उन्नाव गैंगरेप मामले में प्रमुख गवाह की मौत की जांच हो : माले
पार्टी ने दलितों-महिलाओं के प्रति सरकारी संवेदनहीनता के खिलाफ 31 अगस्त को 'मिर्ज़ापुर चलो' का आह्वान किया
लखनऊ, 24 अगस्त।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर से जुड़े उन्नाव गैंगरेप मामले में मुख्य गवाह की मौत की जांच की मांग की है। वहीं, बदायूं में गैंगरेप की शिकार एक किशोरी द्वारा अभियुक्तों के परिवार से धमकी मिलने के बाद आत्महत्या कर लेने पर योगी सरकार की कानून-व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया है।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को कहा कि हाई प्रोफाइल उन्नाव कांड में पीड़िता के पिता की हत्या के चश्मदीद गवाह यूनुस की मौत और बिना पोस्टमार्टम शव को दफनाने से कई सवाल पैदा होते हैं। इसके पूर्व भी यौन उत्पीड़न के प्रभावशाली व्यक्तियों से जुड़े अन्य मामलों में गवाहों की प्रायोजित हत्या हुई है। आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर भी कम प्रभावशाली नहीं हैं। जिस तरह से उन्हें बचाने का प्रयास भाजपा नेताओं द्वारा किया गया था, उसे देखत हुए हाई कोर्ट को अहम गवाह की संदिग्ध मौत को संज्ञान में लेना चाहिए। शव को कब्र से निकाल कर डॉक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया जाना चाहिए, ताकि पीड़िता को न्याय दिलाने की प्रक्रिया में संदेहों की गुंजाइश न बचे। उन्नाव मामले की जांच कर रही सीबीआई को खुद इसकी पहले करनी चाहिए। यदि गवाह बीमार था, तो प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए उसका समुचित इलाज और सुरक्षा राज्य की जवाबदेही थी, जिसमें शासन-प्रशासन एकबार फिर चूक करता हुआ लगता है।
राज्य सचिव ने कहा कि एनकाउंटर विशेषज्ञ योगी सरकार में अपराधी और दबंग सर चढ़ कर बोल रहे हैं। महिलाओं की सुरक्षा करने में सरकार नाकाम है।
बंदायू गैंगरेप मामले में पीड़िता को न्याय दिलाना तो दूर, सरकार घटना के बाद भी उसकी हिफाजत न कर सकी। किशोर
राज्य सचिव ने कहा कि योगी सरकार भले ही एनकाउंटरों की गिनती गिन-गिन कर अपनी पीठ खुद थपथपा ले, लेकिन बदायूं की घटना सरकार की कानून-व्यवस्था का असली चेहरा दिखाती है।
माले नेता ने कहा कि योगी राज में दलित और गरीब जनता दबंगों से और प्रशासन में सुनवाई न होने से परेशान है। मिर्ज़ापुर में पुश्तैनी व पट्टे की जमीनों पर गैरकानूनी कब्जा हटाने की मांग करने वाले कोलहा गांव के दलितों पर सामंती दबंगों के हथियारबंद हमले की हाल में हुई घटना में जिस महिला का गर्भपात हो गया उसकी मेडिकल जांच तक नहीं कराई जा रही है। हमले में घायल एक अन्य महिला की भी मेडिकल जांच कराने में मिर्जापुर अस्पताल प्रशासन द्वारा बहानेबाजी की जा रही है। इन शिकायतों की प्रशासन में कोई सुनवाई नही हो रही है। न ही अस्पताल में भर्ती घायलों का पुरसाहाल लिया जा रहा है। प्रशासन और पुलिस प्रभावशाली दबंगों के इशारे पर काम कर रही है। योगी सरकार और प्रशासन की दलितों-गरीबों-महिलाओं के प्रति इस संवेदनहीनता के खिलाफ 31 अगस्त को भाकपा (माले) ने 'मिर्जापुर चलो' का आह्वान पूर्वांचल में किया है।