नई दिल्ली, 17 फरवरी 2020. उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी लगातार हाड़तोड़ मेहनत करके किसी तरह कांग्रेस को पुनर्जीवित करने पर लगी हैं, लेकिन कांग्रेस की समस्याओं का अंत होता नहीं दिख रहा। दरअसल कांग्रेस की सपा-बसपा के सामने सर्मणकारी नीतियों के चलते उसका कैडर जमीन से गायब है और अब जब इधर-उधर से उधार के नेता इकट्ठा करके लाए गए हैं, तो वो कांग्रेस का काम करने के बजाय अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं और प्रिंयंका गांधी मैदान में अकेले खड़ी हैं।
मायावती जब मुख्यमंत्री थीं, तब पीएल पूनिया, उनके सचिव थे, लेकिन आज कांग्रेस के बड़े नेता हैं और इतने बड़े कि भले ही अपनी छोड़ी सीट पर अपने बेटे को भी चुनाव न जितवा पाएं लेकिन छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री का भाग्य तय करते हैं।
अजय कुमार लल्लू भले मानुष हैं, जमीन के नेता हैं, लेकिन अपनी विधानसभा सीट के अलावा कांग्रेस को कहीं चार वोट दिलवा पाएं, ऐसा अभी तक तो नहीं हैं, लेकिन वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
आचार्य प्रमोद कृष्णम् कांग्रेस के धर्माचार्य हैं, आजकल प्रियंका गांधी के आध्यात्मिक गुरु समझे जाते हैं। आचार्यजी टीवी के प्रिय फेस हैं, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा का बहस में मानसिक संतुलन बिगाड़ देते हैं, लेकिन आरक्षण को लेकर अपने जातीय अहंकार से बाहर नहीं आ पाते हैं। चर्चा है आचार्यजी लोकसभा चुनाव के दौरान प्रयास में थे कि शिवपाल सिंह यादव की पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन हो जाए, लेकिन अखिलेश यादव ने खेल बिगाड़ दिया।
बहरहाल, यह सब जानकारी इसलिए कि ये तीन चेहरे फिलहाल यूपी में कांग्रेस के बड़े फेस हैं और तीनों के खीसे में अपना निर्वाचन क्षेत्र छोड़कर तीन वोट भी हों, ऐसा अभी तक तो नहीं समझा जाता। लेकिन सोशल मीडिया पर तीनों आपस में उलझे हुए हैं।
अजय कुमार लल्लू ने
“भाजपा सरकार ने दलितों-पिछड़ों क़े आरक्षण को समाप्त कर दिया हैं। बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में दलितों-पिछड़ों क़े लिए आरक्षण का प्रावधान किया था।”
अब बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में पिछड़ों क़े लिए कौन से आरक्षण का प्रावधान किया था, ये तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ही बता पाएंगे। लेकिन उनके फोटो को पोस्ट करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने तुरंत सलाह दे डाली,
“नीले “पटके”
के साथ झंडा भी “हाथी”
वाला उठा लो, फिर सारे दलितों के वोट हमें मिल जायेंगे....... गांधी, नेहरू,मौलाना आज़ाद, इंदिरा, और राजीव जी की “कांग्रेस”
को ये शोभा नहीं देता.”
हालांकि आचार्यजी की बात सही है कि कांग्रेस को डॉ. अंबेडकर के नाम पर कभी भी दलितों का वोट नहीं मिला बल्कि ऐतिहासिक तथ्य यह है कि जब तक कांग्रेस डटी रही तब तक किसी को भी दलितों का वोट अंबेडकर के नाम पर नहीं मिला। डॉ. अंबेडकर दलितों के वोटों के एटीएम 1995 के बाद बने और तब तक कांग्रेस मैदान से बाहर हो लगी थी। ... और जिन्होंने डॉ. अंबेडकर के नाम पर दलितों के वोट लिए उन्होंने कभी भी डॉ. अंबेडकर के विचारों की बात नहीं की।
नीले “पटके”
के साथ झंडा भी “हाथी”
वाला उठा लो,फिर सारे दलितों के वोट हमें मिल जायेंगे.......गांधी,नेहरू,मौलाना आज़ाद,इंदिरा,और राजीव जी की “कांग्रेस”
को ये शोभा नहीं देता. pic.twitter.com/VuFrf0Vuou— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) February 17, 2020
भाजपा सरकार ने दलितों-पिछड़ों क़े आरक्षण को समाप्त कर दिया हैं। बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में दलितों-पिछड़ों क़े लिए आरक्षण का प्रावधान किया था।
आज उसी आरक्षण व संविधान को बचाने क़े लिए भाजपा सरकार क़े खिलाफ कॉंग्रेस पार्टी ने परिवर्तन चौक से हजरतगंज स्थित... 1/1 pic.twitter.com/VFauvLelst
— Ajay Kumar Lallu (@AjayLalluINC) February 16, 2020