्न आत्म-निर्भरता और सुरक्षा को भी खत्म कर देगी।
किसान सभा ने कहा है कि वास्तव में इन निर्णयों के जरिये मोदी सरकार ने देश के किसानों और आम जनता के खिलाफ जंग की घोषणा कर दी है, क्योंकि यह किसान समुदाय को खेती-किसानी के पुश्तैनी अधिकार
किसान सभा नेताओं ने कहा कि ठेका खेती का छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में बुरा अनुभव रहा है। पिछले वर्ष ही माजीसा एग्रो प्रोडक्ट नामक कंपनी ने छत्तीसगढ़ के 5000 किसानों से काले धान के उत्पादन के नाम पर 22 करोड़ रुपयों की ठगी की है और जिन किसानों से अनुबंध किया था या तो उनसे फसल नहीं खरीदी या फिर किसानों के चेक बाउंस हो गए थे।
गुजरात में भी पेप्सिको ने उसके आलू बीजों की अवैध खेती के नाम पर नौ किसानों पर पांच करोड़ रुपयों का मुकदमा ठोंक दिया था। ये दोनों अनुभव बताते हैं कि ठेका खेती के नाम पर आने वाले दिनों में कृषि का व्यापार करने वाली कंपनियां किस तरह किसानों को लूटेगी। इस लूट को कानूनी दर्जा देने के लिए मोदी सरकार की तीखी निंदा करते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा ने अन्य किसान संगठनों को भी इसके खिलाफ लामबंद करने की घोषणा की है।