Hastakshep.com-आपकी नज़र-capitalism-capitalism-Corona crisis-corona-crisis-free market crisis-free-market-crisis-world order-world-order-कोरोना काल-koronaa-kaal-कोरोना संकट-koronaa-snktt-पूंजीवाद-puunjiivaad-मुक्त बाजार का संकट-mukt-baajaar-kaa-snktt-विश्व व्यवस्था-vishv-vyvsthaa-हिंदुत्व के कारपोरेट एजेंडा-hindutv-ke-kaarporett-ejenddaa

आज हमारी प्यारी पोती छनछन का जन्मदिन था। हम लोग दिनेशपुर जाकर उसका बर्थडे मनाना चाहते थे। हम काफी बूढ़े हो गए हैं, इसलिए बर्थडे की याद नहीं रही। आज सुबह शालू और प्रिया के पोस्ट से मालूम चला।

सुबह-सुबह एसडी इंटर कॉलेज के सुभाष व्यापारी और किड्स पैराडाइस के सतिंदर सिंह आ पहुंचे।

कल रात सविता जी की भतीजी मेघना के पति सुभाष ने आने की सूचना दी थी। लेकिन सतिंदर जी आ जाएंगे, इसकी जानकारी नहीं थी। बहुत सुखद आश्चर्य की स्थिति थी।

दोनों कहा कि दुर्गापुर चलें। बात करनी है।

हम घर बैठे थे। इन दोनों युवा शिक्षकों से सम्वाद का मौका खोने का मतलब नहीं था। फौरन राज़ी हो गए।

मैंने सिर्फ निवेदन किया कि दिनेशपुर होकर जाएंगे या लौटते वक्त दिनेशपुर जाएंगे

बच्चों से मुलाकात करनी है।

इसपर उन्होंने कहा कि दिनेशपुर गाड़ी लेकर जा नहीं सकते। गाड़ी पर रोक लग गयी है।

लॉक डाउन में ढील का यह नतीजा है।

बहरहाल मास्क पहनकर दोनों युवा जनों के साथ दुर्गापुर जा पहुंचे।

मुझे पांच छह घण्टे लगतार बोलने की आदत रही है।

गांव लौटने के बाद बोलने की आदत खत्म हो गयी।

दोनों ने मौजूदा हालात, विश्व व्यवस्था, मुक्त बाजार, उदारीकरण निजीकरण वैश्वीकरण पर इतने धुआंधार सवाल दागे की वक्त कैसे बीतता चला गया,पता ही नहीं चला।

इस बीच आंधी पानी शुरू हो गया।

अब शिक्षा व्यवस्था पर सिलसिलेवार चर्चा चली।

हमने प्रेरणा अंशु के प्रयोग की चर्च की और कहा कि छात्रों में पढ़ने लिखने की संस्कृति को मजबूत बनाने का एकमात्र रास्ता है और मास्साब की तरह संस्थागत तरीके से नई पीढ़ी के साथ लगातार सम्वाद करने की अनिवार्यता है। इस सिलसिले में वीरेश और बबिता के अलावा रूपेश और मैंने विजय सिंह से भी बात की है। हम प्रेरणा अंशु पांचवी से बारहवीं के छात्रों को पढा रहे हैं।

कोरोना संकट, पूंजीवाद, विश्व व्यवस्था और मुक्त बाजार का संकट है। आम जनता का संकट रोज़ी रोटी का है।

कोरोना

से जब भी निजात मिले, मिलेगी जरूर लेकिन भुखमरी और बेरोज़गारी की समस्या सुलझने की चुनौती है।

हमने कहा कि प्रधानमंत्री अगर देश का नेतृत्व सही ढंग से कर पाते हैं और राजनीति से ऊपर उठकर कारपोरेट दबाव से मुक्त होकर हिंदुत्व के कारपोरेट एजेंडा को हाशिये पर रखकर नई चुनौतियों का मुकाबला कर पाते है तो देश बचेगा और वे। नया इतिहास बनाएंगे।

वरना देश रसातल में चला जाएगा और अर्थव्यबस्था तबाह हो जाएगी। मध्य वर्ग के 40 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ जाएंगे। इसके बाद क्या होगा, कहना मुश्किल है।

हमने कहा कि आपराधिक धनपशु नेतृत्व कर रहे हैं, जिससे दिशाएं गायब हो रही हैं।

सत्तर के दशक, यहां तक कि अस्सी के दशक में हमारे शिक्षक समाज का नेतृत्व करते थे और वे हमारे आदर्श थे।

मैंने प्राइमरी से लेकर विश्वद्यालय तक के हमारे शिक्षकों की चर्चा की और कहा कि जैसा भी संकट हो नई पीढ़ी को उसके लिए तैयार करने और भविष्य की कठिन चुनौतियों के मुकाबले समाज का नेतृत्व शिक्षकों ही करना होगा। सत्ता की राजनीति कैसी होगी, इससे फर्क नहीं पड़ता अगर हमारी नई  पीढ़ी हर हालत के लिए तैयार हो।

उनमें वस्तुगत, वैज्ञानिक जीवन दृष्टि और इतिहास भूगोल   अर्थव्यवस्था और ज्ञान विज्ञान की समझ शिक्षक ही बना सकते हैं।

हमने उनकी शिक्षा समिति से जुड़े चालीस विद्यालयों से सम्वाद और अध्धयन का सिलसिला शुरू करने के लिए समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों से बात करने के लिए कहा और इस प्रक्रिया में हमारी जहां जरूरत होगी हम सेवा में उपस्थित होंगे, ऐसा कहा।

भोजन के बाद मेघना की बेटियां डॉक्टरी की छात्रा यीशु और कवियत्री श्रेया ने घेर लिया। उनके साथ उनकी दादी और मम्मी दोनों थी

साहित्य, भाषा, समाज, संस्कृति, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र पर उन्होंने इतने सवाल दागे कि जवाब देते-देते मेरे गले में दर्द हो गया।

लौटते हुए रात हो गई और मौसम नैनीताल जैसे हो गया।

दिन बहुत अच्छा बीता।

सिर्फ अफसोस कि जन्मदिन पर छनछन और घर के तीन और बच्चो से मुलाकात नहीं हो पाई। रूपेश, वीरेश और बबिता भी आज के सम्वाद में मौजूद होते तो और नई बाते निकलतीं।

उम्मीद है कि यह सम्वाद का आखिरी मौका नहीं है।

पलाश विश्वास

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