लगभग पूरी दुनिया इस समय लॉकडाउन (Lockdown) वाली स्थिति में है, लोग घरों में बंद हैं और फिर जाहिर है महिलाओं का चूल्हे के सामने सामान्य से अधिक समय बीत रहा है. अब देश में अधिकतर घरों में गैस के चूल्हे (Gas stove) आ गए हैं. ये चूल्हे लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस- Liquid petroleum gas (एलपीजी) या फिर पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) से जलते हैं. हमारे देश में प्रधानमंत्री से लेकर गैस आपूर्ती करने वाली कम्पनियां इन गैसों को लगातार प्रदूषण मुक्त बताती रहीं हैं. प्रधानमंत्री जी ने तो आँखों में आंसू भरकर अपनी माँ का किस्सा सुनाया था कि किस तरह उन्हें लकड़ी के चूल्हे से उत्पन्न प्रदूषण (Pollution caused by wood stove) से परेशानी होती थी और किस तरह एलपीजी प्रदूषण मुक्त है. पर, अब नए अनुसंधानों से स्पष्ट हुआ है कि गैस के चूल्हे पर जिन घरों में खाना पकाया जाता है, यदि उन घरों में एग्जॉस्ट या चिमनी या फिर रसोई में हवा के आने-जाने का माध्यम नहीं हो तो ऐसे घरों के अन्दर वायु प्रदूषण का स्तर बाहर की तुलना में दो से पांच गुना तक अधिक हो सकता है.
इस शोधपत्र को रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट और पर्यावरण पर काम करने वाले अनेक विश्विद्यालयों के वैज्ञानिकों द्वारा पिछले दशक में किये गए सम्बंधित अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है. इसके प्रमुख लेखक ब्रैडी साल्स हैं. इस शोधपत्र के अनुसार अधिकतर रसोई में हवा के आवागमन की सुविधा नहीं होती, और गैस जलने पर पार्टिकुलेट मैटर के साथ ही विभिन्न गैसें भी उत्पन्न होतीं हैं. इनमें नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें प्रमुख हैं. इन गैसों को कोविड 19 के व्यापक प्रभाव से भी जोड़ा गया है क्योंकि
New study links air pollution to increase in newborn intensive care admissions
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की अधिक सांद्रता में कम समय तक रहने पर भी बच्चों में दमा का खतरा बढ़ जाता है. अमेरिका में किये गए अध्ययन में पाया गया कि जिन घरों में गैस का चूल्हा था, वहां के बच्चों में दमा का दर 42 प्रतिशत अधिक था. ऑस्ट्रेलिया में किये गए दूसरे अध्ययन के अनुसार जितने बच्चों को दमा होता है, उनमें से 12.3 प्रतिशत का कारण गैस के चूल्हे से निकालने वाला प्रदूषण है. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की अधिक सांद्रता में लम्बे समय तक रहने से ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, ह्रदय की समस्या, डायबिटीज और कैंसर भी हो सकता है.
कार्बन मोनोऑक्साइड के अल्पकालिक प्रभाव से सरदर्द और उल्टी हो सकती है, जबकि इसके दीर्घकालिक प्रभाव अनियमित ह्रदय धड़कन, ह्रदयगति रुकना और असामयिक मौत है. शोधपत्र के अनुसार बिजली के चूल्हे से इस प्रदूषण को कम किया जा सकता है. यदि आप गैस के चूल्हे पर ही खाना पकाना चाहते हैं तो जहां तक संभव हो पिछले बर्नर का उपयोग कीजिये, रसोई को हवादार बनाइये या फिर इलेक्ट्रिकल चिमनी को स्थापित कीजिये.
यूरोपियन हार्ट जर्नल (European Heart Journal) के अगस्त अंक में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार वायु प्रदूषण के असर से पूरी दुनिया में कार्डियोवैस्कुलर रोग तेजी से असर दिखा रहे हैं.
जोहान्स गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक थॉमस मुन्जाल की अगुवाई में यह अध्ययन जर्मनी, अमेरिका और इंग्लैंड के विशेषज्ञों के साथ किया गया. इसके अनुसार वायु प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों मे से 60 प्रतिशत से अधिक का कारण कार्डियोवैस्कुलर रोग होते हैं.
थॉमस मुन्ज़ेल के अनुसार प्रदूषित हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड – सभी कार्डियोवैस्कुलर रोग का कारण हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास के वैज्ञानिक जोशुआ आप्टे की अगुवाई में किये गए अध्ययन से पता चलता है कि दुनिया में लोगों की औसत आयु वायु प्रदूषण के कारण कम से कम एक वर्ष कम हो रही है. एशियाई देशों में तो औसत आयु दो वर्ष के लगभग कम हो जाती है.
एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी नामक जर्नल के 22 अगस्त के अंक में प्रकाशित शोध पत्र के लिए वैज्ञानिकों ने कुल 185 देशों के वायु प्रदूषण और इनके प्रभावों का अध्ययन किया है. जोशुआ आप्टे के अनुसार एशिया में यदि वायु प्रदूषण में 15 से 20 प्रतिशत की कमी लाई जा सके तब अधिकतर बुजुर्ग आसानी से 85 वर्ष या इससे भी अधिक जीवित रहेंगे.
वायु प्रदूषण को दमा, अंदरूनी अंगों में जलन और सूजन, मधुमेह और इसी प्रकार के दूसरे खतरों से लगातार जोड़ा जाता रहा है पर पहली बार यह पता चला है कि इससे किडनी भी प्रभावित होती है. प्लोस वन नामक जर्नल में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन के वैज्ञानिकों के एक शोधपत्र में यह बताया गया है, वायु प्रदूषण के कारण पूरी दुनिया में क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) तेजी से बढ़ रहे हैं. सीकेडी अनेक रोगों का समूह है, इसमें किडनी ठीक काम नहीं करती है और रक्त को साफ़ नहीं कर पाती. यह पहले से पता था कि धूम्रपान से अनेक रसायन उत्सर्जित होते हैं और इससे किडनी प्रभावित होती है. इसी तरह वायु प्रदूषण भी अनेक रसायनों का समूह है और इसके अनेक रसायन किडनी सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं.
Air Pollution may further impact coronavirus patients – Doctors
घरों के बाहर के प्रदूषण पर तो बहुत चर्चा की जाती है पर घरों के अन्दर के प्रदूषण (Indoor pollution) पर कोई चर्चा नहीं होती. अनेक अध्ययन साबित कर चुके हैं कि घरों के अन्दर प्रदूषण बाहर की तुलना में अधिक रहता है, इसलिए अब सरकारों को इस दिशा में ध्यान देना आवश्यक हो गया है.
महेंद्र पाण्डेय