पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मंत्रालय स्तर पर बैठायी गई जांच मामले पर लीपापोती के लिए थी। आरोपी सांसद को संरक्षण देने और सरकार से न्याय मिलने की उम्मीद धूमिल होते देख महिला खिलाड़ियों को देश की राजधानी में दोबारा धरने पर बैठना पड़ा है। यही नहीं, अपनी एक अदद एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना पड़ा।
माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा, "जो सरकार 'बेटी बचाओ' का ढोल बजाती रही हो, जो सोशल मीडिया पर अपना मामूली-सा भी विरोध होने पर तपाक से एफआईआर दर्ज करती हो, उसकी दिल्ली पुलिस महिला खिलाड़ियों की यौन उत्पीड़न जैसी गंभीर शिकायत पर कुंडली मारकर बैठ गई। यदि सुप्रीम कोर्ट का दबाव न होता, तो एफआईआर दर्ज किए जाने का सरकार से आश्वासन शायद ही मिल पाता। न्याय होना तो अभी बाकी है।
माले नेता ने कहा कि योगी की पुलिस को मामले में सुप्रीम कोर्ट के रुख को ध्यान में रखकर अनावश्यक स्वामी भक्ति नहीं दिखानी चाहिए और खिलाड़ियों के समर्थन में लखनऊ में उतरे छात्रों पर दमन बन्द करना चाहिए। ये छात्र भी आरोपी सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग का ही समर्थन कर रहे थे।