अब तक सरकारें ऐसा करने में रही हैं विफल
बनारस में उपाध्याय जी दवाओं के सप्लायर हैं। अमेरिका से लौटे थे, संक्रमित थे। वह और उनका पूरा परिवार कोरोना पॉज़िटिव (Corona positive) पाया गया। उनसे दवा खरीदने वाले कई मेडिकल स्टोर वाले भी पाज़िटिव पाए गए। कई ज़िलों में उनसे दवा लेने वाले ढूँढे जा रहे हैं।
यह बहस बेमानी है कि कौन पाज़िटिव था और उससे किस-किस तक कोरोना फैला। यह बहस पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं है।
इस पर समय नष्ट करने के बजाए सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं जैसे फल, सब्ज़ी, दवा, राशन जैसी दैनिक इस्तेमाल की चीजों की पूरी चैन को चिन्हित किया जाए और ऊपर से नीचे तक उनका टेस्ट करवाने की व्यवस्था की जाए, ताकि इन आवश्यक वस्तुओं के साथ कोरोना संक्रमण लॉक डाउन के पालन से निश्चिंत जनता के घरों तक ना पहुँच जाए।
अगर इस पर राजनीति की जाती रही तो तबलीग से शुरू हुआ यह अभियान आरोप प्रत्यारोप के माध्यम से सिख श्रद्धालुओं के साथ दवा विक्रेता, सब्ज़ी विक्रेता से होता हुआ प्रवासी मजदूरों तक और ना जाने कहां-कहां तक जाएगा लेकिन कोरोना महामारी अपनी रफ्तार से बढ़ती जाएगी।
इसलिए सरकार को चाहिए कि आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई की पूरी चैन में शामिल सभी का कोरोना टेस्ट करवाना सुनिश्चित करे और बिना निगेटिव रिपोर्ट वाला कोई भी व्यक्ति उस चैन में ना रहने पाए।
मसीहुद्दीन संजरी