नई दिल्ली, 13 जनवरी 2020. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम - National Clean Air Programme (NCAP) के तहत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय - Ministry of Environment, Forests and Climate Change (MoEFCC) ने वायु गुणवत्ता मानकों की तुलना में खराब वायु गुणवत्ता दिखा रहे भारत के 102 नॉन एटेनमेंट शहरों की पहचान की है जिसमें बाद में 20 और जोड़कर 122 हो गए। उनमें महाराष्ट्र ( 18) के बाद सर्वाधिक उत्तर प्रदेश के पंद्रह शहर शामिल हैं।
NCAP कार्यक्रम का लक्ष्य वायु प्रदूषण के वर्ष 2017 के पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर में 2024 तक 20-30% कमी लाना है। और इस काम के लिए कुल 406 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गई है। इनमें से दस लाख से अधिक आबादी वाले और पीएम 10 का स्तर 90 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर से अधिक वायु प्रदूषक वाले जिन 28 शहरों को मंत्रालय द्वारा 10 करोड़ रूपये प्रत्येक आवंटित किये गए हैं उनमें सबसे ज्यादा पांच शहर – लखनऊ, वाराणसी, आगरा कानपुर, प्रयागराज या इलाहाबाद उत्तर प्रदेश के हैं। शेष शहरों में विजयवाड़ा, पटना, कोलकत्ता, चंडीगढ़, भिलाई, अहमदाबाद, सूरत, धनबाद, बेंग्लरू, मुंबई, ग्वालियर, भोपाल, नवी मुंबई, पुणे, नागपुर,भुवनेश्वर, लुध्याना, अमृतसर, जोधपुर, कोटा, जयपुर, हैदराबाद शामिल हैं।
ऐसे में NCAP कार्यक्रम के वायु प्रदूषण की प्रगति को ट्रैक करने के लिए, जलवायु और ऊर्जा के डिजिटल समाचार की न्यूज़ साइट, कार्बन कॉपी ने एक डैशबोर्ड लॉन्च किया
“वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों (Side effects of air pollution) से अब कोई अंजान नहीं है चाहे वह भारत में हो या दुनिया के दूसरे देशों में। इसके सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों का व्यापक अनुभव किया जा रहा है। चीन भारत के लिए निकटतम उदाहरण है कि उसने अपने उत्सर्जन को कैसे नियंत्रित किया। वायु प्रदूषण के कारण पड़ने वाले भारी स्वास्थ्य बोझ को दूर करके अपनी अंतर्राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए ट्रैकर, भारत के लिए इस समस्या को उसके मूल कारण की पहचान में मददगार साबित होगा।"