रायपुर, 12 दिसंबर 2020. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सहित सभी वामपंथी पार्टियों ने किसान विरोधी कानूनों और बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा चलाये जा रहे देशव्यापी किसान आंदोलन का समर्थन किया है और कहा है कि मोदी सरकार को संसद में अलोकतांत्रिक ढंग से पारित कराए गए किसान विरोधी कानूनों को तुरंत वापस लेना चाहिए और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का और किसानों की कर्ज़ मुक्ति का कानून बनाना चाहिए। माकपा ने किसान संगठनों द्वारा
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि पिछले एक पखवाड़े से देश के अन्नदाताओं द्वारा चलाया जा रहा शांतिपूर्ण आंदोलन प्रेरणास्पद है, जबकि सरकार ने लाठी-गोलियों और पानी की मारक बौछारों के साथ उनका दमन करने की कोशिश की है। इस आंदोलन में अभी तक छह से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। सरकार को अब किसानों के सब्र की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि देश के अनाज भंडार और खाद्यान्न व्यापार में कब्जा करने के लिए अडानी-अंबानी द्वारा बनाये जा रहे गोदामों और एग्रो-बिज़नेस कंपनियों के ताने-बाने के खुलासे के बाद अब यह साफ है कि ये कानून किसानों के हितों में नहीं, बल्कि कॉरपोरेटों की तिजोरी भरने के लिए ही बनाये गए हैं। इसलिए किसी संशोधन से इन कानूनों का चरित्र बदलने वाला नहीं है, बल्कि इन्हें निरस्त किये जाने की जरूरत है। ये कानून केवल ग्रामीण जन जीवन के लिए ही खतरा नहीं है, बल्कि देश की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था को गुलामी की ओर धकेलती है और खाद्यान्न सुरक्षा को खत्म करती है।