नई दिल्ली, 13 नवंबर 2021: दुनिया के चौथे सबसे बड़ा ऑटो बाज़ार, भारत ने रवांडा, केन्या के साथ संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (2021 United Nations Climate Change Conference - COP26) में, अपने बाजारों में शून्य उत्सर्जन वाहनों (ZEV) के ट्रांजिशन में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
साथ ही, कनाडा, यूके और मैक्सिको सहित 30 देशों और छह प्रमुख वाहन निर्माताओं - जिनमें फोर्ड, मर्सिडीज-बेंज, जनरल मोटर्स और वोल्वो शामिल हैं - ने शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों (zero emission vehicles) को 2030 या उससे पहले, सभी क्षेत्रों में सुलभ, किफायती, और टिकाऊ बनाकर उन्हें न्यू नार्मल बनाने का संकल्प लिया है।
COP26 में न सिर्फ वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के टारगेट ट्रू ज़ीरो (The Target True Zero initiative of World Economic Forum,) पहल के 20 एयरलाइन सदस्य जलवायु परिवर्तन की चुनौती (climate change challenge) का समाधान करने के लिए इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन और हाइब्रिड विमान जैसी नई तकनीकों का उपयोग करने के लिए भी प्रतिबद्ध हुए हैं; बल्कि इस महासम्मेलन में नए विश्व बैंक ट्रस्ट फंड का भी शुभारंभ हुआ, जो कि उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सड़क परिवहन को डीकार्बोनाइज करने के लिए अगले 10 वर्षों में $200 मिलियन जुटाएगा।
ZEVTC ने उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDE) में ट्रांजिशन पर विशेषज्ञों सहित प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों
स्वच्छ वाहनों की वृद्धि के प्रति प्रतिबद्धता पर प्रतिक्रिया देते हुए, NRDC (नेचुरल रिसोर्सेज़ डिफेंस काउंसिल) में अंतरराष्ट्रीय जलवायु के वरिष्ठ रणनीतिक निदेशक, जेक श्मिट ने कहा,
“यह स्वागत योग्य कदम संकेत देता है कि बढ़ती संख्या में देश, ऑटो निर्माता और परिवहन प्रदाता वैश्विक स्तर पर शत-प्रतिशत शून्य-उत्सर्जन इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा,
"अब, जिन देशों में बड़ी संख्या में वाहन सडकों पर दौड़ रहे हैं, उन्हें इसके समर्थन में आना चाहिए। इससे नये रोजगार पैदा कर सकते हैं और जलवायु संकट में प्रदूषण को तेजी से कम कर सकते हैं एक स्वच्छ भविष्य के लिए।"
देशों, वैश्विक वाहन निर्माताओं, शहरों, क्षेत्रों और बेड़े के मालिकों सहित 100 से अधिक संस्थाओं द्वारा हस्ताक्षरित शून्य उत्सर्जन वाहनों पर ग्लासगो समझौते के अनुसार, यह पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के लिए सड़क के अंत की शुरुआत है। प्रमुख बाजारों में 2035 तक चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा और शून्य-उत्सर्जन वाहनों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।
साथ ही दुनिया के कुछ प्रमुख शहरों के मेयर, यूनियन लीडर्स, ट्रांसपोर्ट वर्कर्स, ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज और सिविल सोसाइटी ने भी COP26 में एकजुट होकर दुनिया की सरकारों से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में स्थायी दीर्घकालिक निवेश को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। साथ ही, उन्होंने चेतावनी भी दी है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो क्लाइमेट ब्रेकडाउन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।