Hastakshep.com-देश-2020 Corona Virus-2020-corona-virus-COP 26 जलवायु शिखर सम्मेलन-cop-26-jlvaayu-shikhr-smmeln-Corona virus In India-corona-virus-in-india-Covid-19 pandemic-covid-19-pandemic-कोरोना वायरस संक्रमण-koronaa-vaayrs-snkrmnn-कोरोना वायरस-koronaa-vaayrs

COVID-19 pandemic in India | Corona virus In India

नई दिल्ली, 31 दिसंबर: दुनिया के विभिन्न देशों में रूपांतरित कोरोना वायरस का संक्रमण एक नई चुनौती बनकर उभर रहा है। भारत में भी रूपांतरित या उत्परिवर्तित नोवेल कोरोना वायरस दस्तक दे चुका है। भारत में नोवेल कोरोना वायरस के रूपांतरण (novel coronavirus virus conversion in india details), उसके जीनोमिक तंत्र में परिवर्तन और उससे संबंधित खतरों की निगरानी एवं रोकथाम को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की पहल पर भारतीय शोध संस्थानों का एक समूह गठित किया गया है। इंडियन सार्स-कोरोना वायरस-2 (SARS-CoV-2) जीनोमिक कॉन्सोर्टियम (- Indian SARS-Corona Virus-2 Genomic Consortium - INSACOG) नामक यह समूह देश की दस प्रमुख प्रयोगशालाओं को मिलाकर गठित किया गया है।

इस समूह में पश्चिम बंगाल के कल्याणी में स्थित डीबीटी-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (एनआईबीएमजी), डीबीटी-इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस), भवुनेश्वर, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की पुणे स्थित प्रयोगशाला नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनवीआई), डीबीटी-नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंसेज (एनसीसीएस), पुणे, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधन परिषद (सीएसआईआर) से संबद्ध हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला सेंटर फॉर सेलुलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद की एक अन्य प्रयोगशाला डीबीटी-सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग ऐंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी), बेंगलूरू स्थित डीबीटी से संबद्ध इंस्टीट्यूट ऑफ सेल साइंस ऐंड रिजेनरेटिव मेडिसिन (InSTEM) एवं नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरो-साइंसेज (NIMHANS) एवं नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक ऐंड

इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) शामिल हैं।

इस समूह को गठित करने का उद्देश्य मल्टी लैबोरेटरी नेटवर्क के माध्यम से कोरोना वायरस में जीनोमिक भिन्नता की नियमित तौर पर निगरानी करना है।

देश की प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं का यह समूह भविष्य में प्रभावी वैक्सीन विकसित करने में भी व्यापक भूमिका निभा सकता है। यह समूह देश में उत्परिवर्तित कोरोना वायरस की स्थिति का पता लगाएगा। यह समूह कोरोना वायरस के नये जीनोमिक रूपों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर उसके प्रभाव का समय रहते पता लगाने और रुग्णता, उच्च मृत्यु दर जैसी अप्रत्याशित घटनाओं में वायरस की भूमिका का आकलन करेगा।

डीबीटी सचिव डॉ रेणु स्वरूप स्वरूप ने कहा है कि

“एक उच्‍च-स्‍तरीय अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति, विशेषकर नीतिगत मामलों के लिए इस समूह का मार्गदर्शन और निगरानी करेगी। इसमें वैज्ञानिक और तकनीकी मार्गदर्शन के लिए एक वैज्ञानिक सलाहकार समूह होगा।”

उन्होंने बताया कि डीबीटी इस समूह का समन्वयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर और सीएसआईआर के साथ मिलकर कर रहा है। यह समूह कैसे काम करेगा, इसकी व्यापक रणनीति तैयार कर ली गई है। यह समूह उत्परिवर्तित कोरोना वायरस की निगरानी के साथ-साथ उसके संक्रमण की रोकथाम के लिए जरूरी उपचार, निदान और वैक्सीन के विकास में भी मदद करेगा।

युनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका और दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में उत्परिवर्तित कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद भारत सरकार ने इस वायरस की निगरानी, जीनोम सीक्वेंसिंग और उसके स्वरूप की विस्तृत जानकारी के लिए यह पहल की है। युनाइटेड किंगडम, विशेषकर लंदन में रूपांतरित कोरोना वायरस के स्पाइक क्षेत्र एवं दूसरे जीनोमिक क्षेत्रों में एक से अधिक रूपांतरण दर्ज किए गए हैं। इन रूपांतरणों के कारण वायरस के नये रूपों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। डीबीटी के अनुसार, कोरोना वायरस का नया रूप अपने पूर्ववर्ती से अधिक संक्रामक है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी एक ताजा बयान में यह जानकारी दी गई है।

इस समूह की समन्वयक इकाई के रूप में डीबीटी-एनआईबीएमजी आंकड़ों की व्याख्या व विश्लेषण, आंकड़े जारी करने और मानक गतिविधियों एवं प्रक्रियाओं पर एनसीडीसी की एक नोडल इकाई के साथ मिलकर काम करेगी। एनसीडीसी सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के महत्व के नय वायरस प्रकारों के सभी नमूनों का डेटाबेस रखेगी। इन आंकड़ों का महामारी विज्ञान के रूप में विश्लेषण किया जाएगा, उनकी व्याख्या की जाएगी और उन्हें  जाँच, सम्‍पर्क में आए लोगों का पता लगाने और निपटने की कार्यनीतियों की योजना बनाने के लिए राज्य/जिलों के साथ साझा किया जाएगा। जीनोम सीक्वेंसिंग संबंधी सभी आंकड़ों को डीबीटी-एनआईबीएमजी और सीएसआईआर-आईजीआईबी में नेशनल डेटाबेस में व्यवस्थित रखा जाएगा।

(इंडिया साइंस वायर)


Donate to Hastakshep

नोट - हम किसी भी राजनीतिक दल या समूह से संबद्ध नहीं हैं। हमारा कोई कॉरपोरेट, राजनीतिक दल, एनजीओ, कोई जिंदाबाद-मुर्दाबाद ट्रस्ट या बौद्धिक समूह स्पाँसर नहीं है, लेकिन हम निष्पक्ष या तटस्थ नहीं हैं। हम जनता के पैरोकार हैं। हम अपनी विचारधारा पर किसी भी प्रकार के दबाव को स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए, यदि आप हमारी आर्थिक मदद करते हैं, तो हम उसके बदले में किसी भी तरह के दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे।

OR

Donations

Loading...