Hastakshep.com-राजनीति-Acute encephalitis syndrome-acute-encephalitis-syndrome-AES-aes-Bihar-bihar-Death of children-death-of-children-Dr Harshavardhan-dr-harshavardhan-Muzaffarpur-muzaffarpur-Union Health Minister-union-health-minister-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री-kendriiy-svaasthy-mntrii-डॉ. हर्षवर्धन-ddon-hrssvrdhn-बिहार-bihaar-मंगल पांडेय-mngl-paanddey-स्वास्थ्य मंत्री-svaasthy-mntrii

नई दिल्ली, 24 जून 2019। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से हो रही बच्चों की मौतों (Death of children from Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur, Bihar) पर मुजफ्फरपुर की एक अदालत ने आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Union Health Minister Dr Harshavardhan) और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Bihar Health Minister Mangal Pandey) के खिलाफ दायर एक परिवाद पत्र पर सुनवाई करते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी की अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) को इस बात की जांच के आदेश दिए हैं कि क्या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्यमंत्री मंगल पांडेय पर लगाए गए लापरवाही के आरोप सही हैं।

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख तय की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुजफ्फरपुर के भिखनपुर गांव निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने बिहार में एईएस यानी चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ 16 जून को परिवाद पत्र दायर किया था।

हाशमी ने याचिका में दोनों मंत्रियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी लापरवाही के कारण ही बच्चों की मौत एईएस से हो रही है। उन्होंने याचिका में कहा है कि बीमारी को लेकर कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया।

याचिका में कहा गया है कि इस बीमारी पर अब तक कोई शोध भी नहीं कराया गया है।

उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर जिले और इसके आसपास के जिलों में लगभग प्रत्येक वर्ष होने वाली इस बीमारी

से इस वर्ष अब तक 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है।

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